बालोद: बच्चों को गर्म भोजन देने के उद्देश्य से सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्र खोलने का निर्णय लिया है, जो फिलहाल विवादों से घिरा नजर आ रहा है. अबतक जिले के किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे नहीं पहुंच पाए हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि छोटे बच्चे कैसे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे.
आंगनबाड़ी में 5 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ ही गर्भवती महिलाएं भी आती हैं. कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को कोरोना से ज्यादा खतरा है. बता दें कि बालोद छत्तीसगढ़ महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया का गृह जिला है.
राज्य सरकार के नाम सौंपा ज्ञापन
राज्य सरकार का निर्देश है कि शून्य से 3 साल के बच्चों को गर्म भोजन दिया जाए. गर्भवती महिलाओं को गर्म भोजन टिफिन के माध्यम से दिया जाए. लेकिन 8 सितंबर को पहले ही दिन कार्यकर्ता संघ ने इसका विरोध करते हुए सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा है.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई तरह के उतार-चढ़ाव, शारीरिक कमजोरी, खून की कमी, हार्मोनल समस्या, शुगर, बीपी और कई तरह की समस्याएं होती हैं. ऐसे में गर्भवती महिलाओं में कोरोना संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है. उनका कहना है कि 6 महीने से लेकर 6 साल तक के बच्चे किसी भी स्थिति में अपना ख्याल खुद नहीं रख सकते.
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर आंगनबाड़ी से कोरोना संक्रमण फैलता है तो इसके लिए जिम्मेगदार कौन होगा. उन्होंने कहा कि न ही उनका कोई बीमा है और न ही उन्हें बचाव के लिए कोई किट दी गई है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि आंगनबाड़ी में सुविधाओं का अभाव है. अधिकारियों ने निर्देशित किया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में स्क्रीनिंग किया जाएगा, इसपर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि क्या स्वास्थ्य विभाग हर रोज स्क्रीनिंग करने आंगनबाड़ी केंद्र आ पाएंगे.