अंबिकापुर: रनपुरकाल गांव में पंडो जनजाति की महिला को प्रसव की जैसे ही दिक्कत हुई गांव वाले मरीज को खटिया पर डालकर तुरंत अस्पताल के लिए भागे. करीब डेढ़ से 2 किलोमीटर की दूरी तय गांव वालों ने प्रसूता को एंबुलेंस तक पहुंचाया जिसके बाद महिला को इलाज मिल पाया. दिन का वक्त था तो महिला को लखनपुरी की डायर 112 की मदद भी मिल गई. रात के वक्त अगर गांव में किसी को अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ी तो मरीज को कंधों पर लादकर अस्पताल पहुंचाया जाता है. महिला को खटिया पर डालकर एंबुलेंस तक ले जाने का वीडियो अब तेज से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
मरीज के लिए गांव वाले बने देवदूत: अंबिकापुर में आज भी ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां एंबुलेंस नहीं पहुंचती है. स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस और जहां कर्मचारी नहीं पहुंचते, वहां गांव के लोग ही खटिया को एंबुलेंस बनाते हैं. ग्रामीण खुद स्वास्थ्य विभाग की भूमिका में मदद के लिए पहुंच जाते हैं. गांव में जब किसी गरीब की तबीयत खराब होती है या किसी महिला को डिलीवरी के लिए अस्पताल ले जाना होता है, तो उस वक्त गांव के ये देवदूत फरिश्ता बनकर लोगों को एंबुलेंस तक या फिर अस्पताल तक पहुंचाते हैं. आधी रात का वक्त हो या फिर बारिश और सर्दी का मौसम गांव के ये देवदूत भगवान बनकर धरती के भगवान के पास इलाज के लिए ले जाते हैं.
क्या है पूरा मामला: रनपुरकला गांव में पंडो महिला को अचानक प्रसव पीड़ा होने लगी. गांव वालों तुरंत डीपीसीआर की टीम को इस बात की जानकारी दी जिसके बाद डायल टीम को मौके के लिए रवाना किया गया. लेकिन दुर्गम रास्ता और गांव तक सड़क नहीं होने के चलते महिला को गांव वाले खटिया पर डालकर एंबुलेंस तक ले गए. गांव वालों की हमेशा से शिकायत रही है कि गांव में सड़क नहीं होने का खामियाजा हमेशा मरीजों को भुगतना पड़ता है. कई बार मरीज को एंबुलेंस भी नसीब नहीं होती जिससे मरीज की जान भी आफत में फंस जाती है.