सरगुजा: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने इस बार भाजपा पर बड़ा हमला किया है. बिना किसी का नाम लिए बड़ी ही साफगोई से उन्होंने हमला किया. सिंहदेव ने देश के प्रधानमंत्री पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से जब पूछा गया कि बजरंगदल और बजरंगबली पर हो रही सियासत पर उनका क्या मत है. तो उन्होंने अपनी भावनाएं और विचार व्यक्त किये और कहा कि बजरंग दल हनुमानजी नहीं हैं. ये केवल एक नाम ले रखा है.
बजरंगबली के सीने में रामचंद्र और सीता जी: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि "बजरंगबली को हम रामचंद्र जी के भक्त के स्वरूप में देखते हैं. बचपन मे मैंने देखा कि हनुमानजी कौन हैं. सीना खोला तो कौन दिखता .है रामचन्द्र जी सीता जी बैठे हैं. ये बचपन से हम लोगों ने फोटो देखें, पिक्चर देखें तो इस स्वरूप में देखा."
हनुमान जी को कैद करने की बात: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि "यदि कोई हनुमानजी को कैद करने की बात कहने लगे तो उससे सीमित मानसिकता कहा जा सकता है. बजरंग दल हनुमानजी नहीं हैं, बजरंग दल ने एक केवल नाम ले रखा है. ये हनुमानजी नहीं है. बजरंग बली का नाम अपने ले लिया तो क्या आप हनुमानजी हो गये. बजरंग दल हनुमान नहीं है. वो कहां हैं बजरंग दल कहां हैं."
देश हित समाज हित की बात होनी चाहिए: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि "बजरंग दल के साथ अगर कोई व्यवहार की बात होती है. तो कानूनी दायरे में कार्रवाई हो, देश हित, समाज हित में कार्रवाई होगी तो सब मानेंगे. कोई उंगली नहीं उठाएगा. बजरंग दल के सहारे हुड़दंग नहीं होना चाहिए"
पूरे देश के प्रधानमंत्री या भाजपा के प्रधानमंत्री: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि "कर्नाटक में अगर एक विधायक प्रत्याशी या विधायक ने ऐसा बयान सार्वजनिक तौर पर दिया कि खड़गे जी और उनके परिवार को जान का खतरा है. यानी एक विधायक कह रहा है तो देश के प्रधानमंत्री का फर्ज क्या बनता है पार्टी को देखना या कानून को देखना. वो कहने के लिये तो कहते हैं. हम 140 करोड़ के प्रधानमंत्री हैं. लेकिन दिखते तो नही हैं. दिखते तो एक दल के हैं. 35 फीसदी और 38% मत जिनको मिला है. ये उनके प्रधानमंत्री दिखते हैं." मैं विवेकानंद को मानता हूं. मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है.
स्वामी विवेकानंद ने कही एक धर्म की बात: सिंहदेव ने बीजेपी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता बार बार स्वामी विवेकानंद का नाम लेते हैं. लेकिन ये नहीं कहते कि एक धर्म होना चाहिये. जब भी स्वामी विवेकानंद जी ना नाम ले तो, ध्यान रखें कि विवेकानंद ने क्या कहा था. उन्होंने एक वैश्विक धर्म की बात कही. उसी के अंदर समा कर सब रहे. मैं उस चीज को मानता हूं."