बालोद: जिला मुख्यालय में बुधवार को आदिवासी समाज ने अपने मुद्दों को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया. हालांकि धरना की अनुमति नहीं मिली थी. इसके बावजूद आदिवासी समाज ने सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का उल्लंघन करते हुए धरना प्रदर्शन किया. साथ ही चक्काजाम भी किया गया.
आदिवासी समाज के वरिष्ठ जनों ने मंच के माध्यम से समाज के लोगों को संबोधित किया. करीब 4 घंटे तक यह कार्यक्रम चला, जिसके बाद वे पैदल शहर में रैली निकालने पहुंचे, पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेडिंग की गई थी, लेकिन उसे तोड़कर वे आगे बढ़े और शहर के गंजपारा में आदिवासी समाज के लोगों ने चक्काजाम किया.
1 घंटे तक मुख्य मार्ग पर प्रभावित रहा आवागमन
समाज के लोगों ने बिना किसी जानकारी के अचानक सड़क पर चक्काजाम कर दिया. लगभग आधे से 1 घंटे तक बालोद-धमतरी और बालोद-दुर्ग मुख्य मार्ग जाम रहा. प्रशासनिक आश्वासन के बाद समाज के लोगों ने रास्ता खाली किया.
प्रशासन के आश्वासन के बाद खत्म किया चक्काजाम
अपर कलेक्टर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहित प्रशासन और पुलिस प्रशासन के आला-अधिकारी मध्यस्थता के लिए मौके पर पहुंचे. लगभग आधे घंटे की चर्चा के बाद प्रशासन के आश्वासन पर समाज के लोगों ने चक्काजाम खत्म किया.
न्यायालय प्रक्रिया में लंबित है मामला
आदिवासी समाज की ओर से जिन विषयों पर धरना दिया जा रहा था. दरअसल वह मामले न्यायालय प्रक्रिया में लंबित हैं, लेकिन आदिवासी शासन-प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाते नजर आए. इस दौरान प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बैनर-पोस्टर लेकर समाज के लोग सुबह से शाम तक धरने पर डटे रहे.
90 से 15 सीटों में सिमटा कर रख सकते हैं
धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में प्रदेश संरक्षक सोहन पोटाई पहुंचे हुए थे. उन्होंने कहा कि हम भी आदिवासी समाज है, जो भाजपा जैसी सरकार को 90 से 15 सीटों में सिमटा कर रख सकते हैं और वर्तमान सरकार को भी हमारे समस्याओं के बारे में सोच लेना चाहिए.