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सिलेंडर के दाम पहुंचे आसमान पर, बालोद में महिलाएं चूल्हा जलाने को मजबूर

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Published : Dec 16, 2022, 6:36 PM IST

रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों ने बालोद की महिलाओं को फिर से चूल्हा फूंकने पर मजबूर कर दिया है. Cylinder prices rapidly increasing महिलाओं को स्वच्छ ईंधन और धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार की उज्जवला योजना अब बढ़ते रसोई गैस सिलेंडर की कीमत की वजह से दम तोड़ती नजर आ रही है. Ujjwala Yojana पूर्व की तरह ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों में महिलाओं को लकड़ी से चूल्हा जलाकर खाना पकाना पड़ रहा है.

Cylinder prices skyrocketed
सिलेंडर के दाम पहुंचे आसमान पर
सिलेंडर के दाम पहुंचे आसमान पर

बालोद: Cylinder prices rapidly increasing ग्रामीण सहित शहरी क्षेत्र की महिलाओं के लिए भी महंगाई के इस दौर में गैस सिलेंडर भरा पाना बेहद मुश्किल है. ज्यादातर महिलाओं ने बताया कि महंगाई के इस दौर में अगर गैस भरवाएंगे तो घर का बजट बिगड़ जाएगा. Ujjwala Yojana ऐसे में न तो घर में खाना बन पाएगा और न ही अन्य सामानों की पूर्ति हो सकेगी. ऐसे में अब पुराने तौर तरीके अपनाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है.Ujjwala Yojana



आसमान पर सिलेंडर के दाम: शासन द्वारा महिलाओं को चूल्हे के धुएं से आजादी दिलाने उज्जवला योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन आज गैस सिलेंडर के दाम इतने बढ़ गए हैं कि इसे रीफिल कराना भी मुश्किल हो गया है. सिलेंडर का दाम वर्तमान में बालोद जिले में 1145 रुपए चल रहा है.

जंगल की लकड़ी पर निर्भर है खाना बनाना: बालोद से सटे जंगलों में जाने के लिए आसपास की महिलाओं को सीमित समय दिया जाता है. वन विभाग के माध्यम से एक माह में 3 दिन जंगलों में प्रवेश के लिए दिया जाता है. इस दौरान महिलाएं समूहों में जंगल जाती है. जहां से वे सूखी लकड़ियां लेकर आती हैं. इसी से ही उनके घर का चूल्हा जल पाता है. बाकी समय जंगलों में लकड़ी लाने के लिए लोगों का प्रवेश वर्जित रहता है.

यह भी पढ़ें: बालोद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल, कई सेंटर्स पर काम काज प्रभावित



लकड़ी के लिए जद्दोजहद: महिलाओं को लकड़ी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है. सीमित समय जंगलों में एंट्री के लिए रहता है. इसलिए वे सुबह 3 से 4 बजे जंगलों में प्रवेश करते हैं. सुबह 7 से 8 बजे के बीच जंगलों से वापसी होती है. सिर पर लकड़ी का बुझा लिए वे जंगलों से लंबी दूरी तय कर अपने घर को पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि सूखी लकड़ी के लिए जंगलों के भीतर भीतर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है.

सिलेंडर के दाम पहुंचे आसमान पर

बालोद: Cylinder prices rapidly increasing ग्रामीण सहित शहरी क्षेत्र की महिलाओं के लिए भी महंगाई के इस दौर में गैस सिलेंडर भरा पाना बेहद मुश्किल है. ज्यादातर महिलाओं ने बताया कि महंगाई के इस दौर में अगर गैस भरवाएंगे तो घर का बजट बिगड़ जाएगा. Ujjwala Yojana ऐसे में न तो घर में खाना बन पाएगा और न ही अन्य सामानों की पूर्ति हो सकेगी. ऐसे में अब पुराने तौर तरीके अपनाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है.Ujjwala Yojana



आसमान पर सिलेंडर के दाम: शासन द्वारा महिलाओं को चूल्हे के धुएं से आजादी दिलाने उज्जवला योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन आज गैस सिलेंडर के दाम इतने बढ़ गए हैं कि इसे रीफिल कराना भी मुश्किल हो गया है. सिलेंडर का दाम वर्तमान में बालोद जिले में 1145 रुपए चल रहा है.

जंगल की लकड़ी पर निर्भर है खाना बनाना: बालोद से सटे जंगलों में जाने के लिए आसपास की महिलाओं को सीमित समय दिया जाता है. वन विभाग के माध्यम से एक माह में 3 दिन जंगलों में प्रवेश के लिए दिया जाता है. इस दौरान महिलाएं समूहों में जंगल जाती है. जहां से वे सूखी लकड़ियां लेकर आती हैं. इसी से ही उनके घर का चूल्हा जल पाता है. बाकी समय जंगलों में लकड़ी लाने के लिए लोगों का प्रवेश वर्जित रहता है.

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लकड़ी के लिए जद्दोजहद: महिलाओं को लकड़ी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है. सीमित समय जंगलों में एंट्री के लिए रहता है. इसलिए वे सुबह 3 से 4 बजे जंगलों में प्रवेश करते हैं. सुबह 7 से 8 बजे के बीच जंगलों से वापसी होती है. सिर पर लकड़ी का बुझा लिए वे जंगलों से लंबी दूरी तय कर अपने घर को पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि सूखी लकड़ी के लिए जंगलों के भीतर भीतर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है.

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