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दीवारों पर वर्णमाला लिखकर शिक्षा की ज्योत जला रही नीलिमा - बालोद में हिन्द सेना ने की मदद

बालोद के गुजरा गांव में नीलिमा श्याम शिक्षा की ज्योत जला रही है. दिवारों पर वर्णमाला लिखकर बच्चों को शिक्षा दे रही है. नीलिमा श्याम 4 साल से बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही है. बालोद जिले में नीलिमा के काम को सराहा जा रहा है.

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दीवारों पर वर्णमाला लिखकर शिक्षा की ज्योत जला रही नीलिमा
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Published : Jan 6, 2021, 11:07 PM IST

Updated : Jan 7, 2021, 4:13 AM IST

बालोद: वो कहते हैं न जहां चाह है, वहां राह है. संसाधनों का रोना तो वे रोते हैं, जिन्हें बहानें करने होते हैं. जिनमें कुछ कर गुजरने की चाह हो, तो मन की आखों में एक दीवार भी कंप्यूटर का स्क्रीन नजर आता है. ऐसे ही अदम्य साहस के साथ नीलिमा श्याम शिक्षा की ज्योत जला रही है. नीलिमा श्याम गुजरा गांव की रहने वाली है. वे 4 साल से बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही है.

दीवारों पर वर्णमाला लिखकर शिक्षा की ज्योत जला रही नीलिमा

पढ़ें: SPECIAL: शिक्षाविदों ने कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा को बताया बेहतर विकल्प, हायर सेकेंडरी की कक्षाएं खोलने की मांग

दीवारों को बनाया ब्लैक बोर्ड

गुजरा गांव की गलियों में एक अनूठा एहसास होता है. दीवारों पर अंग्रेजी के वर्णमाला छपे हुए हैं. दीवारों पर गणित के सवाल भी देखने को मिलेंगे. कविता से लेकर कहानियां और शिक्षाप्रद बातें दीवारों पर छपी हुई है. ETV भारत की टीम ने इन दीवारों पर लिखे शिक्षा संबंधी लेख के बारे में गांव के लोगों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि यह सब नीलिमा ने लिखा है. वह पढ़ाई में बेहद कुशल है. हर बच्चों को पढ़ाई में आगे रखना चाहती है.

पढ़ें: SPECIAL: कब अनलॉक होंगे स्कूल ? पैरेंट्स के बीच कोरोना का खौफ, नहीं भेजना चाहते बच्चों को स्कूल

कैसे आई प्रेरणा ?

नीलिमा श्याम ने बताया कि गांव में बच्चों से मिलती थी तो पढ़ाई में कमजोर पाती थी. जिसके बाद उसने सभी को शिक्षित करने को ठाना और निशुल्क बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. 4 साल में 2 वर्ष थोड़ा-थोड़ा समय बच्चों को दिया. बाकी समय में वो खुद पढ़ाई कर रही थी. पढ़ते-पढ़ते बच्चों को भी पढ़ा रही थी. 2 साल बीतने के बाद बच्चों को अब पूरा समय दे रही है. नीलिमा कभी गांव की गलियों में, तो कभी किसी के घर में बच्चों को पढ़ाती दिख जाती है. बच्चों को पढ़ाई योग्य जगह मिलते ही वो पढ़ाने लग जाती है.

आई कई समस्याएं

नीलिमा श्याम ने बताया कि उनके सामने कई सारी समस्याएं आई. आर्थिक समस्या सबसे ज्यादा थी. वे खुद एक छोटे परिवार से है. इतना ही नहीं वह बेरोजगार भी है. नीलिमा के पास केवल शिक्षा का भंडार है. जिसे वह बच्चों में बांट रही है. नीलिमा बिना संसाधनों के बच्चों को पढ़ा रही है. उनकी शिक्षा को सारा बालोद जिला सलाम कर रहा है, लेकिन एक सच ये भी है कि अबतक कोई भी उसकी मदद के लिए सामने नहीं आया है.

हिंदू सेना ने की मदद

हिन्दू सेना के लोग दीवार पर लेखन को देखकर प्रभावित हुए और नीलिमा के बारे में पूरी जानकारी ली. हिंदू सेना के कार्यकारी अध्यक्ष तरुण नाथ योगी की टीम गांव पहुंची. गांव में ब्लैक बोर्ड सहित स्टेशनरी सामान वितरित किया. नीलिमा ने इन सभी का आभार जताया. उन्होंने कहा कि ऐसी मदद से मुझे प्रोत्साहन मिलती है. मैं और आगे बेहतर करने का प्रयास करूंगी.

नीलिमा के पास गरीब बच्चे आ रहे पढ़ने

तरुण नाथ योगी ने बताया कि नीलिमा से हम सब काफी प्रेरित हैं. बहुत कम ऐसे लोग होते हैं, जो खुद के बारे में न सोच कर दूसरों के बारे में सोचते हैं. नीलिमा के पास हर वर्ग के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. क्लास में गरीब बच्चे आते हैं. अबतक कोई मदद के लिए नहीं आया था. हमें मदद करके काफी अच्छा लग रहा है. शिक्षा के इस कार्य में सब को आगे आना चाहिए.


किताब ही नहीं शारीरिक शिक्षा भी दे रही नीलिमा

नीलिमा बच्चों को केवल किताबी शिक्षा ही नहीं देती है. वे उन्हें आध्यात्म और शारीरिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी दे रही है. रविवार को खेलकूद भी कराया जाता है. नीलिमा का परिवार खुलकर नीलिमा का समर्थन कर रहा है. अब जरूरत है कि समाज और प्रशासन भी नीलिमा का समर्थन करे.

बालोद: वो कहते हैं न जहां चाह है, वहां राह है. संसाधनों का रोना तो वे रोते हैं, जिन्हें बहानें करने होते हैं. जिनमें कुछ कर गुजरने की चाह हो, तो मन की आखों में एक दीवार भी कंप्यूटर का स्क्रीन नजर आता है. ऐसे ही अदम्य साहस के साथ नीलिमा श्याम शिक्षा की ज्योत जला रही है. नीलिमा श्याम गुजरा गांव की रहने वाली है. वे 4 साल से बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही है.

दीवारों पर वर्णमाला लिखकर शिक्षा की ज्योत जला रही नीलिमा

पढ़ें: SPECIAL: शिक्षाविदों ने कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा को बताया बेहतर विकल्प, हायर सेकेंडरी की कक्षाएं खोलने की मांग

दीवारों को बनाया ब्लैक बोर्ड

गुजरा गांव की गलियों में एक अनूठा एहसास होता है. दीवारों पर अंग्रेजी के वर्णमाला छपे हुए हैं. दीवारों पर गणित के सवाल भी देखने को मिलेंगे. कविता से लेकर कहानियां और शिक्षाप्रद बातें दीवारों पर छपी हुई है. ETV भारत की टीम ने इन दीवारों पर लिखे शिक्षा संबंधी लेख के बारे में गांव के लोगों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि यह सब नीलिमा ने लिखा है. वह पढ़ाई में बेहद कुशल है. हर बच्चों को पढ़ाई में आगे रखना चाहती है.

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कैसे आई प्रेरणा ?

नीलिमा श्याम ने बताया कि गांव में बच्चों से मिलती थी तो पढ़ाई में कमजोर पाती थी. जिसके बाद उसने सभी को शिक्षित करने को ठाना और निशुल्क बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. 4 साल में 2 वर्ष थोड़ा-थोड़ा समय बच्चों को दिया. बाकी समय में वो खुद पढ़ाई कर रही थी. पढ़ते-पढ़ते बच्चों को भी पढ़ा रही थी. 2 साल बीतने के बाद बच्चों को अब पूरा समय दे रही है. नीलिमा कभी गांव की गलियों में, तो कभी किसी के घर में बच्चों को पढ़ाती दिख जाती है. बच्चों को पढ़ाई योग्य जगह मिलते ही वो पढ़ाने लग जाती है.

आई कई समस्याएं

नीलिमा श्याम ने बताया कि उनके सामने कई सारी समस्याएं आई. आर्थिक समस्या सबसे ज्यादा थी. वे खुद एक छोटे परिवार से है. इतना ही नहीं वह बेरोजगार भी है. नीलिमा के पास केवल शिक्षा का भंडार है. जिसे वह बच्चों में बांट रही है. नीलिमा बिना संसाधनों के बच्चों को पढ़ा रही है. उनकी शिक्षा को सारा बालोद जिला सलाम कर रहा है, लेकिन एक सच ये भी है कि अबतक कोई भी उसकी मदद के लिए सामने नहीं आया है.

हिंदू सेना ने की मदद

हिन्दू सेना के लोग दीवार पर लेखन को देखकर प्रभावित हुए और नीलिमा के बारे में पूरी जानकारी ली. हिंदू सेना के कार्यकारी अध्यक्ष तरुण नाथ योगी की टीम गांव पहुंची. गांव में ब्लैक बोर्ड सहित स्टेशनरी सामान वितरित किया. नीलिमा ने इन सभी का आभार जताया. उन्होंने कहा कि ऐसी मदद से मुझे प्रोत्साहन मिलती है. मैं और आगे बेहतर करने का प्रयास करूंगी.

नीलिमा के पास गरीब बच्चे आ रहे पढ़ने

तरुण नाथ योगी ने बताया कि नीलिमा से हम सब काफी प्रेरित हैं. बहुत कम ऐसे लोग होते हैं, जो खुद के बारे में न सोच कर दूसरों के बारे में सोचते हैं. नीलिमा के पास हर वर्ग के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. क्लास में गरीब बच्चे आते हैं. अबतक कोई मदद के लिए नहीं आया था. हमें मदद करके काफी अच्छा लग रहा है. शिक्षा के इस कार्य में सब को आगे आना चाहिए.


किताब ही नहीं शारीरिक शिक्षा भी दे रही नीलिमा

नीलिमा बच्चों को केवल किताबी शिक्षा ही नहीं देती है. वे उन्हें आध्यात्म और शारीरिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी दे रही है. रविवार को खेलकूद भी कराया जाता है. नीलिमा का परिवार खुलकर नीलिमा का समर्थन कर रहा है. अब जरूरत है कि समाज और प्रशासन भी नीलिमा का समर्थन करे.

Last Updated : Jan 7, 2021, 4:13 AM IST
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