बलोद: कोरोना संक्रमण की बढ़ती संख्या को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में हर वर्ग को कहीं न कहीं तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा तकलीफ फूलों की खेती करने वाले किसानों को झेलनी पड़ रही है. पूरे बालोद जिले में जिला मुख्यालय के पास एक किसान तीन प्रकार के फूलों की खेती करता है, लेकिन इस साल न नवरात्रि में मंदिरों के पट खुले और ना ही अब तक शादियों की शहनाइयां बजीं, लिहाजा फूलों की खेती करने वालों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
किसान आयुष पटेल ने बताया कि 'लगभग ढाई साल से वो फूलों की खेती कर रहे हैं. लेकिन यह पहली बार हुआ है ,जब ऐसा नुकसान उन्हें झेलना पड़ रहा है'. उन्होंने बताया कि 'सबसे ज्यादा नुकसान तो हमें झेलना पड़ा क्योंकि छत्तीसगढ़ में 21 मार्च से नहीं बल्कि 19 मार्च से ही लागू हो गया था'. किसान ने कहा कि 'न शादियां हो रही हैं और न ही नवरात्रि में मंदिरों के पट खुले थे. इसकी वजह से किसान को भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ रहा है, पौधे सूख रहे हैं. रजनीगंधा की फूल भी सूख रहे हैं, जिससे लाखों रुपए का नुकसान कृषकों को उठाना पड़ रहा है'.
किसानों पर पड़ रही दोहरी मार
किसान बताते हैं कि उनके खेत में गेंदा, ग्लेडियोलस और रजनीगंधा की खेती की गई थी. लेकिन डिमांड ही नहीं होने के कारण फूल तोड़कर क्या होगा. वहीं किसानों ने बताया कि फूल तोड़ना भी जरूरी है. अगर वे फूलों को नहीं तोड़ते हैं तो वह पूरा पौधा बर्बाद कर देता है. जिसके लिए फूल का तोड़ना बेहद जरूरी है. किसान बताते हैं कि हमें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.