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नई कोल खदान खोलने के विरोध में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने खोला मोर्चा

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति प्राकृतिक संपदा को बचाने के लिए 14 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रही है.

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति का अनिश्चितकालीन आंदोलन
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Published : Oct 16, 2019, 9:02 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: नए कोल खदान खोलने के विरोध में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने 14 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रही है. इसमें ग्राम तारा में सरगुजा, सूरजपुर और कोरबा जिले के ग्रामीणों की ओर से धरना दिया गया. जमकर नारेबाजी की गई.

नए कोल खदान खोलने के विरोध में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने खोला मोर्चा

ये हैं मांगें

  • ग्रामीणों का कहना है कि शासन ने जो नए खदान खोलने की स्वीकृति दी है, उसे तत्काल निरस्त किया जाए और कोल खदानों का विस्तार न किया जाए.
  • ग्रामीणों ने खदान क्षेत्र में पेशा कानून और भूमि अधिग्रहण कानून का पालन कराने की मांग की है.
  • वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत ग्रामसभा की सहमति के पूर्व वनाधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया खत्म किए बिना दी गई वन स्वीकृति को भी निरस्त किया जाए.
  • हसदेव अरण्य क्षेत्र में पतुरिया गिदमुड़ी, मदनपुर साऊथ कोल खनन परियोजनाओं को निरस्त किया जाए और खदान के विस्तार पर रोक लगाई जाए.
  • हसदेव अरण्य के जंगल प्राकृतिक रूप से संपन्न हैं. इस सम्पूर्ण क्षेत्र को खनन से मुक्त रखते हुए किसी भी नए कोल ब्लॉकों का आवंटन नहीं किया जाए.
  • वनाधिकार मान्यता कानून के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधन के अधिकारों को मान्यता देकर वनों का प्रबंधन ग्राम सभाओं को सौंपा जाए.

पढ़ें- अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव पर खुश नहीं हैं बस्तर और सरगुजा वाले

इस आंदोलन में तीन जिलों से 15 गांव के लगभग सौ ग्रामीण एक साथ शामिल हुए हैं. वहीं ग्रामीणों को उम्मीद है की अभी लगभग 25 गांव के लोग और भी जुड़ेंगे.

सरगुजा: नए कोल खदान खोलने के विरोध में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने 14 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रही है. इसमें ग्राम तारा में सरगुजा, सूरजपुर और कोरबा जिले के ग्रामीणों की ओर से धरना दिया गया. जमकर नारेबाजी की गई.

नए कोल खदान खोलने के विरोध में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने खोला मोर्चा

ये हैं मांगें

  • ग्रामीणों का कहना है कि शासन ने जो नए खदान खोलने की स्वीकृति दी है, उसे तत्काल निरस्त किया जाए और कोल खदानों का विस्तार न किया जाए.
  • ग्रामीणों ने खदान क्षेत्र में पेशा कानून और भूमि अधिग्रहण कानून का पालन कराने की मांग की है.
  • वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत ग्रामसभा की सहमति के पूर्व वनाधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया खत्म किए बिना दी गई वन स्वीकृति को भी निरस्त किया जाए.
  • हसदेव अरण्य क्षेत्र में पतुरिया गिदमुड़ी, मदनपुर साऊथ कोल खनन परियोजनाओं को निरस्त किया जाए और खदान के विस्तार पर रोक लगाई जाए.
  • हसदेव अरण्य के जंगल प्राकृतिक रूप से संपन्न हैं. इस सम्पूर्ण क्षेत्र को खनन से मुक्त रखते हुए किसी भी नए कोल ब्लॉकों का आवंटन नहीं किया जाए.
  • वनाधिकार मान्यता कानून के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधन के अधिकारों को मान्यता देकर वनों का प्रबंधन ग्राम सभाओं को सौंपा जाए.

पढ़ें- अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव पर खुश नहीं हैं बस्तर और सरगुजा वाले

इस आंदोलन में तीन जिलों से 15 गांव के लगभग सौ ग्रामीण एक साथ शामिल हुए हैं. वहीं ग्रामीणों को उम्मीद है की अभी लगभग 25 गांव के लोग और भी जुड़ेंगे.

Intro:सरगुजा : नई कोल खदान खोलने के विरोध में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आज से अनिश्चितकालीन आंदोलन चालु किया गया है। क्षेत्र के ग्राम तारा में सरगुजा, सूरजपुर व कोरबा जिले के ग्रामीणों द्वारा नए खदान खोले जाने के विरोध में धरना देकर नारेबाजी की गई। ग्रामीणों का कहना था कि शासन द्वारा जो नए खदान खोलने की स्वीकृति दी गई है उसे तत्काल निरस्त किया जाए और ना ही कोल खदानों का विस्तार किया जाए। ग्रामीणों द्वारा खदान क्षेत्र में पेशा कानून एवं भूमि अधिग्रहण कानून का पालन किए जाने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत ग्रामसभा की सहमती पूर्व एवं वनाधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया खत्म किए बिना दी गई वन स्वीकृति को भी निरस्त किया जाए। हसदेव अरण्य क्षेत्र में पतुरिया गिदमुड़ी, मदनपुर साऊथ कोल खनन परियोजनाओ को निरस्त किए जाए एवं खदान के विस्तार पर रोक लगाई जाए।

हसदेव अरण्य के जंगल से जुडी आदिवासी एवं अन्य ग्रामीण समुदाय की आजीविका व संस्कृति वन क्षेत्र में उपलब्ध जैव विविधता, हसदेव नदी एवं बांगो बांध के केचमेंट, हाथियों का रहवास क्षेत्र एवं छत्तीसगढ़ व दुनिया के पर्यावरण महत्वता के कारण इस सम्पूर्ण क्षेत्र को खनन से मुक्त रखते हुए किसी भी नए कोल ब्लाकों का आवंटन नही किया जाए। वनाधिकार मान्यता कानून के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधन के अधिकारों को मान्यता देकर वनों का प्रवंधन ग्रामसभाओं को सौपा जाए। Body:बहरहाल तीन जिलों के 15 गांव के लगभग सौ ग्रामीण एक साथ यह आंदोलन शुरू कर चुके हैं और ग्रामीणों को विश्वास है की अभी लगभग 25 गांव के लोग और भी आंदोलन से जुड़ेंगे, ऐसे में आदिवासियों की जमीन और जंगल की चिंता करने वाली कांग्रेस सरकार रुख इस आंदोलन के प्रति क्या होगा ये देखने वाला होगा।

बाईट01_मन साय कोर्राम (आंदोलनकारी ग्रामीण)

बाईट02_उमेश्वर सिंह आर्मो (आंदोलनकारी ग्रामीण)

देश दीपक सरगुजाConclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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