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World Heritage Day विश्व विरासत दिवस पर जानिए सरगुजा राजाओं के महल आज किस स्थिति में हैं !

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Published : Apr 18, 2023, 2:17 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

विश्व विरासत दिवस पर ETV भारत सरगुजा की विरासत के बारे में बताने जा रहा हैं. जहां महाराजाओं का निवास हुआ, जिसे उस समय महल या किले का नाम दिया गया. सरगुजा रियासत का रघुनाथ पैलेस तो सब जानते हैं. क्योंकि यह अपने विशाल स्वरूप के साथ अंबिकापुर शहर के बीचों बीच स्थित है.इसके अलावा कई और ऐसे महल है जो अपने आप में खास है.

World Heritage Day
विश्व विरासत दिवस

सरगुजा : विश्व विरासत दिवस पर सरगुजा राजपरिवार के दूसरे महलों के बारे में जानते हैं. जहां राजाओं ने अपना महल बनाया. इस विषय में हमने बात की, सरगुजा रियासत के जानकार गोविंद शर्मा से. उन्होंने बताया कि "सरगुजा स्टेट के महाराज अमरजीत सिंह के दो बेटे थे. पहले बेटे इंद्रजीत सिंह से रामानुज शरण सिंह, अंबिकेश्वर शरण सिंहदेव, मदनेश्वर शरण सिंहदेव, टीएस सिंहदेव का सरगुजा का रघुनाथ पैलेश हुआ. दूसरे बेटे राजा बिन्देश्वरी हुये. उनके बेटे हुये साधु शरण सिंह, इनका धरमजयगढ़ और शंकरगढ़, दुर्गापुर हुआ.अमरजीत सिंह के भाई का लखनपुर हुआ. एक ही परिवार के वंशजों ने इन स्थानों पर महल बनाया. "

1758 के पहले से 1925 तक के महल: गोविंद शर्मा कहते हैं "सरगुजा महाराज का पहला किला अंबिकापुर में लुचकी के पास श्रीगढ़ का किला माना जायेगा. महाराजा अमर सिंह के समय में 1758 में श्रीगढ़ के किले को छोड़ दिया गया. महाराजा शिव सिंह के बेटे थे अजीत सिंह. जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी और उनको खदेड़ के ईस्ट इंडिया कंपनी से रांची का बरवा परगना छीना था. इनकी मृत्यु 1798 में हुई. इसके बाद जगन्नाथ सिंह के बेटे अमरसिंह, 1804 या 1805 में प्रतापपुर चले गये. वहां से शासन चलाने लगे. प्रतापपुर में ही 1861 में महाराज रामानुज शरण सिंहदेव का जन्म हुआ . महाराज रामानुज शरण सिंहदेव ही दोबारा 1880 में राजधानी अंबिकापुर लेकर आए जौर जूना गद्दी में रहने लगे. "

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दुर्लभ पौधो का गार्डन: गोविंद शर्मा बताते हैं "जूना गद्दी में रहते हुए वर्तमान रघुनाथ पैलेश के पीछे का हिस्सा जो अब तोषखाना है, वह महल महाराज रामानुज शरण सिंहदेव ने बनवाया. फिर महारानी विजेश्वरी आई तो उन्होंने 1925 में उत्तर मुखी भव्य रघुनाथ पैलेस का निर्माण कराया. इसके बाद पैलेस के सामने बाग फुलवारी का निर्माण हुआ. ये बहुत अच्छा बॉटनिकल गार्डन था. जिसमे हर प्रकार के भोजपत्र से लेकर रबर से लेकर साइकस पाइनस के दुर्लभ पौधे थे. उस समय वनस्पति शास्त्री एमएल नायक हम लोगों को पढ़ाते थे तो वो बताया करते थे कि साइकस का एक पौधा अंबिकापुर में और दूसरा ग्वालियर में है. "


राजपरिवार का पहला किला श्री गढ़: इतिहासकार गोविंद शर्मा से हुई बातचीत को अगर सीधे तौर पर समझा जाये तो सरगुजा राजघराने के कई महल हुये हैं. इसके साथ ही बतौर राजधानी सबसे पहले अंबिकापुर श्री गढ़ का किला, इसके बाद सूरजपुर जिले के प्रतापपुर में राजधानी बनाई गई और वहां भी पैलेस बनाया गया. बाद में फिर दोबारा राजधानी अंबिकापुर लाई गई और इस बार जूना गद्दी के पास राजपरिवार का ठिकाना बना. यहां रहते हुए वर्तमान पैलेश के पीछे एक छोटा महल बनवाया गया और फिर महारानी विजेश्वरी ने भव्य अत्याधुनिक रघुनाथ पैलेस बनवाया.. अब इसे ही सरगुजा राज परिवार के महल के रूप में देखा जाता है.

हाईकोर्ट बिल्डिंग भी बड़ी विरासत: पैलेस तो राजाओं के परिवार के रहने के लिये एक निवास था, इसके अतिरिक्त हाईकोर्ट व विधानसभा की कंबाइंड बिल्डिंग भी बनवाई गई. जो विरासत के रूप में आज भी सरगुजा में खड़ी है. वर्तमान कलेक्टर का कार्यालय इसी बिल्डिंग में संचालित होता है. इसकी बनावट और भव्यता के आगे आज भी बड़े बडे निर्माण फीके लगते हैं. बेहद मजबूत पत्थरों की इमारत आज भी वैसी ही दिखाई पड़ती है.

सरगुजा राजपरिवार के महलों की बात करें तो मुख्य रूप से श्रीगढ़, प्रतापपुर, जूना गद्दी और रघुनाथ पैलेस है. लेकिन महराजा के बेटों और उनके बेटों में बंटने के बाद, लखनपुर, धरमजयगढ़, शंकरगढ़, अंबिकापुर का कुमार पैलेस शामिल हैं. इनमें से शंकरगढ़, धौरपुर लखनपुर में राजपरिवार के लोग रहते हैं. श्रीगढ़ का किला खंडहर बन चुका है, जूना गद्दी में महल के स्थान पर बहुत छोटा सा आवास बनाया गया था, ये भी अब जमीदोंज हो चुका है. कुमार पैलेस को सरकार को दे दिया गया जो उसके मूल स्वरूप के साथ उसमें सर्किट हाउस व अन्य शासकीय कार्यालयों का संचालन कर रहे हैं. हाईकोर्ट कंबाइंड बिल्डिंग भी कलेक्ट्रेट होने के कारण संरक्षित है. सबसे बड़े रघुनाथ पैलेस में कोई भी अब नहीं रहता है. राजपरिवार ने पैलेस के पीछे ही एक आधुनिक घर बनवाया हैं और उसमें सालों से निवास करते हैं.

सरगुजा : विश्व विरासत दिवस पर सरगुजा राजपरिवार के दूसरे महलों के बारे में जानते हैं. जहां राजाओं ने अपना महल बनाया. इस विषय में हमने बात की, सरगुजा रियासत के जानकार गोविंद शर्मा से. उन्होंने बताया कि "सरगुजा स्टेट के महाराज अमरजीत सिंह के दो बेटे थे. पहले बेटे इंद्रजीत सिंह से रामानुज शरण सिंह, अंबिकेश्वर शरण सिंहदेव, मदनेश्वर शरण सिंहदेव, टीएस सिंहदेव का सरगुजा का रघुनाथ पैलेश हुआ. दूसरे बेटे राजा बिन्देश्वरी हुये. उनके बेटे हुये साधु शरण सिंह, इनका धरमजयगढ़ और शंकरगढ़, दुर्गापुर हुआ.अमरजीत सिंह के भाई का लखनपुर हुआ. एक ही परिवार के वंशजों ने इन स्थानों पर महल बनाया. "

1758 के पहले से 1925 तक के महल: गोविंद शर्मा कहते हैं "सरगुजा महाराज का पहला किला अंबिकापुर में लुचकी के पास श्रीगढ़ का किला माना जायेगा. महाराजा अमर सिंह के समय में 1758 में श्रीगढ़ के किले को छोड़ दिया गया. महाराजा शिव सिंह के बेटे थे अजीत सिंह. जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी और उनको खदेड़ के ईस्ट इंडिया कंपनी से रांची का बरवा परगना छीना था. इनकी मृत्यु 1798 में हुई. इसके बाद जगन्नाथ सिंह के बेटे अमरसिंह, 1804 या 1805 में प्रतापपुर चले गये. वहां से शासन चलाने लगे. प्रतापपुर में ही 1861 में महाराज रामानुज शरण सिंहदेव का जन्म हुआ . महाराज रामानुज शरण सिंहदेव ही दोबारा 1880 में राजधानी अंबिकापुर लेकर आए जौर जूना गद्दी में रहने लगे. "

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दुर्लभ पौधो का गार्डन: गोविंद शर्मा बताते हैं "जूना गद्दी में रहते हुए वर्तमान रघुनाथ पैलेश के पीछे का हिस्सा जो अब तोषखाना है, वह महल महाराज रामानुज शरण सिंहदेव ने बनवाया. फिर महारानी विजेश्वरी आई तो उन्होंने 1925 में उत्तर मुखी भव्य रघुनाथ पैलेस का निर्माण कराया. इसके बाद पैलेस के सामने बाग फुलवारी का निर्माण हुआ. ये बहुत अच्छा बॉटनिकल गार्डन था. जिसमे हर प्रकार के भोजपत्र से लेकर रबर से लेकर साइकस पाइनस के दुर्लभ पौधे थे. उस समय वनस्पति शास्त्री एमएल नायक हम लोगों को पढ़ाते थे तो वो बताया करते थे कि साइकस का एक पौधा अंबिकापुर में और दूसरा ग्वालियर में है. "


राजपरिवार का पहला किला श्री गढ़: इतिहासकार गोविंद शर्मा से हुई बातचीत को अगर सीधे तौर पर समझा जाये तो सरगुजा राजघराने के कई महल हुये हैं. इसके साथ ही बतौर राजधानी सबसे पहले अंबिकापुर श्री गढ़ का किला, इसके बाद सूरजपुर जिले के प्रतापपुर में राजधानी बनाई गई और वहां भी पैलेस बनाया गया. बाद में फिर दोबारा राजधानी अंबिकापुर लाई गई और इस बार जूना गद्दी के पास राजपरिवार का ठिकाना बना. यहां रहते हुए वर्तमान पैलेश के पीछे एक छोटा महल बनवाया गया और फिर महारानी विजेश्वरी ने भव्य अत्याधुनिक रघुनाथ पैलेस बनवाया.. अब इसे ही सरगुजा राज परिवार के महल के रूप में देखा जाता है.

हाईकोर्ट बिल्डिंग भी बड़ी विरासत: पैलेस तो राजाओं के परिवार के रहने के लिये एक निवास था, इसके अतिरिक्त हाईकोर्ट व विधानसभा की कंबाइंड बिल्डिंग भी बनवाई गई. जो विरासत के रूप में आज भी सरगुजा में खड़ी है. वर्तमान कलेक्टर का कार्यालय इसी बिल्डिंग में संचालित होता है. इसकी बनावट और भव्यता के आगे आज भी बड़े बडे निर्माण फीके लगते हैं. बेहद मजबूत पत्थरों की इमारत आज भी वैसी ही दिखाई पड़ती है.

सरगुजा राजपरिवार के महलों की बात करें तो मुख्य रूप से श्रीगढ़, प्रतापपुर, जूना गद्दी और रघुनाथ पैलेस है. लेकिन महराजा के बेटों और उनके बेटों में बंटने के बाद, लखनपुर, धरमजयगढ़, शंकरगढ़, अंबिकापुर का कुमार पैलेस शामिल हैं. इनमें से शंकरगढ़, धौरपुर लखनपुर में राजपरिवार के लोग रहते हैं. श्रीगढ़ का किला खंडहर बन चुका है, जूना गद्दी में महल के स्थान पर बहुत छोटा सा आवास बनाया गया था, ये भी अब जमीदोंज हो चुका है. कुमार पैलेस को सरकार को दे दिया गया जो उसके मूल स्वरूप के साथ उसमें सर्किट हाउस व अन्य शासकीय कार्यालयों का संचालन कर रहे हैं. हाईकोर्ट कंबाइंड बिल्डिंग भी कलेक्ट्रेट होने के कारण संरक्षित है. सबसे बड़े रघुनाथ पैलेस में कोई भी अब नहीं रहता है. राजपरिवार ने पैलेस के पीछे ही एक आधुनिक घर बनवाया हैं और उसमें सालों से निवास करते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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