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अंबिकापुर का नितेश पिला रहा है सरगुजा वालों को तुर्की की कॉफी

Turkish style flavored coffee क्या आपने कभी तुर्की की कॉफी का जायका लिया है. अगर आप तुर्की की कॉफी का स्वाद सरगुजा में लेना चाहते हैं तो फिर आप जरुर अंबिकापुर विजिट करें. स्टार्टअप के जरिए नितेश राज तुर्किए स्टाइल में बना रहे हैं फ्लेवर्ड कॉफी. कॉफी पीने का जितना आनंद आपको यहां मिलेगा उतना ही मजा आपको कॉफी बनते देखकर भी होगा. flavored coffee started available in Surguja

Turkish style flavored coffee started available in Surguja
नितेश पिला रहा है सरगुजा वालों को तुर्की की कॉफी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 18, 2024, 9:32 PM IST

नितेश पिला रहा है सरगुजा वालों को तुर्की की कॉफी

अंबिकापुर: काम की कमी का रोना वही लोग रोते हैं जो कुछ करने की हसरत नहीं रखते. खुद को अपने पांव पर खड़ा करने की इच्छा अगर हो तो फिर एक मौका भी आपके लिए वरदान साबित हो सकता है. जी हां कुछ ऐसा ही किया है अंबिकापुर के रहने वाले नितेश राज गुप्ता ने. कोरोना के दौरान नितेश मुंबई में थे. लॉकडाउन के दौरान उनकी नौकरी चली गई. थियेटर में पार्ट टाइम करते थे वो भी कमाई का जरिया बंद हो गया. मुसीबत ने घेरा तो वो अपने घर लौट आए. इंटरनेट और यूट्यूब को खंगाला और फिर एक वीडियों ने उनको वो रास्ता दिखाया जिसकी तलाश वो लंबे वक्त से कर रहे थे.

तुर्की स्टाइल में बनी कॉफी बेचने का लिया फैसला: यूट्यूब पर नितेश को तुर्की में कॉफी कैसे बनाई जाती है इसका वीडियो देखा. नितेश ने वो वीडियो देखने के बाद फैसला किया कि वो सरगुजा में इसी तरह की कॉफी बनाएगा और लोगों को सर्व करेगा. चंद दिनों में कॉफी बनाने में जितने भी सामान इस्तेमाल में आते थे उनका जुगाड़ किया. सब कुछ रेडी होने के बाद नितेश ने अपनी दुकान का नाम रखा टर्क कैफेसी. चंद दिनों में टर्क कैफेसी न सिर्फ अंबिकापुर में बल्कि पूरे सरगुजा में फेमस हो गया. लोग कॉफी पीने के लिए तो दुकान पर आते ही अनोखे तरीके से कॉफी बनते देखकर भी खुश होते.


कैसे बनती है तुर्किए की कॉफी: नितेश बताते हैं कि कॉफी को आंच पर चढ़ाकर नहीं बनाया जाता बल्कि उसे गर्म रेत पर बनाया जाता है. कांसे के लोटेनुमा बर्तन में गर्म रेत पर कॉफी के बर्तन को धीरे धीरे घुमा घुमाकर बनाया जाता है. कांसे के बर्तन में ऐसे ही कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं. गर्म रेत पर जब कांसे का बर्तन धीरे धीरे गर्म होता है तो उसमें बनने वाली कॉफी का स्वाद दस गुना बढ़ जाता है. नितेश ने अपने स्टार्ट अप से दूसरों को को भी काम देना शुरु कर दिया है. नितेश कहते हैं कि दूसरे दूसरे जिलों से लोग उनकी कॉफी पीने आज आते हैं, उनकी टर्क कैफेसी की कॉफी आज एक ब्रैंड बनने जा रही है.

चार से पांच लाख का होता सालाना बिजनेस: नितेश बताते हैं कि सालभर में पांच से छह लाख का बिजनेस वो कर रहे हैं. दो से तीन लोगों को नौकरी भी दे रहे हैं. नितेश कहते हैं कि कोरोना ने जितना गम दिया उतना आइडिया भी दिया आज उसी आइडिया के बदौलत वो अपनी दुकान चला रहे हैं. अंबिकापुर के चौपाटी पर बने टर्क कैफेसी में आज कॉफी लवर हर वक्त कॉफी की चुस्की लेते आपको मिल जाएंगे. नितेश के स्टार्टअप और उसके हौसले को देखने के बाद आप जरूर सोचेंगे कि बुरे वक्त में हौसला कभी नहीं छोड़ना चाहिए. निराशा में गोते लगाने से बेहतर है उम्मीदों का एक पत्थर उछालने की.देश दीपक गुप्ता, ईटीवी भारत, सरगुजा

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तुर्की स्टाइल में बनी कॉफी बेचने का लिया फैसला: यूट्यूब पर नितेश को तुर्की में कॉफी कैसे बनाई जाती है इसका वीडियो देखा. नितेश ने वो वीडियो देखने के बाद फैसला किया कि वो सरगुजा में इसी तरह की कॉफी बनाएगा और लोगों को सर्व करेगा. चंद दिनों में कॉफी बनाने में जितने भी सामान इस्तेमाल में आते थे उनका जुगाड़ किया. सब कुछ रेडी होने के बाद नितेश ने अपनी दुकान का नाम रखा टर्क कैफेसी. चंद दिनों में टर्क कैफेसी न सिर्फ अंबिकापुर में बल्कि पूरे सरगुजा में फेमस हो गया. लोग कॉफी पीने के लिए तो दुकान पर आते ही अनोखे तरीके से कॉफी बनते देखकर भी खुश होते.


कैसे बनती है तुर्किए की कॉफी: नितेश बताते हैं कि कॉफी को आंच पर चढ़ाकर नहीं बनाया जाता बल्कि उसे गर्म रेत पर बनाया जाता है. कांसे के लोटेनुमा बर्तन में गर्म रेत पर कॉफी के बर्तन को धीरे धीरे घुमा घुमाकर बनाया जाता है. कांसे के बर्तन में ऐसे ही कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं. गर्म रेत पर जब कांसे का बर्तन धीरे धीरे गर्म होता है तो उसमें बनने वाली कॉफी का स्वाद दस गुना बढ़ जाता है. नितेश ने अपने स्टार्ट अप से दूसरों को को भी काम देना शुरु कर दिया है. नितेश कहते हैं कि दूसरे दूसरे जिलों से लोग उनकी कॉफी पीने आज आते हैं, उनकी टर्क कैफेसी की कॉफी आज एक ब्रैंड बनने जा रही है.

चार से पांच लाख का होता सालाना बिजनेस: नितेश बताते हैं कि सालभर में पांच से छह लाख का बिजनेस वो कर रहे हैं. दो से तीन लोगों को नौकरी भी दे रहे हैं. नितेश कहते हैं कि कोरोना ने जितना गम दिया उतना आइडिया भी दिया आज उसी आइडिया के बदौलत वो अपनी दुकान चला रहे हैं. अंबिकापुर के चौपाटी पर बने टर्क कैफेसी में आज कॉफी लवर हर वक्त कॉफी की चुस्की लेते आपको मिल जाएंगे. नितेश के स्टार्टअप और उसके हौसले को देखने के बाद आप जरूर सोचेंगे कि बुरे वक्त में हौसला कभी नहीं छोड़ना चाहिए. निराशा में गोते लगाने से बेहतर है उम्मीदों का एक पत्थर उछालने की.देश दीपक गुप्ता, ईटीवी भारत, सरगुजा

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