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विजयादशमी पर राजपरिवार से मिलने पहुंचे सरगुजावासी - surguja dashhara

दशहरा के पर्व पर सरगुजावासी टीएस सिंहदेव से मुलाकात करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने वर्षों से चली आ रही परंपरा को निभाया.

शाही अंदाज में नजर आए मंत्री टी एस सिंहदेव
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Published : Oct 8, 2019, 7:34 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: दशहरा के दिन राजा से मुलाकात करने और उनको पूजने की परंपरा अंबिकापुर में सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा के मुताबिक अंबिकापुर के लोग राज परिवार के उत्तराधिकारी टीएस सिंहदेव से मिलने पहुंचे. इस दौरान सिंहदेव ने पूजापाठ कर महल में प्रवेश किया.

शाही अंदाज में नजर आए मंत्री टी एस सिंहदेव

परंपरा का निर्वहन करते हुए सरगुजा रियासत के 117वें उत्तराधिकारी टीएस सिंहदेव ने सरगुजा पैलेश में प्रवेश से पहले शस्त्र, अश्व, गज और द्वार का पूजन किया. इस परंपरा के मुताबिक पूजन के बाद ही लोग राजा के दर्शन करते हैं. दशहरे के दिन राजा का दर्शन करना शुभ माना जाता है. इसी कारण सरगुजावासी राज परिवार के उत्तराधिकारी टीएस सिंहदेव से मिलने पहुंचे.

इस परंपरा के संबंध में टीएस सिंहदेव ने बताया कि, 'रियासत काल में जो परंपरा रही है उसमें सभी जाति और वर्गों को सामान भाव से रखने के उद्देश्य से दशहरे के दिन शस्त्र पूजन के साथ गज, अश्व और नगाड़ों का भी पूजन किया जाता है. अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वार पूजा कराई जाती है. इस पूजा के बिना राजा भी महल के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते थे. इसके साथ ही मुस्लिम धर्मं के भी प्रतीकों की पूजा की जाती है'.

रियासत काल से चली आ रही परंपरा के मुताबिक दशहरे के दिन राजा से मिलने पूरे राज्य की प्रजा सरगुजा पैलेश पहुंचती थी और अपने राजा से भेंट कर इस रस्म का हिस्सा बनती थी.

सरगुजा: दशहरा के दिन राजा से मुलाकात करने और उनको पूजने की परंपरा अंबिकापुर में सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा के मुताबिक अंबिकापुर के लोग राज परिवार के उत्तराधिकारी टीएस सिंहदेव से मिलने पहुंचे. इस दौरान सिंहदेव ने पूजापाठ कर महल में प्रवेश किया.

शाही अंदाज में नजर आए मंत्री टी एस सिंहदेव

परंपरा का निर्वहन करते हुए सरगुजा रियासत के 117वें उत्तराधिकारी टीएस सिंहदेव ने सरगुजा पैलेश में प्रवेश से पहले शस्त्र, अश्व, गज और द्वार का पूजन किया. इस परंपरा के मुताबिक पूजन के बाद ही लोग राजा के दर्शन करते हैं. दशहरे के दिन राजा का दर्शन करना शुभ माना जाता है. इसी कारण सरगुजावासी राज परिवार के उत्तराधिकारी टीएस सिंहदेव से मिलने पहुंचे.

इस परंपरा के संबंध में टीएस सिंहदेव ने बताया कि, 'रियासत काल में जो परंपरा रही है उसमें सभी जाति और वर्गों को सामान भाव से रखने के उद्देश्य से दशहरे के दिन शस्त्र पूजन के साथ गज, अश्व और नगाड़ों का भी पूजन किया जाता है. अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वार पूजा कराई जाती है. इस पूजा के बिना राजा भी महल के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते थे. इसके साथ ही मुस्लिम धर्मं के भी प्रतीकों की पूजा की जाती है'.

रियासत काल से चली आ रही परंपरा के मुताबिक दशहरे के दिन राजा से मिलने पूरे राज्य की प्रजा सरगुजा पैलेश पहुंचती थी और अपने राजा से भेंट कर इस रस्म का हिस्सा बनती थी.

Intro:सरगुज़ा : रियासत काल से चली आ रही परंपरा सरगुज़ा में आज भी देखने को मिलती है, दशहरे के दिन राजा से मिलने पूरे राज्य की प्रजा सरगुज़ा पैलेश पहुंचती थी और अपने राजा से भेँट कर इस रश्म का हिस्सा बनती थी, रियासतें खत्म हो गई लेकिन राजपरिवार के प्रति आज भी लोगो की आस्था बनी हुई है।
इस परंपरा का निर्वहन करते हुए सरगुज़ा रियासत के 117 वें उत्तराधिकारी कैबनेट मंत्री टी एस सिंहदेव ने सरगुज़ा पैलेश में शस्त्र पूजन किया, इस दौरान शस्त्र, अश्व, गज औऱ द्वार का पूजन किया गया।

वर्षो की परंपरा है की पूजन के बाद लोग राजा के दर्शन करते हैं, दशहरे के दिन राजा का दर्शन करना शुभ माना जाता था, इसलिए आज भी लोगो का हुजूम राज परिवार के उत्तराधिकारी टी एस सिंहदेव से मिलने उमड़ता है।


Body:इस परंपरा के संबंध में टी एस सिंहदेव ने बताया की रियासत काल मे जो परंपरा रही है उसमें सभी जाति और वर्गों को सामान भाव से रखने के उद्देश्य से दशहरे के दिन शस्त्र पूजन के साथ, गज, अश्व और नगाड़ो का भी पूजन होता है, अनुसूचित जनजाति के लोगो के द्वारा द्वार पूजा कराई जाती है इस पूजा के बिना राजा भी महल के अंदर प्रवेश नही कर सकते थे, इसके साथ ही मुश्लिम धर्मं के भी प्रतीकों की पूजा की जाती है।

बाईट01_टी एस सिंहदेव (स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री)

देश दीपक सरगुज़ा


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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