बलरामपुर: बीते दिनों बलरामपुर जिले के रघुनाथ नगर फोरेस्ट रेंज के केनवारी खास में भालू की संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई थी. ग्रामीणों ने भालू के शव को देखा तो इसकी सूचना वन विभाग को दी. विभाग भालू के मरने का कारण तलाश रहा है. आंकड़ों की मानें तो सालभर में 6 भालुओं की मौत (six bears died in a year in Balrampur) हुई है. भालू के हमले से 21 लोग घायल हुए. एक व्यक्ति की मौत हुई.
यह आंकड़ा जनवरी 2021 से अब तक का है. शंकरगढ़ वन परिक्षेत्र में 3 फरवरी को 1 भालू की मौत हुई. कुसमी वन परिक्षेत्र में 10 मार्च को 2 भालूओं की मौत हुई. वाड्रफनगर वन परिक्षेत्र में 31 अगस्त को 1 भालू की मौत हुई. रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र में 21 अक्टूबर को 1 भालू की मौत हुई. 14 जनवरी 2022 को रघुनाथनगर में 1 भालू का शव मिला है. जिले के रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र में 3 महीने के भीतर 2 भालूओं की मौत हो चुकी है. 6 मौतों में 2 भालूओं की मौत आपसी संघर्ष में हुई है. जबकि अन्य भालूओं की मौत करंट के चपेट में आने से हुई है.
21 लोग हुए हैं घायल 1 व्यक्ति ने गंवाई जान
वनविभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले 1 साल में बलरामपुर जिले में भालूओं के हमले से 21 लोग घायल हुए हैं. एक व्यक्ति ने भालू के हमले में अपनी जान गंवा दी है. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपनी दैनिक जरूरतों के लिए जंगल जाते हैं. पिछले 1 साल के आंकड़े को देखा जाए तो 21 घायल और 1 मृत व्यक्ति भी अपनी दैनिक जरूरतों के लिए जंगल में वनोपज, लकड़ी लेने या फिर मवेशियों को चराने के लिए गए हुए थे. उसी दौरान भालूओं ने इन सभी को अपना निशाना बनाया.
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11 लाख रुपये से अधिक दी गई क्षतिपूर्ति राशि
वनविभाग के अनुसार जिले में जनवरी 2021 से दिसंबर 2021 तक भालूओं के हमले में जान गंवाने वाले और घायल होने वालों को पिछले 1 साल में क्षतिपूर्ति राशि के नाम पर 1106833 (ग्यारह लाख छ: हजार आठ सौ तैंतीस रूपए) की क्षतिपूर्ति राशि बांटी गई है. एक व्यक्ति की मौत होने पर 6 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान किया गया है. 21 लोगों को घायल होने पर 493833 रुपये की क्षतिपूर्ति राशि सहायता प्रदान किया गया है. 2 पशुओं के मौत पर 13000 रूपए का क्षतिपूर्ति दी गई है.
वनविभाग असफल
सालभर में 6 भालुओं की मौत हो चुकी है. लेकिन वन्य-जीवों के संरक्षण के लिए वनविभाग की तरफ से अबतक ठोस पहल नहीं की गई है. 1 साल में 6 भालूओं की मौत होना गंभीर विषय है. जिले में भालूओं की संख्या कितनी है. वनविभाग के पास इसके कोई आंकड़े या अनुमान नहीं है. विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों का असर धरातल पर कुछ खास नहीं दिख रहा. इसलिए जानवरों को भी इंसानों के गुस्से का खामियाजा उठाना पड़ रहा है.