बालोद: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में गणेश जी का एक ऐसा मंदिर है जहां नि:संतान दंपति की मनोकामना पूरी होती है. यहीं कारण है कि इस मंदिर में गणेश चतुर्थी के अलावा सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. ऐसी मान्यता है कि गणेशजी के दर्शन मात्र से लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती है. कोरोना संक्रमण को लेकर किसी भी तरह का कोई बड़ा आयोजन इस गणेश मंदिर में नहीं हो रहा है, लेकिन शनिवार को गणेश चतुर्थी के मौके पर मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिली.
जिला मुख्यालय के मरारापारा में स्थित इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि करीब 70 साल पहले भगवान गणेश जमीन के भीतर से प्रगट हुए थे. बताया जाता है कि क्षेत्र के एक बाफना परिवार के किसी सदस्य के सपने में बप्पा आए थे. फिर परिवार के सदस्य ने टीने का शेड लगाकर गणेश जी के छोटे से मंदिर का निर्माण कराया. इसके बाद मंदिर का विस्तार होता गया.
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मंदिर का विस्तार
70 सालों से बाफना परिवार के सदस्य मंदिर में पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. मरारपारा में बप्पा का छोटा सा मंदिर है, लेकिन उसके प्रति लोगों की आस्था अटूट है. समय के साथ अब मंदिर का निर्माण बड़े स्तर पर हो चुका है. पहले तो केवल दो-चार लोग ही बप्पा की सेवा और पूजा अर्चना करते थे. लेकिन 2008 से नगर के लोगों की टोली बनी. जिसे मोरिया मंडल परिवार नाम दिया गया. अब मोरिया मंडल परिवार के सदस्यों के साथ नगर के लोग भी गणेशजी की पूजा-अर्चना करते हैं.
दूर-दूर से दर्शन को आते हैं भक्त
स्थानीय लोग बताते हैं कि श्रीगणेश के घूटने तक का कुछ हिस्सा अभी भी जमीन के भीतर है. लोग बताते हैं कि पहले गणेश जी का आकार काफी छोटा था, लेकिन धीरे-धीरे आकार बढ़ता गया और आज बप्पा विशाल स्वरूप में हैं. मंदिर में दूर दराज के लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. लोगों का मानना है कि मनोकामना लेकर दर्शन को पहुंचने और सच्ची श्रद्धा विश्वास से पूजा करने पर सारी इच्छाएं पूरी होती है.