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यहां रहने वालों के लिए जीवन नहीं 'जहर' बन गया है BSP से बहकर आने वाला लाल पानी

दल्लीराजहरा के ग्रामीण कई साल से लाल पानी का दंश झेल रहे हैं. इस जहरीले पानी ने यहां के आम लोगों के साथ ही यहां के किसानों की भी पीड़ा बढ़ा दी है. खदानों और संयंत्र से निकलने वाले डस्ट ने बहुत पहले ही यहां खेतों पर अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया था.

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Published : Sep 23, 2019, 11:46 AM IST

Updated : Sep 23, 2019, 3:17 PM IST

दल्लीराजहरा के ग्रामीणों के लिए 'जहर' बन गया है BSP से बहकर आने वाला लाल पानी

बालोद: जल को जीवन कहा जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ की खनिज नगरी में बहकर आने वाला लाल पानी दल्लीराजहरा और उसके आस-पास के लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित दर्जनों गांव के लिए जहर बन चुका है. भिलाई स्टील प्लांट से बहकर आने वाले इस पानी की वजह से न सिर्फ खेतों की उर्वरक क्षमता कम हो रही है बल्कि चर्म रोग के मरीज भी बढ़ रहे हैं.

दल्लीराजहरा के ग्रामीण कई साल से लाल पानी का दंश झेल रहे हैं. इस जहरीले पानी ने यहां के आम लोगों के साथ ही यहां के किसानों की भी पीड़ा बढ़ा दी है. खदानों और संयंत्र से निकलने वाले डस्ट ने बहुत पहले ही यहां खेतों पर अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया था.

अब इन खेतों में हितेकसा जलाशय से लाल पानी छोड़ा जा रहा है. जो तेजी से मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कम कर रहा है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि हितेकसा वही जलाशय है जिसमें भिलाई संयंत्र आपना वेस्ट पानी जमा करता है और समय-समय पर इसे ग्रामीण इलाकों में छोड़ा जा रहा है.

लोगों को बीमार कर रहा है ये पानी
लाल पानी फसलों के साथ ही लोगों की सेहत पर गहरा प्रभाव छोड़ रहा है. यहां कई गांव ऐसे हैं, जहां पीने से लेकर रोजमर्रा के हर काम में यही पानी उपयोग हो रहा है. स्थानीय निवासियों की सेहत पर असर पड़ रहा है और चर्म रोग के मरीज बढ़ रहे हैं.

पढे़ं :जशपुर: गड्ढों में सड़क या सड़क में गड्ढे, प्रशासन को जगाने रोड पर रोपा धान

गांववालों को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला
ऐसा नहीं है कि गांववालों ने अपनी परेशानी किसी से नहीं कही. वे कहते हैं कि चर्म रोग, खुजली की शिकायत है. ग्रामीण कहते हैं कि अफसरों के सामने वे अपनी परेशानी लेकर गए लेकिन कोई निराकरण नहीं मिला. इस लाल मिट्टी को हटाने के लिए प्रशासन ने पहल की बात कही थी, मुआवजे का आश्वासन दिया था लेकिन आज तक गांववालों के हाथ कुछ नहीं आया.

भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने प्रभावितों को पावर प्लांट में रोजगार देने की बात कही थी लेकिन अब तक किसी को नौकरी नहीं मिली है.
हाल ही में आड़ेझर के ग्रामीण इसी लाल पानी प्रभावित सूची से गांव का नाम गायब हो जाने पर लाल पानी लेकर कलेक्टर ऑफिस पहुंच गए थे. हालांकि यहां रहने वाले आज भी समस्या के निदान की राह देख रहे हैं.

बालोद: जल को जीवन कहा जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ की खनिज नगरी में बहकर आने वाला लाल पानी दल्लीराजहरा और उसके आस-पास के लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित दर्जनों गांव के लिए जहर बन चुका है. भिलाई स्टील प्लांट से बहकर आने वाले इस पानी की वजह से न सिर्फ खेतों की उर्वरक क्षमता कम हो रही है बल्कि चर्म रोग के मरीज भी बढ़ रहे हैं.

दल्लीराजहरा के ग्रामीण कई साल से लाल पानी का दंश झेल रहे हैं. इस जहरीले पानी ने यहां के आम लोगों के साथ ही यहां के किसानों की भी पीड़ा बढ़ा दी है. खदानों और संयंत्र से निकलने वाले डस्ट ने बहुत पहले ही यहां खेतों पर अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया था.

अब इन खेतों में हितेकसा जलाशय से लाल पानी छोड़ा जा रहा है. जो तेजी से मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कम कर रहा है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि हितेकसा वही जलाशय है जिसमें भिलाई संयंत्र आपना वेस्ट पानी जमा करता है और समय-समय पर इसे ग्रामीण इलाकों में छोड़ा जा रहा है.

लोगों को बीमार कर रहा है ये पानी
लाल पानी फसलों के साथ ही लोगों की सेहत पर गहरा प्रभाव छोड़ रहा है. यहां कई गांव ऐसे हैं, जहां पीने से लेकर रोजमर्रा के हर काम में यही पानी उपयोग हो रहा है. स्थानीय निवासियों की सेहत पर असर पड़ रहा है और चर्म रोग के मरीज बढ़ रहे हैं.

पढे़ं :जशपुर: गड्ढों में सड़क या सड़क में गड्ढे, प्रशासन को जगाने रोड पर रोपा धान

गांववालों को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला
ऐसा नहीं है कि गांववालों ने अपनी परेशानी किसी से नहीं कही. वे कहते हैं कि चर्म रोग, खुजली की शिकायत है. ग्रामीण कहते हैं कि अफसरों के सामने वे अपनी परेशानी लेकर गए लेकिन कोई निराकरण नहीं मिला. इस लाल मिट्टी को हटाने के लिए प्रशासन ने पहल की बात कही थी, मुआवजे का आश्वासन दिया था लेकिन आज तक गांववालों के हाथ कुछ नहीं आया.

भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने प्रभावितों को पावर प्लांट में रोजगार देने की बात कही थी लेकिन अब तक किसी को नौकरी नहीं मिली है.
हाल ही में आड़ेझर के ग्रामीण इसी लाल पानी प्रभावित सूची से गांव का नाम गायब हो जाने पर लाल पानी लेकर कलेक्टर ऑफिस पहुंच गए थे. हालांकि यहां रहने वाले आज भी समस्या के निदान की राह देख रहे हैं.

Intro:बालोद।

बालोद जिले के दल्ली राजहरा शहर का नाम जहां लौह अयस्क के कारण खनिज नगरी पड़ा है तो वहीं इसके कारण दल्ली राजहरा शहर व उसके आसपास के ग्रामीण लाल पानी सालों से झेल रहे हैं माइंस से बहकर आने वाला लाल पानी स्थानीय लोगों के जी का जंजाल बन गया है हर स्तर पर यहां के लोगों ने समस्या के निराकरण के लिए मांग उठाई है लेकिन इनका नीरा करने के लिए आज तक कोई ठोस पहल नहीं किया गया है जिसके कारण इनका जीवन दिनोंदिन बदहाल होता जा रहा है।


Body:वीओ - ग्रामीणों ने बताया कि लाल पानी के वजह से उनका पूरा खेत बर्बाद हो गया है वहीं इस तारी व अन्य चीजों के लिए बनाए गए तालाब भी पूरी तरह प्रभावित हो चुके हैं इस पानी के साथ माइंस का वेस्टेज धूल मिट्टी भी बेहतर आते हैं जो कि आम लोगों और फसलों के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो रहा है ग्रामीणों ने आगे यह भी बताया कि लाल पानी में निस्तारित करने के चलते यहां के लोगों मैं चर्म रोग खुजली आदि की शिकायत आ रही है परंतु करे तो क्या करें अपनी मांग तो उठाते हैं पर निराकरण नहीं मिल पाता है।

वीओ - ग्रामीणों ने आगे अभी बताया कि दल्ली राजहरा व उसके आसपास के लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित दर्जनों गांव में भिलाई इस्पात संयंत्र महेश क्षेत्र से बहकर लाल पानी आता है जो कि खेतों में बुरी तरह जम गया है उर्वरक क्षमता खत्म हो रहा है और फसलें भी बर्बाद हो रही है इस लाल मिट्टी को हटाने के लिए प्रशासन द्वारा पहल करने की बात कही गई थी परंतु कुछ नहीं हुआ यहां तक कि मुआवजे की बात भी कही गई थी परंतु नाम मात्र के लिए कुछ लोगों को मुआवजा दिया गया है और फसल चौपट होने के कारण उनके रोजगार पर भी खतरा मंडरा रहा है।

वीओ - हितेकसा नामक जलाशय से यहां लाल पानी आता है प्रबंधन को इसके लिए कोई ठोस पहल करनी चाहिए वही रोजगार संबंधी समस्या के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा प्रभावितों को यहां पावर प्लांट में रोजगार देने की बात कही गई थी परंतु अब तक ऐसे किसी तरह रोजगार नहीं दिया गया है जिसके कारण ग्रामीण काफी परेशान हैं।


Conclusion:जहां विकास होता है वहां विनाश भी होता है इस बात को सार्थक करता हुआ यह नजारा है जहां लाल पानी से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है एक तरफ जहां बालोद जिले के दल्ले राजनगर से खनिज की आपूर्ति भिलाई इस्पात संयंत्र को होती है परंतु स्थानीय लोगों को इसका लाभ आज तक नहीं मिल पाया है और विकास के साथ-साथ पर्यावरण ही हमारा संकल्प की बात शासन-प्रशासन कहती है पर यहां पर्यावरण का बेजा दोहन हो रहा है।

बाइट - राधेश्याम यादव , पीड़ित

बाइट - नंदू राम, पीड़ित

बाइट - देवकुंवर बाई ,पीड़ित

बाइट - गंगाराम रावटे ,पीड़ित

पीटीसी - दानवीर साहू, ईटीवी भारत
Last Updated : Sep 23, 2019, 3:17 PM IST
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