सरगुजा: दशहरा के दिन राजा से मुलाकात करने और उनको पूजने की परंपरा अंबिकापुर में सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा के मुताबिक अंबिकापुर के लोग राज परिवार के उत्तराधिकारी टीएस सिंहदेव से मिलने पहुंचे. इस दौरान सिंहदेव ने पूजापाठ कर महल में प्रवेश किया.
परंपरा का निर्वहन करते हुए सरगुजा रियासत के 117वें उत्तराधिकारी टीएस सिंहदेव ने सरगुजा पैलेश में प्रवेश से पहले शस्त्र, अश्व, गज और द्वार का पूजन किया. इस परंपरा के मुताबिक पूजन के बाद ही लोग राजा के दर्शन करते हैं. दशहरे के दिन राजा का दर्शन करना शुभ माना जाता है. इसी कारण सरगुजावासी राज परिवार के उत्तराधिकारी टीएस सिंहदेव से मिलने पहुंचे.
इस परंपरा के संबंध में टीएस सिंहदेव ने बताया कि, 'रियासत काल में जो परंपरा रही है उसमें सभी जाति और वर्गों को सामान भाव से रखने के उद्देश्य से दशहरे के दिन शस्त्र पूजन के साथ गज, अश्व और नगाड़ों का भी पूजन किया जाता है. अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वार पूजा कराई जाती है. इस पूजा के बिना राजा भी महल के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते थे. इसके साथ ही मुस्लिम धर्मं के भी प्रतीकों की पूजा की जाती है'.
रियासत काल से चली आ रही परंपरा के मुताबिक दशहरे के दिन राजा से मिलने पूरे राज्य की प्रजा सरगुजा पैलेश पहुंचती थी और अपने राजा से भेंट कर इस रस्म का हिस्सा बनती थी.