अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ के सरगुजा में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने गणेश पूजा को देखते हुए मूर्ति बनाने का काम शुरू किया है.अम्बिकापुर के मेंड्राकला में महिलाएं गणेश जी की सुंदर मूर्तियां बना रहीं हैं. इनमें उत्पादक समूह कर्मी और शक्ति समूह की महिलायें शामिल हैं. अम्बिकापुर के मेंड्राकला में एक समूह की 10 महिलाएं और सीतापुर क्षेत्र के एक समूह की 12 महिलाएं गणेश प्रतिमा बना रहीं हैं.
महिलाएं मूर्ति बनाकर कमा रहीं मुनाफा: गणेश प्रतिमा बनाने वाली महिला विमला बताती हैं, "ग्राम मेंड्राकला में हम लोगों ने 15 दिन से आगामी त्यौहार को देखते हुए गणेश मूर्ति निर्माण का काम शुरू किया है. अब तक 10 हजार का एडवांस मिला है, जिसमें 7 हजार रुपए तक आमदनी समूह को मिली है. मूर्ति निर्माण का काम आर्डर के रूप में किया जा रहा है. शहर में स्टॉल लगाकर और सी मार्ट में इन मूर्तियों को बेचा जाएगा. हम लोग 30 मूर्ति बना चुके हैं, गणेश पूजा तक 50 मूर्ति और बना लेंगे."
"हम लोगों ने सोचा की थोड़ा अलग तरह से मूर्ति बनाकर के देखें, जो लोगों तक पहुंच सके. हम लोग नहीं जानते हैं कि मूर्ति किससे बनाई जाती है. हमने सोचा कि गांव की ही मिट्टी से बनाकर देखें ताकि लोगों तक पहुंच सकें और हम लोगों का भी फायदा हो. इसलिए हम लोग गांव की ही मिट्टी से इन मूर्तियों को बना रहे हैं." - सुनीता, सदस्य, महिला समूह
महिलाओं की सालाना आमदनी 1 लाख पार: अंबिकापुर शहर में 15 हजार से ज्यादा गरीब महिलाएं स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर हुई हैं. बड़ी बात यह है कि इनमें ज्यादातर महिलाएं आदिवासी समाज से हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की करीब 2 लाख 40 हजार महिला आबादी में से 1 लाख 29 हजार महिलाएं स्वरोजगार कर अपने जीवन को बेहतर बना रहीं हैं. विभाग के सर्वे के अनुसार, इनमें से 27 फीसदी यानी करीब 34 हजार महिलाओं की सालाना आमदनी 1 लाख से ज्यादा है.