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सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' उपेक्षा की शिकार

बालोद के पैरी ग्राम पंचायत में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बारी का सही क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण इस योजना के तहत काम कर रही महिलाओं ने सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की है.

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Published : Mar 17, 2020, 10:24 AM IST

Updated : Mar 17, 2020, 1:24 PM IST

Narva, Garva, Ghurwa, Bari, not being implemented properly in balod
सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरुवा, बारी, का नहीं हो रहा सही क्रियान्वयन

बालोद: गुंडरदेही ब्लॉक मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर स्थित पैरी ग्राम पंचायत में नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी योजना के अंतर्गत स्व सहायता समूह और जय बिहान शीतला समूह की ओर से सब्जियों की खेती की जा रही है.

'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' योजना उपेक्षा की शिकार

स्व सहायता समूह में काम कर रही महिलाओं ने बताया कि शुरुआत में अधिकारी और पंचायत सचिव ने खेती करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया था, साथ ही कहा था कि जो खेती में काम करेगा, उसके लिए राज्य सरकार की ओर से एक एकड़ जमीन दिया जाएगा. जमीन के साथ पानी की सुविधा भी शासन की ओर से दी जाएगी. उन्होंने बताया कि उन्हें कहा गया था कि खेती में काम करने के एवज में उन्हें महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरी का भुगतान किया जाएगा, लेकिन स्व सहायता समूह में काम कर रही महिलाओं का कहना है कि ये सभी बातें कहकर उनसे जैविक सब्जियों की खेती करवा ली गई, लेकिन धरातल पर यह पता चला कि विगत 3-4 माह से उस गांव के स्व सहायता समूह की महिलाओं को खुद सब्जियों की खेती करनी पड़ रही है और इसका उन्हें कोई मुनाफा नहीं मिल पा रहा है.

महिलाओं में सरकार के प्रति नाराजगी

महिलाओं ने सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि पहले 15 सदस्य एक समूह में थे, जिसमें लगभग एक समूह में 7 सदस्य ही बचे हैं. उन्होंने बताया कि 3-4 महीने में 7 महिला सदस्यों ने मिलकर मात्र 2000 रुपए की सब्जी बेची है, जबकि शासन रोजगार गारंटी योजना के तहत 176 रूपए मजदूरी देती है. महिलाओं ने कहा कि सरकार की योजना फेल होती नजर आ रही है, ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति दिनोंदिन कमजोर होती जा रही है, फिर भी स्थानीय प्रशासन इन महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं कर रहा है. महिलाओं का कहना है कि स्थानीय अधिकारी कभी भी खेतों में निरीक्षण करने नहीं आते हैं, महिलाएं सब्जी तोड़ने के बाद बस से 10 किलोमीटर का सफर करके सब्जी बेचकर आती हैं, लेकिन मुनाफा नहीं मिलने के कारण वे आर्थिक संकट से जूझ रही हैं.

बालोद: गुंडरदेही ब्लॉक मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर स्थित पैरी ग्राम पंचायत में नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी योजना के अंतर्गत स्व सहायता समूह और जय बिहान शीतला समूह की ओर से सब्जियों की खेती की जा रही है.

'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' योजना उपेक्षा की शिकार

स्व सहायता समूह में काम कर रही महिलाओं ने बताया कि शुरुआत में अधिकारी और पंचायत सचिव ने खेती करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया था, साथ ही कहा था कि जो खेती में काम करेगा, उसके लिए राज्य सरकार की ओर से एक एकड़ जमीन दिया जाएगा. जमीन के साथ पानी की सुविधा भी शासन की ओर से दी जाएगी. उन्होंने बताया कि उन्हें कहा गया था कि खेती में काम करने के एवज में उन्हें महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरी का भुगतान किया जाएगा, लेकिन स्व सहायता समूह में काम कर रही महिलाओं का कहना है कि ये सभी बातें कहकर उनसे जैविक सब्जियों की खेती करवा ली गई, लेकिन धरातल पर यह पता चला कि विगत 3-4 माह से उस गांव के स्व सहायता समूह की महिलाओं को खुद सब्जियों की खेती करनी पड़ रही है और इसका उन्हें कोई मुनाफा नहीं मिल पा रहा है.

महिलाओं में सरकार के प्रति नाराजगी

महिलाओं ने सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि पहले 15 सदस्य एक समूह में थे, जिसमें लगभग एक समूह में 7 सदस्य ही बचे हैं. उन्होंने बताया कि 3-4 महीने में 7 महिला सदस्यों ने मिलकर मात्र 2000 रुपए की सब्जी बेची है, जबकि शासन रोजगार गारंटी योजना के तहत 176 रूपए मजदूरी देती है. महिलाओं ने कहा कि सरकार की योजना फेल होती नजर आ रही है, ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति दिनोंदिन कमजोर होती जा रही है, फिर भी स्थानीय प्रशासन इन महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं कर रहा है. महिलाओं का कहना है कि स्थानीय अधिकारी कभी भी खेतों में निरीक्षण करने नहीं आते हैं, महिलाएं सब्जी तोड़ने के बाद बस से 10 किलोमीटर का सफर करके सब्जी बेचकर आती हैं, लेकिन मुनाफा नहीं मिलने के कारण वे आर्थिक संकट से जूझ रही हैं.

Last Updated : Mar 17, 2020, 1:24 PM IST
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