सरगुजा: अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा 22 जनवरी को है. इस दिन पूरा देश भगवान राम की पूजा अर्चना करेगा. भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे. भगवान राम ने 14 वर्ष के वनवास काल के शुरुआती दिन छत्तीसगढ़ में ही बिताए थे. आज हम आपको छत्तीसगढ़ के विश्रामपुर के बारे में बताने जा रहे हैं. विश्रामपुर में भगवान श्री राम ने वनवास काल में विश्राम किया था. यही कारण है कि इस जगह का नाम ही विश्रामपुर रख दिया गया.
विश्रामपुर बना अंबिकापुर: दरअसल, राजा राम के मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बनाने तक के सफर का सबसे अहम पड़ाव उनका वनवास काल था. वनवास काल में भगवान श्री राम छत्तीसगढ़ के सरगुजा में ठहरे थे. भगवान राम ने जहां एक रात विश्राम किया, उस जगह का नाम विश्रामपुर पड़ गया था. हालांकि साल 1905 में इसका नाम बदलकर अम्बिका देवी के नाम पर अम्बिकापुर कर दिया गया और पास के गांव को विश्रामपुर बना दिया गया.
अपने पूर्वजों से सुना है कि भगवान राम यहां आए थे. राम यहां विश्राम किए थे. जिस कारण पहले अम्बिकापुर का नाम विश्रामपुर था. बड़े ही हर्ष का विषय है कि भगवान राम का मंदिर का शुभारंभ अयोध्या में होने जा रहा है. -अभिमन्यु गुप्ता, सरगुजा निवासी
अंबिकादेवी के नाम पर पड़ा अम्बिकापुर: राम वन गमन परिपथ के लिए भगवान राम के रुकने के प्रमाणों को खोजने और उस पर शोध करने वाले अजय चतुर्वेदी से ईटीवी भारत ने बातचीत की. अजय चतुर्वेदी ने बताया कि "साल 1905 में विश्रामपुर का नाम बदलकर अम्बिका देवी के नाम पर अम्बिकापुर रखा गया. विश्रामपुर का नाम विलोपित ना हो इसलिए पास के गांव ओंणार बहरा का नाम विश्रामपुर किया गया, जो आज का विश्रामपुर है. महामाया देवी पहले श्रीगढ़ के पहाड़ में थीं. उनको अम्बिका माता के रूप में पूजा जाता था. उन्हीं के नाम पर यहां के राजा ने अम्बिकापुर नाम रखा. मंदिर को पहाड़ी के नीचे बनवाया, जो महामाया के रूप में राजा की कुल देवी के रूप में पूजी जाती रही हैं."
अम्बिकापुर में भगवान श्री राम के रुकने के कई प्रमाण मौजूद: भगवान श्री राम के राम के अम्बिकापुर के बाद महेशपुर और रामगढ़ में रुकने के सैकड़ों प्रमाण आज भी मौजूद हैं. रामगढ़ में तो सीता बेंगरा और लक्ष्मण बेंगरा भी मौजूद हैं. प्राचीन नाट्यशाला बनी हुई है, जिसके सामने हजारों की क्षमता वाली दर्शक दीर्घा है. मानो राम की पूरी वानर सेना उस दर्शक दीर्घा में बैठती हो. इसी तरह विश्रामपुर अब अंबिकापुर बन चुका है. भगवान राम के रुकने के प्रमाण आज भी यहां मौजूद हैं. यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के लोग खुद को धन्य मानते हैं, क्योंकि यहां वनवास काल का कुछ समय भगवान राम ने बिताया था.