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मीसाबंदी मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पेंशन भुगतान का दिया आदेश

प्रदेशभर के मीसाबंदियों की पेंशन बंद किये जाने और राज्य शासन के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा रही है. जिसमें बारी-बारी से फैसले आ रहे हैं. हाईकोर्ट ने शासन को पेंशन का भुगतान करने का आदेश दिया है.

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : Jan 13, 2020, 1:01 PM IST

Updated : Jan 13, 2020, 8:25 PM IST

बिलासपुर: मीसाबंदी की विधवा के पक्ष में हाईकोर्ट ने फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने पति की मृत्यु के बाद शासन द्वारा रोकी गई आधे पेंशन का भुगतान करने का आदेश सरकार को दिया है.

पेंशन भुगतान का दिया आदेश

मीसाबंदियों की मृत्यु के बाद पत्नी को मिलने वाली आधी पेंशन का भुगतान सरकार द्वारा रोक दिया गया. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. मीसाबंदी मामले में ज्यादा तादाद में याचिकाएं होने की वजह से इनको लेकर जनहित याचिका भी दायर होने वाली है ताकि आने वाले दिनों में प्रदेश के सभी मीसाबंदियों को हाईकोर्ट से दी जाने वाली राहत का फायदा मिल सके. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की.

15 हजार रुपए का पेंशन देने का फैसला
बता दें कि आपातकाल के समय के मीसाबंदियों को तत्कालीन सरकार ने 15 हजार रुपए का पेंशन देने का फैसला लिया था, जिसे मौजूदा सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए रोक दिया गया था. इसे लेकर उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी. अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के इस फैसले से अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कही थी.

बिलासपुर: मीसाबंदी की विधवा के पक्ष में हाईकोर्ट ने फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने पति की मृत्यु के बाद शासन द्वारा रोकी गई आधे पेंशन का भुगतान करने का आदेश सरकार को दिया है.

पेंशन भुगतान का दिया आदेश

मीसाबंदियों की मृत्यु के बाद पत्नी को मिलने वाली आधी पेंशन का भुगतान सरकार द्वारा रोक दिया गया. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. मीसाबंदी मामले में ज्यादा तादाद में याचिकाएं होने की वजह से इनको लेकर जनहित याचिका भी दायर होने वाली है ताकि आने वाले दिनों में प्रदेश के सभी मीसाबंदियों को हाईकोर्ट से दी जाने वाली राहत का फायदा मिल सके. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की.

15 हजार रुपए का पेंशन देने का फैसला
बता दें कि आपातकाल के समय के मीसाबंदियों को तत्कालीन सरकार ने 15 हजार रुपए का पेंशन देने का फैसला लिया था, जिसे मौजूदा सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए रोक दिया गया था. इसे लेकर उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी. अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के इस फैसले से अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कही थी.

Intro:मीसाबंदि की पत्नी के पक्ष में हाईकोर्ट ने फैसला दिया है। पति की मृत्यु के बाद शासन द्वारा रोके गए आधे पेंशन के भुगतान का आदेश हाईकोर्ट ने शासन को दिया है। ज्ञात हो कि ,प्रदेशभर के मीसाबंदियों के पेंशन बंद किये जाने और राज्य शासन के निर्णय को HC में चुनौती दी जा रही है। जिसमें बारी-बारी फैसले आ रहे हैं। इमरजेंसी के समय के मीसाबंदियों की राज्य सरकार ने भौतिक सत्यापन और समीक्षा के निर्देश जारी करते हुए पेंशन पर रोक लगा दी है। जिसके बाद पिछले 9 महीनों से पेंशन बंद होने से मीसाबंदी परेशान है ।Body:बता दें कि आपातकाल के समय के मीसा बंदियों को तब की तत्कालीन सरकार ने ₹15000 पेंशन देने का फैसला लिया था। जिसे मौजूदा सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए रोक दिया। जिसको लेकर उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर कर चुनौती दी है। अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के इस फैसले से अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कही थी। ऐसा ही एक और मामला था जिसमें पति की मृत्यु के बाद पत्नी को मिलने वाली आधी पेंशन का भुगतान सरकार द्वारा रोक दिया गया।जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। Conclusion:मीसाबंदी मामले में अधिक तादाद में याचिकाएं होने की वजह से इनको लेकर जनहित याचिका भी दायर होने वाली है। ताकि आने वाले दिनों में प्रदेश के सभी मीसा बंदियों को हाईकोर्ट से दिए जाने वाले राहत का फायदा मिल सके।पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की।
Last Updated : Jan 13, 2020, 8:25 PM IST
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