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बालोद : भित्ति चित्रों के लिए जाना जाता है 'चितवाडोंगरी', अब खंगाला जाएगा इतिहास

बालोद के डौंडीलोहारा विकासखंड क्षेत्र में चितवाडोंगरी भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है. जानकारी के मुताबिक यहां ऊंचे-ऊंचे चट्टानों में प्राचीन समय के भित्ति चित्र बनाए गए हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की आकृतियों को प्रदर्शित किया गया है. जिसका अब इतिहास भी खंगाला जाएगा.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र
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Published : Sep 5, 2020, 9:17 PM IST

बालोद : जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड क्षेत्र की एक जगह इन दिनों चर्चा में है. इस मनमोहन जगह को चितवाडोंगरी के नाम से जाना जाता है. यह जगह भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है. यहां प्राचीन समय के भित्ति चित्र बनाए गए हैं. जिन्हें देखना अपने आप में एक अलग ही समय में जाने जैसा लगता है. यह भित्ति चित्र ऊंचे-ऊंचे चट्टानों में बनाए गए हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की आकृतियों को प्रदर्शित किया गया है.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

चितवाडोंगरी में बहुत सारी छोटी-छोटी गुफाएं हैं, जिन्हें देखकर तो यही लगता है कि पुरातन समय में इन गुफाओं में मानव या जंगली पशु निवास करते होंगे. बहुत ही आकर्षक हैं ये गुफाएं, जिसे निश्चित ही चट्टानों को काटकर बनाया गया होगा. यहां पर काफी चित्र भी अंकित किए गए हैं.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

चितवाडोंगरी का खंगाला जाएगा इतिहास

प्रशासन ने इस क्षेत्र को विकसित करने का निर्णय लिया है, जिसको लेकर वन विभाग ने काम शुरू कर दिया है. इस स्थल को संरक्षित करने के लिए फिलहाल वन विभाग के कैंपा मद से काम करवाया जा रहा है. यहां सड़क बनाई जा रही है. प्रकाश व्यवस्था के लिए सोलर लैंप भी लगवाया गया है. पर्यटकों के लिहाज से इस जगह पर अन्य मूलभूत सुविधाएं रखी जाएंगी. ताकि इस जगह की लोकप्रियता बढ़े और लोग इसे देखने के लिए पहुंचे. शैल चित्रों को लेकर भी अध्ययन करने के लिए रायपुर के अधिकारी यहां आएंगे, जिसके बाद इनका इतिहास खंगाला जाएगा.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

क्षेत्र का हो रहा है तेजी से विकास

बालोद जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड के सहगांव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर गोंदली जलाशय के डुबान क्षेत्र के पास स्थित चितवाडोंगरी अपनी प्राचीनता के साथ ही शैलचित्रों, गुफाओं और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां की प्राकृतिक आबोहवा हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती है. डूबान क्षेत्र होने के कारण यहां मौसम में नमी महसूस होती है. प्रशासन के इस पहल से इस क्षेत्र का विकास तेजी से हो रहा है.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

गुफाओं के अंदर हो सकते है सुरंग

विभाग को गुफाओं के अंदर से सुरंग होने का भी अनुमान है, लेकिन आज तक किसी ने गुफा को अंदर से पूरी तरह नहीं देखा है. अलग-अलग छोर से गुफाओं में प्रवेश करने का रास्ता है. इससे यह अंदाजा लगाया गया है कि पहाड़ियों के बीचों-बीच गुफाओं से होकर सुरंग बनी हुई है.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

पढ़ें: जशपुर: पुरातत्व संग्राहलय को दिया गया मूर्त रूप, 13 जनजातियों के पुरातात्विक महत्व की चीज संरक्षित

बुजुर्गों के मुताबिक कई साल पहले इस जगह पर कई जंगली जानवर रहा करते थे. गुफाएं उन्हीं जानवरों का बसेरा हुआ करती थीं, इसलिए इसे चितवा डोंगरी कहा जाता है. पहले लोग यहां जाने से भी घबराते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे लोगों की भीड़ यहां बढ़ने लगी है. लोग अब यहां की खूबसूरती को देखने के लिए आते हैं. भविष्य में यह पिकनिक स्पॉट भी बन सकता है.

बालोद : जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड क्षेत्र की एक जगह इन दिनों चर्चा में है. इस मनमोहन जगह को चितवाडोंगरी के नाम से जाना जाता है. यह जगह भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है. यहां प्राचीन समय के भित्ति चित्र बनाए गए हैं. जिन्हें देखना अपने आप में एक अलग ही समय में जाने जैसा लगता है. यह भित्ति चित्र ऊंचे-ऊंचे चट्टानों में बनाए गए हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की आकृतियों को प्रदर्शित किया गया है.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

चितवाडोंगरी में बहुत सारी छोटी-छोटी गुफाएं हैं, जिन्हें देखकर तो यही लगता है कि पुरातन समय में इन गुफाओं में मानव या जंगली पशु निवास करते होंगे. बहुत ही आकर्षक हैं ये गुफाएं, जिसे निश्चित ही चट्टानों को काटकर बनाया गया होगा. यहां पर काफी चित्र भी अंकित किए गए हैं.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

चितवाडोंगरी का खंगाला जाएगा इतिहास

प्रशासन ने इस क्षेत्र को विकसित करने का निर्णय लिया है, जिसको लेकर वन विभाग ने काम शुरू कर दिया है. इस स्थल को संरक्षित करने के लिए फिलहाल वन विभाग के कैंपा मद से काम करवाया जा रहा है. यहां सड़क बनाई जा रही है. प्रकाश व्यवस्था के लिए सोलर लैंप भी लगवाया गया है. पर्यटकों के लिहाज से इस जगह पर अन्य मूलभूत सुविधाएं रखी जाएंगी. ताकि इस जगह की लोकप्रियता बढ़े और लोग इसे देखने के लिए पहुंचे. शैल चित्रों को लेकर भी अध्ययन करने के लिए रायपुर के अधिकारी यहां आएंगे, जिसके बाद इनका इतिहास खंगाला जाएगा.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

क्षेत्र का हो रहा है तेजी से विकास

बालोद जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड के सहगांव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर गोंदली जलाशय के डुबान क्षेत्र के पास स्थित चितवाडोंगरी अपनी प्राचीनता के साथ ही शैलचित्रों, गुफाओं और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां की प्राकृतिक आबोहवा हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती है. डूबान क्षेत्र होने के कारण यहां मौसम में नमी महसूस होती है. प्रशासन के इस पहल से इस क्षेत्र का विकास तेजी से हो रहा है.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

गुफाओं के अंदर हो सकते है सुरंग

विभाग को गुफाओं के अंदर से सुरंग होने का भी अनुमान है, लेकिन आज तक किसी ने गुफा को अंदर से पूरी तरह नहीं देखा है. अलग-अलग छोर से गुफाओं में प्रवेश करने का रास्ता है. इससे यह अंदाजा लगाया गया है कि पहाड़ियों के बीचों-बीच गुफाओं से होकर सुरंग बनी हुई है.

Balod Chitwa Dongri is known for mural pictures
चितवाडोंगरी में मिले हैं प्राचीन समय के भित्ति चित्र

पढ़ें: जशपुर: पुरातत्व संग्राहलय को दिया गया मूर्त रूप, 13 जनजातियों के पुरातात्विक महत्व की चीज संरक्षित

बुजुर्गों के मुताबिक कई साल पहले इस जगह पर कई जंगली जानवर रहा करते थे. गुफाएं उन्हीं जानवरों का बसेरा हुआ करती थीं, इसलिए इसे चितवा डोंगरी कहा जाता है. पहले लोग यहां जाने से भी घबराते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे लोगों की भीड़ यहां बढ़ने लगी है. लोग अब यहां की खूबसूरती को देखने के लिए आते हैं. भविष्य में यह पिकनिक स्पॉट भी बन सकता है.

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