बलरामपुर: कोरोना संकट ने पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था को भी प्रभावित किया है. महामारी के इस दौर में छत्तीसगढ़ सरकार ने बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए 'पढ़ई तुंहर द्वार' योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत पूरे प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और विद्यार्थियों को जोड़कर पढ़ाई करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रोवाइड किया गया. लेकिन बलरामपुर में यह योजना पूरी तरह से फेल होती दिखाई दे रही है. 2020-21 शिक्षण सत्र का करीब 3 महीना भी निकल गया और बलरामपुर के स्कूली बच्चे अब तक कुछ नहीं पढ़ पाए हैं.
जब जिले के एक गांव में जाकर पड़ताल किया गया तो पता चला कि यहां अगर बच्चों के पास स्मार्ट फोन है, तो नेट कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं है और जहां नेटवर्क है ऐसे बच्चों के पास फोन नहीं है. इस परेशानी की वजह से ग्रामीण अंचलों में रहने वाले छात्र पढ़ाई-लिखाई से दूर हो चुके हैं. पहली से 8वीं तक के लिए ये योजना है कि शिक्षक बच्चों को गांव में इक्ट्ठा कर इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाएंगे. लेकिन यहां दोनों ही प्रक्रिया फेल रही. किसी भी हाल में वर्चुअल क्लास नहीं लगाया जा सका.
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छात्र-छात्राओं से बात करने पर उन्होंने बताया कि पढ़ाई तो हो रही है, लेकिन उनके पास मोबाइल फोन नहीं होने से वे पढ़ाई से वंचित हैं. बच्चों ने शासन-प्रशासन से स्मार्ट फोन को लेकर पहल करने की मांग की है. गांव के सरपंच और बच्चों के अभिभावक भी बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, इसके लिए वे राज्य सरकार से दूसरी स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनके बच्चों का समय बर्बाद न हो. शिक्षकों से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस जगह नेटवर्क नहीं होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है.