बालोद: छत्तीसगढ़ में कई पर्यटन स्थल ऐसे भी हैं, जो लोगों की नजरों से दूर बसे हुए हैं. हरी-भरी वादियों के बीच बसे मंदिर, झरने, पहाड़ सहित कई दार्शनिक स्थल आज भी लोगों के लिए खोज का विषय बने हुए हैं. जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर बालोद-धमतरी नेशनल हाइवे से 2 किलोमीटर अंदर एक गांव बसा हुआ है. इस गांव का नाम बरही है. प्रकृति की गोद में बसे इस गांव में एक सुंदर मंदिर भी स्थित है. लेकिन यह स्थल लोगों की नजर से दूर है. इस जगह का नाम खोल डोंगरी है. ETV भारत आपको इस रहस्यमयी पर्वत श्रेणी वाले पर्यटन स्थल की कहानी बताने जा रहा है.
बरही गांव में बसा मंदिर अपने आप में कई राज समेटे हुए है. यह मंदिर मानव निर्मित नहीं बल्कि पहाड़ों के बीच स्थापित है. हाल ही में हल्के कृत्रिम ईट और सीमेंट का उपयोग कर मंदिर का संरक्षण किया जा रहा है. पत्थरों के बीच में जो जगह (खोल) बनी हुई है, वहां पर मूर्तियां स्थापित है. जिसके कारण इसे खोल डोंगरी का भी नाम दिया गया है और इसका असली नाम शरणानंद वन आश्रम है. इस मंदिर के पास पहाड़ों के नीचे एक खूबसूरत झील भी है, जो इस जगह को और खूबसूरत बनाती है.
![story of khol dongri and sharnanand van ashram in balod](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bld-02-kholdongri-avb-spl-cg10028_13102020171224_1310f_02354_785.jpg)
पहाड़ों के बीच है स्वतंत्रता सेनानी की समाधि
वन आश्रम मंदिर समूह के अध्यक्ष कमलेश सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मंदिर की काफी मान्यता है. एक स्वतंत्रता सेनानी की समाधि आज मंदिर का रूप ले चुकी है. यहां लोगों की काफी श्रद्धा है. उन्होंने बताया कि बेमेतरा क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी को इस जगह से बेहद स्नेह था. वे यहां अक्सर आया-जाया करते थे. स्वतंत्रता के समय उनका एक अनोखी योगदान रहा है.
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'लगातार बढ़ रहा पहाड़ का आकार'
वन आश्रम समिति के अध्यक्ष ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हमेशा यह कहते थे कि उनकी मृत्यु कहीं भी हो, लेकिन उनकी समाधि इसी जगह पर बनाई जाए. उनकी मृत्यु के बाद इस आश्रम में ही पत्थरों के बीच उनकी समाधि बनाई गई है, जो कि आज लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां दोनों नवरात्रों में ज्योति कलश जलाए जाते हैं और लोग दूर-दूर से दर्शन करने भी आते हैं. उन्होंने बताया कि एक मान्यता यह भी है कि यहां जो पर्वत श्रेणी है, वह भी निरंतर बढ़ती जा रही है.
![story of khol dongri and sharnanand van ashram in balod](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bld-02-kholdongri-avb-spl-cg10028_14102020113726_1410f_01010_457.jpg)
गुरु पूर्णिमा के दिन होता है भव्य आयोजन
गांव के उपसरपंच ने मंदिर समूह के बारे में बताया कि यह मंदिर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की समाधि की स्मृतियों से सजा हुआ है. वहीं उनकी समाधि है. उन्होंने जीवन भर सन्यासी के रूप में बिताया. उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा का पर्व भी यहां बेहद उत्साह से मनाया जाता है. जिसमें मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भी लोग भारी संख्या में आते हैं.
![story of khol dongri and sharnanand van ashram in balod](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bld-02-kholdongri-avb-spl-cg10028_14102020113726_1410f_01010_566.jpg)
पहचान मिलने की आस में अनजाना पर्यटन स्थल
दुखद बात तो यह है कि दीगर राज्यों के लोग यहां आते हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर इस जगह को बड़ी पहचान दे पाने में शासन और प्रशासन नाकाम साबित हुए हैं. यह मंदिर समूह और इसके आसपास का क्षेत्र बेहद सुखद अनुभव कराता है. दूर-दूर से लोग यहां सुकून की तलाश में आते हैं. मंदिर से लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है, तो यहां की प्रकृति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. मंदिर में प्राकृतिक गुफा भी बना हुआ है, जो कि लोगों के लिए उत्साह का केंद्र बना रहता है. मंदिर समिति इस मंदिर को पहचान दिलाने और यहां के विकास को लेकर लगातार प्रयास कर रही है. उन्हें उम्मीद है कि शासन-प्रशासन इस तरफ जरूर ध्यान देंगे.
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साथ ही यह मंदिर के किनारे एक जरा सा भी है जिसकी शीतलता लोगों को काफी सुखद अनुभव देती है मंदिर समिति द्वारा इस मंदिर के विकास को लेकर नित प्रयास किए जा रहे हैं उन्हें शासन प्रशासन के सहयोग की भी उम्मीद है.