बलरामपुर : रामानुजगंज से पूर्व मंत्री और राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने भाजपा को जीत दिलाई हैं. नेताम ने कांग्रेस प्रत्याशी और अंबिकापुर के पूर्व मेयर अजय तिर्की को हराया है. कांग्रेस ने बृहस्पति सिंह को टिकट काटकर अजय तिर्की को टिकट दिया था.
कौन हैं रामविचार नेताम ? : रामविचार नेताम की करें तो नेताम आदिवासियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.2013 तक इस सीट पर बीजेपी को मजबूती दी है.लेकिन 2018 में पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया था. 2018 में बृहस्पति सिंह ने रामानुजगंज विधानसभा में जीत दर्ज की थी.लेकिन अब दोबारा बीजेपी ने इस सीट को हासिल करने के लिए अपने कद्दावर नेता पर भरोसा जताया है.
रामानुजगंज का भौगोलिक इतिहास : रामानुजगंज विधानसभा बलरामपुर जिले के अंतर्गत आता है.रामानुजगंज विधानसभा आदिवासी बाहुल्य है. यह विधानसभा पहले पाल के नाम से जाना जाता था.विधानसभा क्षेत्र झारखंड की सीमा से लगा हुआ है.वनांचल क्षेत्र होने के कारण ज्यादातर लोगों की आजीविका वन संपदा पर आधारित है.वहीं क्षेत्र में हाथियों का प्रभाव है.अनूसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 60-65 प्रतिशत तक है.
रामानुजगंज विधानसभा का जातिगत समीकरण : छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले की रामानुजगंज विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यहां करीब 65-70 फीसदी अनुसूचित जनजाति की आबादी है. इनमें गोंड, खैरवार जनजाति समाज के लोग ज्यादा हैं. यहां पंडो, पहाड़ी कोरवा, कोड़ाकू, अगरिया , नगेशिया भुइंहर उरांव जनजाति के लोग भी रहते हैं. करीब 25-30 फीसदी आबादी ओबीसी और सामान्य लोगों की है. पार्टियों का फोकस गोंड और खैरवार पर रहता है. इन्हीं दोनों जनजातियों के उम्मीदवार यहां से जीत हासिल करते रहे हैं.
2018 में विधानसभा चुनाव बीजेपी की करारी हार : 2018 में रामानुजगंज विधानसभा सीट पर करीब 82 फीसदी मतदान हुआ. इसमें कांग्रेस को 41.7 फीसदी, बीजेपी को 20.45 फीसदी वोट मिले. इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार बृहस्पति सिंह ने दूसरी बार जीत दर्ज की. कांग्रेस को इस सीट से 64580 वोट मिले. वहीं बीजेपी के प्रत्याशी रामकिशन सिंह 31664 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. बृहस्पति सिंह ने रामकिशन को 32916 वोटों से हारया था. बीजेपी को इस सीट पर करारी हार मिली थी . वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे विनय पैकरा 18.88 फीसदी वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर रहे.
क्या हैं मुद्दे और समस्याएं : यह सीट अविभाजित मध्यप्रदेश में भी थी. तब इसे पाल विधानसभा के नाम से जाना जाता था. लंबे समय तक यहां बीजेपी के कद्दावर नेता रामविचार नेताम का वर्चस्व रहा. नेताम छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री भी रहे. बावजूद इसके रामानुजगंज विधानसभा में कई सुविधाओं का आभाव है.जिसे पूरा करने की मांग यहां की जनता बरसों से करती आई है.