बालोद: अब तक आपने पैडमेन के बारे में सुना होगा. लेकिन बालोद के गरूर ब्लॉक के ग्राम अरमरी कला में पैड वुमेंस हैं, जिन्होंने महिलाओं के दर्द को समझा और खुद बनाने लगी सैनेटरी पैड. दरअसल, बालोद जिले के गुरूर ब्लॉक के ग्राम अरमरी कला की आरती स्व-सहायता समूह की महिलाएं...जिन्होंने महिलाओं के दर्द को समझा और सेनेटरी पैड बनाने (Balod Gothan Sanitary Pads) लगी. आज इन महिलाओं के हौसले की हर ओर तारीफ हो रही है.
यहां स्वच्छता का ख्याल रखते हुए लोकल फॉर वोकल के उद्देश्य से सेनेटरी पैड का निर्माण किया जा रहा है. बालोद सहित पूरे दुर्ग संभाग में ये इकलौती जगह है, जहां महिलाएं गौठान के माध्यम से सेनेटरी पैड का निर्माण कर रही है. इन महिलाओं का सहयोग कुछ पुरुष भी कर रहे हैं. समूह में कुल 5 लोग निर्माण कार्य में लगे हुए हैं. कुल 15 लोगों की टीम काम कर रही है. सेनेटरी पैड को रिफ्रेश नाम की ब्रांडिंग दी गई है. कोई सोच भी नहीं सकता कि गौठानों में गायों की देखरेख के अलावा मातृशक्ति के स्वास्थ्य का भी सृजन किया जा रहा है. आज ऐसी योजनाओं से गुरुर ब्लॉक का नाम रोशन हो रहा है.
जिला प्रशासन और जनपद का मिला साथ: बालोद जिला प्रशासन एवं गुरुर जनपद पंचायत के मार्गदर्शन से महिलाओं ने इस कार्य की शुरुआत की. इस कार्य को बढ़ावा देने मशीन स्थापित करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा जिला खनिज संस्थान न्यास मध्य से भी इन्हें लगभग 10 लाख रुपए की मदद की गई. पहले ये एक पुरानी मशीन से काम किया करती थी.हालांकि बाद में ये नये मशीन में पैड का निर्माण करने लगीं. जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का भी इन्हें सहयोग मिलता है. इतना ही नहीं कलेक्टर भी यहां दौरा करके जाते हैं.
स्थानीय महिलाओं को जोड़ना उद्देश्य: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मास्टर ट्रेनर चंद्रहास साहू कहते हैं कि माहवारी जागरूकता अभियान के तहत जिले में अलग-अलग जगहों पर इनके द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जहां महिलाओं को माहवारी के समय होने वाली समस्याओं से अवगत कराया जाता है. गांव में भी महिलाएं जागरूक हो रही हैं. उनके लिए हम अभियान छेड़े हुए हैं.
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सीधे महिलाओं से मिल रही टीम: सेनेटरी पैड निर्माण के बाद मार्केटिंग का काम देख रही महिलाएं रानी गंगबेर और कौशल्या कहती हैं कि, अब तक उन्होंने किसी भी काउंटर या मेडिकल दुकान से संपर्क नहीं किया है. बल्कि वे सीधे महिलाओं से जुड़कर काम कर रही हैं. तब जाकर उनका लक्ष्य पूरा हो पा रहा है. महिलाओं को जागरूक करना और सेनेटरी पैड की खासियत बताना इनका उद्देश्य है.
ग्वालियर, दिल्ली, मुंबई से आ रहा कच्चा माल: टीम के सदस्य संतोष कुमार हिरवानी ने ईटीवी भारत से बताया कि, यहां पर सेनेटरी पैड निर्माण के लिए मुंबई, दिल्ली और ग्वालियर से कच्चा माल लाया जाता है. जिसके बाद यहां पर उसका निर्माण किया जाता है. आज इनकी डिमांड भी मार्केट में बढ़ती जा रही है'.
मार्केट से बेहतर है ये पैड: बताया जा रहा है कि, जिस उच्च स्तर का सेनेटरी पैड यहां पर निर्माण किया जा रहा है, वह बाजार के सेनेटरी पैड से काफी सुरक्षित और साइज में भी बड़ा होता है. यहां के सदस्यों की मानें तो माहवारी के समय जो रक्त स्राव होता है, उसमें बीमारी फैलाने वाले तत्व भी होते हैं. उन तत्व को इन पैड में जो चिप लगा रहता है वह वहीं खत्म कर देता है'.
जानिए कितना है प्रोडक्शन: मास्टर ट्रेनर चंद्रहास साहू कहते हैं कि वर्तमान में 15 दिन के प्रशिक्षण के बाद हमने काम शुरू किया है. 1 दिन में 120 सेनेटरी पैड का निर्माण 5 महिलाओं के माध्यम से किया जाता है. जिस मशीन के माध्यम से हम काम कर रहे हैं. वहां एक बार में 5 पैड का निर्माण होता है. उसके बाद उसकी कटिंग की जाती है. जिले में अभी हम मार्केटिंग शुरू कर रहे हैं. लेकिन व्यापार करना हमारा उद्देश्य नहीं है. महिलाएं कपड़ा से नाता तोड़े और सेनेटरी पैड से रिश्ता जोड़े. इस थीम को लेकर हम काम कर रहे हैं.
ऑनलाइन कंपनी भी आ रही आगे: इनके द्वारा निर्माण किए जा रहे सेनेटरी पैड को ऑनलाइन माध्यम से देखने के लिए टीम के सदस्य भी जुड़ रहे हैं. उनके द्वारा इनके प्रोडक्ट को पूरे भारत स्तर में कम मूल्यों में उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है. ताकि भारत की हर महिलाओं तक कम मूल्य में सुरक्षित स्वच्छ सेनेटरी पैड पहुंचे और कुशल भारत स्वस्थ भारत का निर्माण हो.
बदल रहा स्वरुप: दरअसल, गौठानों का स्वरूप भी अब बदल रहा है. गौठान में पहले गाय को लेकर ही बातें होती थी लेकिन यहां की महिलाएं स्वास्थ्य के लिए कार्य कर रही हैं. इनका कहना है कि हमने एक बंद कमरे से इस कार्य की शुरुआत की है और इसे हम इंडस्ट्री के रूप में देखना चाहते हैं. पूरे छत्तीसगढ़ में हमारे सैनेटरी पैड का विस्तार हो कम मूल्यों में सुरक्षित सैनेटरी पैड महिलाओं को मिल पाए, इसके लिए हम काम कर रहे हैं.