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बालोद की महिलाएं सरकारी राशन दुकान से बनेंगी आत्मनिर्भर

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Published : Jan 3, 2021, 3:13 PM IST

बालोद में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की गई है. इसके लिए सरकारी राशन की दुकानों को महिलाओं के हवाले कर दिया गया है. बालोद के कई वार्डों में इसकी शुरुआत की गई है. बताते हैं, महिला उत्थान की दिशा में एक बेहतरीन प्रयास है.

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बालोद में महिलाएं चलाएंगी सरकारी राशन की दुकानें

बालोद: छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए नई-नई योजनाएं बना रही है. बालोद नगर पालिका क्षेत्र में भी राशन की दुकानें महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से संचालित की जाएगी. इसे महिला उत्थान की दिशा में एक बेहतरीन प्रयास बताया जा रहा है.

Women are becoming self sufficient by operating government ration shops in Balod
महिलाएं चलाएंगी सरकारी राशन की दुकानें

पढ़ें: कांकेर: हल्दी की खेती से लाखों कमा रही स्व सहायता समूह की महिलाएं

शहर के इन वार्डों में हुई शुरुआत
बालोद शहर के वार्ड नंबर 3, वार्ड नंबर 13, 14 में शासकीय उचित मूल्य की दुकान का शुभारंभ किया गया है. महिला समूह को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार का यह कदम शानदार है. नगर पालिका के अध्यक्ष विकास चोपड़ा ने महिलाओं को आश्वस्त किया है. राशन दुकान संचालन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होगी.

पढ़ें: महिला स्व सहायता समूह ने रोजगार की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन

सरकार का कदम सराहनीय
नगर पालिका अध्यक्ष विकास चोपड़ा ने बताया कि यहां पर सरकार की कदम सराहनीय है. इससे महिलाओं को आगे आने में प्रेरणा मिलेगी. यहां पर जो पहले लापरवाही की शिकायत आती थी, उससे भी अब निजात मिल पाएगा. उपाध्यक्ष अनिल यादव और पार्षद योगराज भारती ने भी इस पहल की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं को मजबूती मिलेगी.

Women are becoming self sufficient by operating government ration shops in Balod
बालोद में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल

छत्तीसगढ़ में महिलाओं को बनाया जा रहा आत्मनिर्भर

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर डुमाली गांव की स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी आत्मनिर्भर हो रही हैं. धान की खेती के बाद अब ये महिलाएं हल्दी और जिमी कन्द की खेती कर रही हैं. इससे अच्छा खासा मुनाफा कमा रही हैं.

50 हजार के मुनाफा की उम्मीद
डुमाली गांव में सरस्वती स्व-सहायता महिला समूह से जुड़ी लक्ष्मी शोरी बताती हैं कि समूह में 10 महिलाएं शामिल हैं. जून महीने में महिलाओं ने हल्दी की फसल लगाई थी. अब यह फसल पूरी तरह से तैयार है. जिमीकन्द की फसल करीब 3 क्विंटल खुदाई करके निकाली गई है तो वहीं हल्दी की फसल भी करीब 1 क्विंटल है. बाजार में यह फसल 50 हजार तक मुनाफा दे सकती है. महिलाओं को लगातार आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है.

बालोद: छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए नई-नई योजनाएं बना रही है. बालोद नगर पालिका क्षेत्र में भी राशन की दुकानें महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से संचालित की जाएगी. इसे महिला उत्थान की दिशा में एक बेहतरीन प्रयास बताया जा रहा है.

Women are becoming self sufficient by operating government ration shops in Balod
महिलाएं चलाएंगी सरकारी राशन की दुकानें

पढ़ें: कांकेर: हल्दी की खेती से लाखों कमा रही स्व सहायता समूह की महिलाएं

शहर के इन वार्डों में हुई शुरुआत
बालोद शहर के वार्ड नंबर 3, वार्ड नंबर 13, 14 में शासकीय उचित मूल्य की दुकान का शुभारंभ किया गया है. महिला समूह को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार का यह कदम शानदार है. नगर पालिका के अध्यक्ष विकास चोपड़ा ने महिलाओं को आश्वस्त किया है. राशन दुकान संचालन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होगी.

पढ़ें: महिला स्व सहायता समूह ने रोजगार की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन

सरकार का कदम सराहनीय
नगर पालिका अध्यक्ष विकास चोपड़ा ने बताया कि यहां पर सरकार की कदम सराहनीय है. इससे महिलाओं को आगे आने में प्रेरणा मिलेगी. यहां पर जो पहले लापरवाही की शिकायत आती थी, उससे भी अब निजात मिल पाएगा. उपाध्यक्ष अनिल यादव और पार्षद योगराज भारती ने भी इस पहल की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं को मजबूती मिलेगी.

Women are becoming self sufficient by operating government ration shops in Balod
बालोद में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल

छत्तीसगढ़ में महिलाओं को बनाया जा रहा आत्मनिर्भर

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर डुमाली गांव की स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी आत्मनिर्भर हो रही हैं. धान की खेती के बाद अब ये महिलाएं हल्दी और जिमी कन्द की खेती कर रही हैं. इससे अच्छा खासा मुनाफा कमा रही हैं.

50 हजार के मुनाफा की उम्मीद
डुमाली गांव में सरस्वती स्व-सहायता महिला समूह से जुड़ी लक्ष्मी शोरी बताती हैं कि समूह में 10 महिलाएं शामिल हैं. जून महीने में महिलाओं ने हल्दी की फसल लगाई थी. अब यह फसल पूरी तरह से तैयार है. जिमीकन्द की फसल करीब 3 क्विंटल खुदाई करके निकाली गई है तो वहीं हल्दी की फसल भी करीब 1 क्विंटल है. बाजार में यह फसल 50 हजार तक मुनाफा दे सकती है. महिलाओं को लगातार आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है.

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