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शासन नहीं ग्रामीणों ने खुद निकाला फ्लोराइड जल का हल, अब नहीं बीमारी का डर - PHE fluoride removal plant plan fails

बालोद जिले का एक गांव फ्लोराइड के पानी से परेशान था. प्रशासन की मदद भी नाकाफी साबित हुई. आखिरकार ग्रामीणों ने वो किया जो आज दूसरे गांवों के लिए नजीर(Clean water reached Balod Gureda village) है.

Clean water reached Balod Gureda village
बालोद के गुरेदा गांव में पहुंचा साफ पानी
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Published : Jun 21, 2022, 5:52 PM IST

Updated : Jun 22, 2022, 1:11 AM IST

बालोद : जिले के गुंडरदेही ब्लॉक अंतर्गत ग्राम गुरेदा (Gundardehi Block of Balod District) के ग्रामीण फ्लोराइड पानी की समस्या से जूझ रहे (Clean water reached Balod Gureda village) थे. बच्चों में असमय दांत में कालापन , ज्वाइंट पेन और दांत में टेड़ेपन की समस्या आ रही है. ग्रामीणों में घुटनों के दर्द, जोड़ों में दर्द की शिकायत बनी रहती है. गांव के ग्रामीणों ने अपनी व्यथा ईटीवी भारत को बताई है. प्रशासन ने कुछ साल पहले यहां पर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाया गया था. लेकिन आज ये प्लांट सफेद हाथी साबित हो रहा है. जिसके कारण ग्रामीण उसी गंदे पानी को पीने के लिए मजबूर थे. लेकिन ग्रामीणों ने कुछ ऐसा किया कि अब बीमारों की संख्या में कमी आ रही है.

बालोद के गुरेदा गांव में पहुंचा साफ पानी


कितनी साल पुरानी है समस्या : ग्रामीणों ने बताया कि ''उनके गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा (Fluoride mixed water has trouble in the gureda) है और यह पानी पीने योग्य नहीं है. ग्रामीण भूमिगत जल स्रोत का सेवन नहीं करना चाहते क्योंकि वह इस बीमारी से घबराते हैं. परंतु सारी कोशिशों के बावजूद भी समस्या धरी की धरी रह गई. जब शासन और प्रशासन गांव को फ्लोराइड की समस्या से निजात दिलाने में फेल होती नजर आई तो खुद ग्रामीणों ने इसका निराकरण करने का बीड़ा उठाया.जिसके लिए नदी के पानी में बोर की व्यवस्था करके गांव तक पानी पहुंचाया गया.''

घर-घर पहुंचा साफ पानी : पीएचई की फ्लोराइड रिमूवल प्लांट योजना फेल (PHE fluoride removal plant plan fails) होने के बाद ग्रामीणों ने विभाग से पाइप लाइन बिछाने की मांग की. लंबे समय तक मांग पूरी नहीं होने पर ग्रामीणों ने चंदा कर 3 लाख रुपए जुटाए. इसके बाद तांदुला नदी के किनारे हिस्से में बोर खनन करवा कर पंप लगवाया. गांव तक पाइपलाइन बिछवाई. बीते 10 वर्षों से पूरा गांव तांदुला नदी के पानी का इस्तेमाल कर रहा है. गांव को दूषित पानी से भी मुक्ति मिल गई है. नदी से साफ पानी पहुंच रहा है.


गांव में साफ पानी तीन बार : ग्रामीणों ने बताया कि ''गांव में तीन बार सुबह दोपहर और शाम को पानी की सप्लाई की जाती है.वर्तमान में डेढ़ सौ निजी और 10 सार्वजनिक कनेक्शन हैं. शुरुआत में बजट कम होने के कारण प्लास्टिक पाइप का इस्तेमाल किया गया था जिन्हें अब लोहे के पाइप में बदल दिया गया है.''

प्रशासन की अनदेखी : पीएचई विभाग के माध्यम से यहां पर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट की स्थापना की गई थी. गांव में चार फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए थे. लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि ''चारों फ्लोराइड रिमूवल प्लांट किसी काम के नहीं हैं. दो प्लांट में पानी तो आता है लेकिन रिमूवल प्लांट बंद है. इसे पूरा बंद भी कहा जा सकता है .वहीं दो प्लांट ऐसे हैं जिसमें से एक आंगनबाड़ी के पास स्थापित है और दूसरा स्कूल परिसर में दोनों रिमूवल प्लांट आज धूल खा रहे हैं और कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं .''

ये भी पढ़ें- बालोद के पानी में किसने मिलाया जहर ?

जल जीवन का सपना कब होगा पूरा : कलेक्टर ने बताया कि ''जिले में जिन गांव में फ्लोराइड के तत्व पाए जाते हैं. उनमें से एक गांव गुरेदा भी शामिल है. जो कि प्रशासन की निगरानी में है. यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था ग्रामीणों के माध्यम से की गई है.जल्द ही जल जीवन मिशन के तहत पेयजल की सप्लाई की जाएगी. यहां पर जल जीवन मिशन योजना के तहत टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.''

बालोद : जिले के गुंडरदेही ब्लॉक अंतर्गत ग्राम गुरेदा (Gundardehi Block of Balod District) के ग्रामीण फ्लोराइड पानी की समस्या से जूझ रहे (Clean water reached Balod Gureda village) थे. बच्चों में असमय दांत में कालापन , ज्वाइंट पेन और दांत में टेड़ेपन की समस्या आ रही है. ग्रामीणों में घुटनों के दर्द, जोड़ों में दर्द की शिकायत बनी रहती है. गांव के ग्रामीणों ने अपनी व्यथा ईटीवी भारत को बताई है. प्रशासन ने कुछ साल पहले यहां पर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाया गया था. लेकिन आज ये प्लांट सफेद हाथी साबित हो रहा है. जिसके कारण ग्रामीण उसी गंदे पानी को पीने के लिए मजबूर थे. लेकिन ग्रामीणों ने कुछ ऐसा किया कि अब बीमारों की संख्या में कमी आ रही है.

बालोद के गुरेदा गांव में पहुंचा साफ पानी


कितनी साल पुरानी है समस्या : ग्रामीणों ने बताया कि ''उनके गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा (Fluoride mixed water has trouble in the gureda) है और यह पानी पीने योग्य नहीं है. ग्रामीण भूमिगत जल स्रोत का सेवन नहीं करना चाहते क्योंकि वह इस बीमारी से घबराते हैं. परंतु सारी कोशिशों के बावजूद भी समस्या धरी की धरी रह गई. जब शासन और प्रशासन गांव को फ्लोराइड की समस्या से निजात दिलाने में फेल होती नजर आई तो खुद ग्रामीणों ने इसका निराकरण करने का बीड़ा उठाया.जिसके लिए नदी के पानी में बोर की व्यवस्था करके गांव तक पानी पहुंचाया गया.''

घर-घर पहुंचा साफ पानी : पीएचई की फ्लोराइड रिमूवल प्लांट योजना फेल (PHE fluoride removal plant plan fails) होने के बाद ग्रामीणों ने विभाग से पाइप लाइन बिछाने की मांग की. लंबे समय तक मांग पूरी नहीं होने पर ग्रामीणों ने चंदा कर 3 लाख रुपए जुटाए. इसके बाद तांदुला नदी के किनारे हिस्से में बोर खनन करवा कर पंप लगवाया. गांव तक पाइपलाइन बिछवाई. बीते 10 वर्षों से पूरा गांव तांदुला नदी के पानी का इस्तेमाल कर रहा है. गांव को दूषित पानी से भी मुक्ति मिल गई है. नदी से साफ पानी पहुंच रहा है.


गांव में साफ पानी तीन बार : ग्रामीणों ने बताया कि ''गांव में तीन बार सुबह दोपहर और शाम को पानी की सप्लाई की जाती है.वर्तमान में डेढ़ सौ निजी और 10 सार्वजनिक कनेक्शन हैं. शुरुआत में बजट कम होने के कारण प्लास्टिक पाइप का इस्तेमाल किया गया था जिन्हें अब लोहे के पाइप में बदल दिया गया है.''

प्रशासन की अनदेखी : पीएचई विभाग के माध्यम से यहां पर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट की स्थापना की गई थी. गांव में चार फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए थे. लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि ''चारों फ्लोराइड रिमूवल प्लांट किसी काम के नहीं हैं. दो प्लांट में पानी तो आता है लेकिन रिमूवल प्लांट बंद है. इसे पूरा बंद भी कहा जा सकता है .वहीं दो प्लांट ऐसे हैं जिसमें से एक आंगनबाड़ी के पास स्थापित है और दूसरा स्कूल परिसर में दोनों रिमूवल प्लांट आज धूल खा रहे हैं और कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं .''

ये भी पढ़ें- बालोद के पानी में किसने मिलाया जहर ?

जल जीवन का सपना कब होगा पूरा : कलेक्टर ने बताया कि ''जिले में जिन गांव में फ्लोराइड के तत्व पाए जाते हैं. उनमें से एक गांव गुरेदा भी शामिल है. जो कि प्रशासन की निगरानी में है. यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था ग्रामीणों के माध्यम से की गई है.जल्द ही जल जीवन मिशन के तहत पेयजल की सप्लाई की जाएगी. यहां पर जल जीवन मिशन योजना के तहत टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.''

Last Updated : Jun 22, 2022, 1:11 AM IST

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