बलरामपुर: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन की घोषण की थी, जिसके बाद लॉकडाउन अलग-अलग चरणों में अभी तक चल रहा है. लॉकडाउन होने की वजह से सभी के काम ठप हो गए. वहीं आवागमन भी पूरी तरह बंद कर दिया गया. इस बीच दूसरे राज्यों में मजदूरी करने गए मजदूर वहीं फंस गए, जो किसी भी हालत में अपने राज्य अपने घर वापस आना चाहते थे.
लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के पलायन और उनकी परेशानी की बहुत कई खबरें सुर्खियों में रहीं, जिसमें कई मजदूर साधन नहीं होने के कारण पैदल ही अपने घर जाने के लिए निकल पड़े, तो कहीं साइकिल के सहारे मजदूरों ने हजारों किलोमीटर की दूरी तय की. इन सब के बीच ऐसी भी तस्वीर सामने आईं, जो कई दिनों तक सुर्खियों में रहीं. लॉकडाउन के बीच अपने घर जाने के लिए निकली एक महिला मजदूर का बच्चा सूटकेस के ऊपर ही सो गया था, जिसे उसकी मां खींच रही थी, लेकिन आज जो तस्वीर सामने आई है वह काफी सुखद है.
चेन्नई में फंसे थे झारखंड के मजदूर
दरअसल 12 से ज्यादा प्रवासी मजदूर काम के लिए चेन्नई गए थे , जो लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गए थे. वे मजदूर अपने घर वापस झारखंड की राजधानी रांची जाना चाहते थे. वहीं इन मजदूरों के साथ उनके छोटे-छोटे बच्चे भी थे, जिन्हें लेकर पैदल यात्रा करना उनके लिए मुमकिन नहीं था.
पढ़ें: कवर्धा: हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचे मजदूर
मजदूर चेन्नई से किसी तरह किराया देकर रायपुर पहुंचे, लेकिन उनके पास यहां से आगे का किराया देने के लिए रुपये नहीं थे, जिसके बाद बस उन्हें यहीं छोडकर वापस चली गई. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके दर्द को समझा और मजदूरों के लिए फ्री बस मुहैया कराई. साथ ही उनके लिए खाने की भी व्यवस्था की गई. इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार की बस मजदूरों को लेकर झारखंड सीमा के पास लगे बलरामपुर पहुंची, जहां पहुंचकर मजदूर काफी खुश नजर आए. वहीं उन्हें सीमा तक पहुंचाने और उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए सभी ने छ्त्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद दिया है.