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भाई दूज: भाई को श्राप देकर जीभ में कांटे चुभाने का है यहां रिवाज

भाई दूज के दिन बहने अपने भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत रहती हैं. इस दिन को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में अलग मान्यताएं हैं.

भाई दूज का रिवाज
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Published : Oct 29, 2019, 4:05 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: दीपावली के तीसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहने अपने भाई की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना करते हुए व्रत रहती हैं. देश के विभिन्न क्षेत्रों में इस दिन की अलग-अलग मान्यताएं हैं.

वीडियो.

सरगुजा में इस पर्व में की जाने वाली पूजा थोड़ी अलग है. इस दिन बहने अपने भाई को विपत्ति से बचाने के लिए श्राप देती हैं. मान्यता है कि, दूज के दिन भाई की हड्डियों में श्राप रहने से उनकी रक्षा होती है. हालांकि श्राप देने की वजह से बाद में बहने अपनी जीभ में कांटे भी चुभाती हैं.

पढे़:SPECIAL: अपनी जान हथेली पर रख दूसरों की जान बचाने वाली 'देवदूतों' से मिलिए

भाई की लंबी उम्र की कामना
वहीं इस पूजा में गाय के गोबर से भौरा और जौरा के प्रतीकात्मक पुतले बनाकर बहने उसे मूसल, ईंट और पत्थरों से कूटती हैं. भाइयों के दुश्मन के प्रतीक के रूप में यह रिवाज किया जाता है. इस पूजा के बाद बहने भाई को नारियल, मिठाई और चने का प्रसाद खिलाती हैं और तिलक लगाकर आरती उतारकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

सरगुजा: दीपावली के तीसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहने अपने भाई की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना करते हुए व्रत रहती हैं. देश के विभिन्न क्षेत्रों में इस दिन की अलग-अलग मान्यताएं हैं.

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सरगुजा में इस पर्व में की जाने वाली पूजा थोड़ी अलग है. इस दिन बहने अपने भाई को विपत्ति से बचाने के लिए श्राप देती हैं. मान्यता है कि, दूज के दिन भाई की हड्डियों में श्राप रहने से उनकी रक्षा होती है. हालांकि श्राप देने की वजह से बाद में बहने अपनी जीभ में कांटे भी चुभाती हैं.

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भाई की लंबी उम्र की कामना
वहीं इस पूजा में गाय के गोबर से भौरा और जौरा के प्रतीकात्मक पुतले बनाकर बहने उसे मूसल, ईंट और पत्थरों से कूटती हैं. भाइयों के दुश्मन के प्रतीक के रूप में यह रिवाज किया जाता है. इस पूजा के बाद बहने भाई को नारियल, मिठाई और चने का प्रसाद खिलाती हैं और तिलक लगाकर आरती उतारकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

Intro:सरगुज़ा : दीपावली के तीसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, इस दिन बहने भाई की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कमाना करते हुए व्रत रहती हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इस दिन की अलग अलग मान्यताएं हैं, लेकिन सरगुज़ा में इस पर्व में कई जाने वाली पूजा थोड़ा अलग है, इस दिन बहने भाई को विपत्ति से बचाने के लिए श्राप देती हैं, मान्यता है की दूज के दिन भाई की हड्डियों में श्राप रहने से उनकी रक्षा होती है, हालाकी श्राप देने की वजह से बाद में बहने अपनी जीभ में कांटे भी चुभाती हैं।

वहीं इस पूजा में गाय के गोबर से भौरा और जौरा के प्रतीकात्मक पुतले बनाकर बहने उसे मूसल, ईंट व पत्थरों से कूटती हैं, भाइयों के दुश्मन के प्रतीक के रूप में यह रिवाज किया जाता है।

इस पूजा के बाद बहने भाई को नारियल, मिठाई व चने का प्रसाद खिलाती हैं, और तिलक लगाकर आरती उतारकर भाई की लंबी उम्र ली कामना करती हैं।


Body:बाईट01_संध्या सोनी

बाईट02_रानी सोनी


देश दीपक सरगुज़ा


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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