सरगुजा : देश मे स्वच्छता की अलख जागने वाले अम्बिकापुर में एक विचित्र मामला उलझ गया (tussle over bio medical waste fee in surguja) है. अंबिकापुर में बायो मेडिकल वेस्ट (bio medical vaste ) के निस्तारण लिये निर्धारित दर को लेकर आईएमए और ठेका कंपनी एक बार फिर से आमने सामने आ गए है. इस बार आईएमए ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें किसी भी सूरत में 20 या 11 रुपए का दर स्वीकार्य नहीं है. आईएमए अधिकतम 8 रुपए प्रति बेड की दर से बायो मेडिकल वेस्ट का भुगतान करने को तैयार है. लेकिन इससे अधिक के दर पर उन्होंने आपत्ति दर्ज कराते हुए. इसकी शिकायत शासन स्तर से करने की बात कही है.
कहां लगा है संयत्र : शहर के भिट्टीकला में क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा मेसर्स व्हीएम टेक्नो सॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से करीब 3 करोड़ रुपए की लागत से संयुक्त जैव चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा की स्थापना की गई है. इस प्लांट की स्थापना के पूर्व से ही शासकीय और निजी अस्पतालों से बायो मेडिकल वेस्ट के संधारण के लिए निर्धारित शुल्क को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई (Conflict over bio medical waste fee in Surguja) है.
बड़े शहरों में दर कम : बायो मेडिकल वेस्ट इंसीनेटर (Bio Medical Waste Incinerator) संचालक द्वारा निजी और शासकीय अस्पतालों से 20 रुपए प्रति बेड शुल्क का निर्धारण किया गया है. जो आईएमए को मान्य नहीं है. आईएमए का कहना है कि ''रायपुर, बिलासपुर और कोरबा जैसे बड़े शहरों में 6 से 7 रुपए प्रति बिस्तर शुल्क निर्धारित है तो फिर सरगुजा जैसे आदिवासी अंचल में 20 रुपए प्रति बिस्तर का शुल्क कैसे मान्य होगा.''
कई बार लिखा पत्र : आईएमए (surguja news) द्वारा प्रारम्भ से ही 3 से 4 रुपए प्रति बिस्तर शुल्क देने की बात कही जा रही है. बायो मेडिकल वेस्ट के शुल्क निर्धारण को लेकर प्रशासन और शासन को आईएमए कई बार पत्र लिख चुका है. इसके साथ ही प्रबंधन के साथ बैठकें हो चुकी है. जिसके बाद प्रबंधन ने न्यूनतम 11 रुपए प्रति बिस्तर तक शुल्क निर्धारित करने की बात कही है.
पुरानी पद्धति अपना लेंगे : आईएमए 11 रुपए में भी राजी नहीं है. आईएमए (Indian Medical Association) ने दो टूक कहा है कि ''बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण हेतु 11 रुपए प्रति बिस्तर की दर किसी भी परिस्थिति में मान्य नहीं है. यदि शुल्क निर्धारण सही ढंग से नहीं किया गया तो वे पर्यावरण नियम के अनुसार पुरानी पद्धति से परिसर में गड्ढा खोदकर या मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पुराने इंसीनेटर में भेजकर अपने अस्पतालों के बायो मेडिकल वेस्ट का संधारण करेंगे.''
मरीजों के बिल पर पड़ेगा भार : आईएमए का कहना है कि ''बायो मेडिकल वेस्ट के संधारण के लिए निर्धारित राशि शासकीय और निजी अस्पतालों से ली जानी है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल से लेकर पीएचसी तक के शासकीय अस्पतालों के मेडिकल वेस्ट की राशि का भुगतान शासन करेगी. लेकिन निजी अस्पतालों पर निर्धारित प्रति बिस्तर 20 या 11 रुपए की राशि का भुगतान निजी अस्पतालों को ही करना होगा. ऐसे में निजी अस्पताल प्रबंधन भी मरीजों के उपचार के बिल में अतिरिक्त बायो मेडिकल वेस्ट की राशि जोड़ेगी जिससे इसका सीधा भार मरीजों पर ही पड़ेगा.आईएमए का कहना है कि बायो मेडिकल वेस्ट के शुल्क का निर्धारण प्रति बिस्तर किया गया है जबकि एनजीटी के नियम के अनुसार बायो मेडिकल वेस्ट का संधारण वजन के हिसाब से होता है. बड़ी बात यह है कि संभाग में जितने भी निजी अस्तपाल है उनसे प्रति बेड प्रतिदिन के हिसाब से राशि वसूल की जाएगी जबकि अस्पताल में मरीज भर्ती हो या नहीं. ऐसे में इसका सीधा भार अस्पताल प्रबंधन पर ही पड़ेगा. अस्पताल में मरीज नहीं होते हुए भी प्रबंधन को बेड के हिसाब से राशि का भुगतान करना होगा जो गलत है.
अधिक दूरी का हवाला : राशि निर्धारण को लेकर आईएमए के विरोध के बीच इंसीनेटर लगाने वाली कंपनी का कहना है कि " उन्हें सरगुजा संभाग के सभी अस्पतालों से बायो मेडिकल वेस्ट एकत्रित करना है और इसके लिए उन्हें लम्बी दूरी तय करनी पड़ेगी. जिससे परिवहन खर्च बढ़ रहा है जबकि बड़े शहरों अस्पतालों की संख्या अधिक है इस लिए लागत भी कम पड़ रही है. इस मामले में आईएमए का कहना है कि '' सरगुजा की बात की जाए तो मेडिकल कॉलेज अस्पताल ही 550 बिस्तर का है. इसके अतिरिक्त 100 बिस्तरीय जिला अस्पताल, 100 बिस्तरीय एमसीएच एक ही स्थान पर है. इसके साथ ही आस पास में कई निजी अस्पताल भी संचालित है और शहर में भी अस्पताल ज्यादा दूरी पर नहीं है. ऐसे में ट्रांस्पोर्टिंग चार्ज का हवाला देना गलत है.''
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निकाय के बजाय निजी हाथों में जिम्मेदारी : इस मामले में आईएमए के सचिव डॉ योगेंद्र गहरवार ने कहा "बायो मेडिकल वेस्ट के प्रति बिस्तर 20 रुपए दर को लेकर आईएमए लगातार अपना विरोध जता रहा है. हमें यह दर किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है. इसलिए हमने स्वास्थ्य मंत्री, महापौर और संभागायुक्त को इस विषय से अवगत कराया है. निजी अस्पतालों पर पड़ने वाले भार को अस्पताल मरीजों से भी वसूल करने को मजबूर होंगे. इंसीनेटर शासन को निकाय के माध्यम से लगाना था. लेकिन बाद में निजी हाथों में व्यवसाय के लिए दे दिया गया. इसके टेंडर में भी अनियमितता बरती गई है. हम अधिकतम 8 रुपए प्रति बेड ही शुल्क जमा कर सकते है"