बलरामपुर: मकर संक्रांति के अवसर पर तातापानी मंदिर के सामने मेले का आयोजन किया गया था. मंदिर प्रागंन में स्थित कुंड की सुंदरता को बढ़ाने के लिए प्रशासन की ओर से तीन अलग-अलग कुंडों में लगभग 3 क्विंटल मछलियां छोड़ी गई थी, लेकिन मेले के बाद कुंड में पसरी गंदगी और कचरे की वजह से मछलियां मरने लगी हैं.
इस बार तातापानी महोत्सव का आयोजन पूर्ण रूप से समिति की निगरानी और जिम्मेदारी पर आयोजित किया गया था. लेकिन मेले के बाद चारों ओर फैली गंदगी समिति पर कई सवाल खड़े कर रही है.
मेला समिति के अध्यक्ष अजय गुप्ता का कहना है कि 'प्रशासन की ओर से मेला स्थल की साफ-सफाई करवाई जा रही है, बड़ा क्षेत्र होने के कारण एक दिन में पूरी साफ-सफाई नहीं हो सकती है. लेकिन साफ-सफाई का काम शुरू कर दिया गया है. एक-दो दिन में पूरा मेला परिसर साफ कर दिया जाएगा.' वहीं मछलियों के मरने पर अजय गुप्ता ने कहा कि 'कुंड की शोभा बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रिक फव्वारे भी लगाए गए थे, हो सकता है कि इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से मछलियां मर गई हो. वहीं उन्होंने कहा कि कुंड में पानी का हल्का-फुल्का गर्म रहना भी मछलियों के मरने का कारण हो सकता है.' फिलहाल इस बात की सूचना समिति ने विभागीय अधिकारियों को दे दी है. वहीं मछलियों के मरने के कारण का पता लगाया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक तातापानी महोत्सव में जिला प्रशासन और कलेक्टर की ओर से पहले ही सभी दुकानदारों को प्लास्टिक मुक्त और स्वच्छता का निर्देश दिया गया था, लेकिन मेले के बाद इस प्रकार की गंदगी आने वाले समय में संबंधित दुकानदारों के लिए मुसीबत बन सकती है.
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मेले में आए हुए सभी दुकानदारों का यह नैतिक कर्तव्य था कि वे अपने साथ डस्टबिन लाए और कचरा फेंकने की व्यवस्था करें. इसके लिए जिला प्रशासन ने उन्हें पहले ही आगाह किया था. लेकिन मेला खत्म होने के बाद दुकानदारों का इस तरह कचरा छोड़ कर जाना कहीं न कहीं उनकी मनमानी को दर्शाता है. बता दें कि तातापानी महोत्सव के बाद कुंड में मछलियों के मरने से प्रशासन और समिति पर साफ-सफाई को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.