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SPECIAL: 6 साल में महज 7 बच्चे पहुंचे दिव्यांग संसाधन केंद्र, करोड़ों खर्च कर लगाया गया था संसाधन - Therapy Education for Disabled Children

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में सरकार ने दिव्यांगों की बेहतरी के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर 6 साल पहले राजपुर में दिव्यांग संसाधन केंद्र बनाये थे. दिव्यांगों को थेरेपी देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर तमाम तरह की मशीनें लगाई गई थी. जो आज कबाड़ में तब्दील हो गई है.

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कबाड़ में दबदील हो रहा दिव्यांग संसाधन केन्द्र
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Published : Sep 21, 2020, 10:07 PM IST

बलरामपुर: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के राजपुर ब्लॉक में सरकारी आंकड़ों में 257 दिव्यांग हैं. सरकार ने इन दिव्यांगों की बेहतरी के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर 6 साल पहले राजपुर में दिव्यांग संसाधन केंद्र बनाये थे. दिव्यांगों को थेरेपी देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर तमाम तरह की मशीनें लगाई गई थी. जो आज कबाड़ में तब्दील हो गई है.

कबाड़ में तब्दील हो गया दिव्यांग संसाधन केन्द्र

दिव्यांग संसाधन केंद्र में थेरेपी के साथ मनोरंजन के लिए टीवी भी लगाई गई थी, जो आज तक चालू ही नहीं हो पाई. इस मामले में बीआरसी का कहना है कि दिव्यांग संसाधन केंद्र हर दिन खुल रहा है. दिव्यांग बच्चे रोज आ रहे हैं. जबकि रिपोर्ट के मुताबिक संसाधन केंद्र में बीते 6 साल में महज 7 बच्चे ही आये हैं. 2014 में शुरू हुए दिव्यांग संसाधन केंद्र में पहला दिव्यांग 2015 में कुमारी पूजा के नाम से आई थी. इसके बाद इस केंद्र में आखिरी बच्चा साल 2018 में चन्द्रदेव आया है.

पढ़ें- SPECIAL: कुम्हारों पर चला कोरोना का 'चाबुक', 8 महीने से कराह रहा व्यापार

6 एक साल से नहीं खुला है केंद्र

दिव्यांग संसाधन केन्द्र बीईओ कार्यालय परिसर में संचालित हो रहा है. बीईओ कुंवर साय पैकरा बताते हैं, साल भर पहले उनकी पदस्थापना यहां हुई है और उन्होंने आज तक इसे कभी भी खुला हुआ नहीं देखा है.

सरकारी योजनाओं का हाल बेहाल

सभी जगह सरकारी योजनाओं का लगभग यहीं हाल है. सरकार तमाम वादे करती है, कई बार वे अपनी वादों पर अमल भी करती है, लेकिन अधिकारियों का लापरवाही इन योजनाओं पर भारी पड़ जाता है. देश में कभी जनप्रतिनिधियों तो कभी अफसरों की लापरवाही में फंसकर तमाम योजनाएं दम तोड़ रही है. इन दोनों को बीच नुकसान केवल और केवल जनता को ही उठाना पड़ रहा है.

बलरामपुर: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के राजपुर ब्लॉक में सरकारी आंकड़ों में 257 दिव्यांग हैं. सरकार ने इन दिव्यांगों की बेहतरी के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर 6 साल पहले राजपुर में दिव्यांग संसाधन केंद्र बनाये थे. दिव्यांगों को थेरेपी देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर तमाम तरह की मशीनें लगाई गई थी. जो आज कबाड़ में तब्दील हो गई है.

कबाड़ में तब्दील हो गया दिव्यांग संसाधन केन्द्र

दिव्यांग संसाधन केंद्र में थेरेपी के साथ मनोरंजन के लिए टीवी भी लगाई गई थी, जो आज तक चालू ही नहीं हो पाई. इस मामले में बीआरसी का कहना है कि दिव्यांग संसाधन केंद्र हर दिन खुल रहा है. दिव्यांग बच्चे रोज आ रहे हैं. जबकि रिपोर्ट के मुताबिक संसाधन केंद्र में बीते 6 साल में महज 7 बच्चे ही आये हैं. 2014 में शुरू हुए दिव्यांग संसाधन केंद्र में पहला दिव्यांग 2015 में कुमारी पूजा के नाम से आई थी. इसके बाद इस केंद्र में आखिरी बच्चा साल 2018 में चन्द्रदेव आया है.

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6 एक साल से नहीं खुला है केंद्र

दिव्यांग संसाधन केन्द्र बीईओ कार्यालय परिसर में संचालित हो रहा है. बीईओ कुंवर साय पैकरा बताते हैं, साल भर पहले उनकी पदस्थापना यहां हुई है और उन्होंने आज तक इसे कभी भी खुला हुआ नहीं देखा है.

सरकारी योजनाओं का हाल बेहाल

सभी जगह सरकारी योजनाओं का लगभग यहीं हाल है. सरकार तमाम वादे करती है, कई बार वे अपनी वादों पर अमल भी करती है, लेकिन अधिकारियों का लापरवाही इन योजनाओं पर भारी पड़ जाता है. देश में कभी जनप्रतिनिधियों तो कभी अफसरों की लापरवाही में फंसकर तमाम योजनाएं दम तोड़ रही है. इन दोनों को बीच नुकसान केवल और केवल जनता को ही उठाना पड़ रहा है.

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