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अनिला भेड़िया ने केंद्र सरकार से की नेशनल इंस्टीट्यूट की मांग

महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं की कमी है, जिसको कांग्रेस सरकार जल्द पूरा करेगी.

अनिला भेड़िया ने नेशनल इंस्टीट्यूट के लिए केंद्र से की मांग
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Published : Sep 25, 2019, 2:41 PM IST

Updated : Sep 25, 2019, 3:21 PM IST

बालोद: छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया मंगलवार को खेल समापन समारोह में शामिल होने बालोद पहुंची थी. इस दौरान उन्होंने शिक्षा को लेकर सभी शिक्षण संस्थाओं को धीरे-धीरे जिले में लेकर आएंगे. किसी को भी जिले से बाहर नहीं जाना पड़ेगा.

अनिला भेड़िया ने नेशनल इंस्टी

पढ़ें: रायपुर: महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने सुनी लोगों की समस्या

मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि 'दिल्ली में शिक्षा के संबंध में केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री के साथ बैठक थी. जहां हमने प्रमुखता से इन सभी विषयों को रखा है. मैंने प्रदेश के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट की मांग की है, जिसमें दिव्यांगों के लिए बेहतर शिक्षा प्रदान की जा सके'. मंत्री ने कहा कि 'प्रदेश में ऐसे दिव्यांग हैं, जिनमें काफी हुनर है, लेकिन शिक्षण संस्थानों की कमी के चलते हुनर दबकर रह जाती है'.

शिक्षण व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा
इस दौरान मंत्री ने कहा कि 'शिक्षण संस्थानों के मामले में बालोद जिला कहीं न कहीं पीछे हैं. यहां 74.16% साक्षरता है और साक्षर लोग अपने बच्चों को भी साक्षर बनाना चाहते हैं, लेकिन यहां शिक्षण संस्थान के नाम पर उच्च शिक्षा के लिए महज ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कॉलेज स्थापित हैं, जिससे बच्चों को काफी परेशानी हो रही है. जिले में जल्द शिक्षण व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा'.

बालोद: छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया मंगलवार को खेल समापन समारोह में शामिल होने बालोद पहुंची थी. इस दौरान उन्होंने शिक्षा को लेकर सभी शिक्षण संस्थाओं को धीरे-धीरे जिले में लेकर आएंगे. किसी को भी जिले से बाहर नहीं जाना पड़ेगा.

अनिला भेड़िया ने नेशनल इंस्टी

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मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि 'दिल्ली में शिक्षा के संबंध में केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री के साथ बैठक थी. जहां हमने प्रमुखता से इन सभी विषयों को रखा है. मैंने प्रदेश के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट की मांग की है, जिसमें दिव्यांगों के लिए बेहतर शिक्षा प्रदान की जा सके'. मंत्री ने कहा कि 'प्रदेश में ऐसे दिव्यांग हैं, जिनमें काफी हुनर है, लेकिन शिक्षण संस्थानों की कमी के चलते हुनर दबकर रह जाती है'.

शिक्षण व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा
इस दौरान मंत्री ने कहा कि 'शिक्षण संस्थानों के मामले में बालोद जिला कहीं न कहीं पीछे हैं. यहां 74.16% साक्षरता है और साक्षर लोग अपने बच्चों को भी साक्षर बनाना चाहते हैं, लेकिन यहां शिक्षण संस्थान के नाम पर उच्च शिक्षा के लिए महज ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कॉलेज स्थापित हैं, जिससे बच्चों को काफी परेशानी हो रही है. जिले में जल्द शिक्षण व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा'.

Intro:बालोद।

11 जनवरी सन 2012 को 19 में जिले के रूप में बालोद जिला अस्तित्व में आया एलानो के साथ-साथ यहां कई सौगात भी मिले जिसमें प्राथमिक स्ट्रक्चर आदि शामिल है जब जिला बना तो लोगों के मन में कई सारे सवाल थे सबसे ज्यादा सवाल शिक्षण संस्थाओं को लेकर था कि जिला बनने के बाद दुर्ग भिलाई रायपुर जैसे शहरों पर यहां की स्थानीय युवाओं को निर्भर नहीं रहना पड़ेगा परंतु आज 7 साल हो चुके हैं और यहां बीएड डीएड जैसी संस्थाएं नहीं है जिसके चलते आज भी लोगों को दीगर जिलों पर आश्रित रहना पड़ता है शिक्षण संस्थाओं के इस सवाल पर मंत्री अनिल भैया ने कहा कि हम अभी सरकार पर बैठे हैं धीरे-धीरे यहां सभी संस्थाएं लाएंगे।


Body:वीओ - प्रदेश की महिला एवं बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया ने कहा कि हम सभी शिक्षण संस्थाओं को धीरे-धीरे जिले में लेकर आएंगे किसी को भी जिले से बाहर नहीं जाना पड़ेगा अभी अभी तो हम सरकार में आए हैं साथ ही उन्होंने बताया कि दिल्ली में केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री के साथ हमारी बैठक थी जहां हम ने प्रमुखता से इन्हीं सब विषयों को रखा है मैंने प्रदेश के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट की मांग की है जिसमें दिव्यांगों के लिए बेहतर शिक्षा प्रदान की जा सके उन्होंने कहा कि हमारे जिले में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में ऐसे दिव्यांग हैं जिनमें काफी हुनर है परंतु शिक्षण संस्थानों की कमी के चलते हुनर कहीं न कहीं दब जाते हैं।

वीओ - शिक्षण संस्थानों के मामले में बालोद जिला कहीं ना कहीं पीछे हैं यहां पर 74.16% साक्षरता है और साक्षर लोग अपने बच्चों को भी साक्षर बनाना चाहते हैं यहां पर शिक्षण संस्थान के नाम पर उच्च शिक्षा के लिए महज ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कॉलेज स्थापित हैं उनमें भी कुछ उच्चतम विषय आज तक समाहित नहीं है पॉलिटेक्निक की स्वीकृति हो चुकी है परंतु 3 साल से कक्षाएं आज धमतरी में संचालित हैं अगर ऐसी ही स्थिति जिले के लिए ही तो आने वाली पीढ़ी को मायूस होना पड़ सकता है।


Conclusion:शिक्षण संस्थाओं की जरूरत इसलिए है क्योंकि यहां कई प्रतिभाएं हैं जो बड़े शहरों और बड़े खर्चों के कारण छोटे से गांव में ही सिमट कर रह जाती है अगर जिले में इस तरह की संस्थाएं खुले तो लोगों को भूल जाना नहीं पड़ेगा कि बेटियां हैं ऐसी हैं इनके माता-पिता उन्हें अकेले बाहर नहीं भेजना चाहते कई गरीब वर्ग के बच्चे हैं उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह बाहर रहकर पढ़ाई कर सकें पर आज तक बालोद ऐसे उच्च शिक्षण संस्थानों की राह देख रहे हैं।

बाइट - अनिला भेड़िया, मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग
Last Updated : Sep 25, 2019, 3:21 PM IST
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