अंबिकापुर: आपने कभी न कभी छोटी छोटी डिबिया में बंद मीठी गोलियों को जरूर चखा होगा. हम बात कर रहे हैं होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की. 10 अप्रैल को पूरी दुनिया में विश्व होम्योपैथी दिवस (world homeopathy day) मनाया जा रहा है, विश्व के करीब 100 देशों में रोगियों का उपचार होम्योपैथी से किया जा रहा है. होम्योपैथी पद्धति जहां कोई हानि नहीं पहुंचाती है, वहीं इसकी दवाओं की लागत भी बहुत ज्यादा नहीं होती है. आजकल कई जटिल रोगों से पीड़ित रोगियों का होम्योपैथी से उपचार किया जा रहा है. होम्योपैथी से कठोर से कठोर बीमारी को जड़ से मिटाया जा सकता है. होम्योपैथी का इलाज कितना कारगर है ? इसे लेकर लोगों में जो धारणा है, उसमें कितनी सच्चाई है ? सरकारी सिस्टम में इसे लागू करना कितना कारगार साबित होगा ?. विश्व होम्योपैथी दिवस के मौके पर ETV भारत ने छत्तीसगढ़ राज्य होम्योपैथी परिषद (State Council of Homeopathy Chhattisgarh) के सदस्य डॉ. अमीन फिरदौसी से खास बातचीत की.
सवाल : होम्योपैथी कितनी जरूरी और इसका इलाज कितना कारगर है?
डॉ. अमीन फिरदौसी: होम्योपैथी के इलाज से समय रहते किसी भी बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है. केंद्र सरकार का सपना है कि आयुष और होम्योपैथी को भी एक प्लेटफॉर्म पर लाया जा सके ताकि लोगों को सारी सुविधाएं मिल सके.
सवाल : होम्योपैथी को लेकर भ्रांति है कि यह पहले मर्ज को बढ़ाती है फिर ठीक करती है?
डॉ. अमीन फिरदौसी: 1973 में सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी (central council of homeopathy) बनी. उस समय से BHMS कोर्स चल रहा है. जो सब्जेक्ट हैं वो बिल्कुल MBBBS के सामानांतर है. नए डॉक्टर आ रहे हैं वो पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं. वो सारी चीजों को जान रहे हैं. मर्ज के बढ़ने वाली जो बात है वो निराधार है. होम्योपैथी पूर्ण रूप से सुरक्षित है.
सवाल : शासकीय अस्पताल में होम्योपैथी का इलाज कैसे किया जा सकता है?
डॉ. अमीन फिरदौसी: केंद्र और राज्य से अनुमति अगर प्राप्त होगी, तो हम ये चाहते हैं कि जितने भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. वहां होम्योपैथी डॉक्टर की नियुक्ति की जाए. एक छत के नीचे एलोपैथी, आयुर्वेद के साथ होम्योपैथी की सुविधा भी मिल सके.