सरगुजा: छत्तीसगढ़ का वनांचल क्षेत्र सरगुजा जिले की सीतापुर विधानसभा सीट में कांग्रेस मजबूत स्तंभ के रूप में रही है. यहां मतदाताओं में जातिगत समीकरण है. एसटी वर्ग के मतदाता यहां किसी भी नेता का भविष्य तय करते हैं. यहां से आने वाले अमरजीत भगत वर्तमान की कांग्रेस सरकार मे मंत्री हैं. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद 2003 में पहली बार वे विधानसभा जीत कर विधायक बने. तब से अमरजीत भगत लगातार सीतापुर से विधायक चुने गए. तीन बार विपक्ष के विधायक तो चौथी बार सरकार के मंत्री के रूप में काम करने का अवसर उन्हें मिला.
सीतापुर विधानसभा को जानिए: सीतापुर विधानसभा जिले की उन विधानसभाओं में से एक है जहां धर्मांतरण जोरों पर हुआ. आदिवासी (उरांव) समाज के ज्यादातर लोग क्रिश्चियन धर्म को मानते हैं. यहीं वोटर किसी भी प्रत्याशी की जीत में बड़ी भूमिका निभाते हैं. इस वजह से हिन्दुत्व का कार्ड भी कुछ खास काम नहीं आता है. इसके अलावा यहां कंवर और गोंड समाज के लोग भी एकजुट होकर मतदान करते हैं. यही वो तीन समाज है, जो चुनाव का परिणाम तय करते हैं.
2018 विधानसभा चुनाव में सीतापुर विधानसभा का गणित: 2018 विधानसभा चुनाव में सीतापुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अमरजीत भगत को 86670 वोट मिले. जबकि उनके प्रतिद्वंदी भाजपा के प्रोफेसर गोपाल राम को 50 हजार 533 वोट मिले. जेसीसीजे के सेतराम को सिर्फ 2495 वोट मिले. अमरजीत भगत ने 36 हजार 137 वोट के बड़े अंतर से चुनाव जीता. इस चुनाव में 81.30 प्रतिशत मतदान हुआ. कुल 1 लाख 53 हजार 223 मत पड़े. यहां कांग्रेस का वोट शेयर 57 प्रतिशत और भाजपा का वोट शेयर 33 प्रतिशत रहा.
प्रत्याशी चयन भाजपा के लिए टेढ़ी खीर : सीतापुर विधानसभा में भाजपा का आज तक खाता नहीं खुल सका है. कांग्रेस की जीत का बड़ा कारण यहां के कांग्रेस के परंपरागत वोटर उरांव समाज का एकजुट होना और कांग्रेस को वोट करना रहा है. लेकिन एक सबसे अहम कारण यह भी रहा है कि अमरजीत भगत की तुलना में भाजपा उतना योग्य प्रत्याशी भी चयन नहीं कर सकी है. अब आगे आने वाले चुनावों मे इस विधानसभा में भाजपा के सामने प्रत्याशी चयन बहुत अहम होगा.
साल 2023 में मतदाताओं की संख्या: साल 2023 में विधानसभा क्षेत्र में कुल 1 लाख 94 हजार 541 मतदाता हैं. जिनमें पुरुष मतदाता की संख्या 96270 है. महिला मतदाता की संख्या 98271 है. सामाजिक और जाति के आधार पर फिक्स डाटा तो उपलब्ध नहीं है लेकिन करीब 72 प्रतिशत आबादी यहां एसटी वर्ग की है. जिनमे सबसे अधिक उरांव समाज के मतदाता हैं. कंवर और गोंड समाज की अधिकता के साथ ही यादव और राजवार समाज के मतदाता भी इस क्षेत्र में है. साल 2018 में यहां कुल 1 लाख 70 हजार 963 मतदाता थे. जिनमे 84651 हजार पुरुष और 86232 हजार महिला मतदाताओं की संख्या थी.
क्या हैं मुद्दे और समस्याएं : सीतापुर विधानसभा सीट प्रदेश की एसटी आरक्षित सीट है. आजादी के बाद से लेकर अब तक यहां के चुनावी मुद्दे मूलभूत समस्याओं का समाधान ही रहा है. आज भी कई ऐसे गांव है जहां पहुंचना मुश्किल है. 2018 के चुनाव मे यहां जर्जर नेशनल हाइवे का निर्माण बड़ा मुद्दा था लेकिन अब यहां कनेक्टिविटी की मांग है. रेल लाइन से पूरी तरह यह विधानसभा वंचित है क्योंकि रेल लाइन अंबिकापुर तक ही हैं. अगर अंबिकापुर से रायगढ़ रेल लाइन बिछाया जाए तो सीतापुर के दिन बदल जाएंगे क्योंकि फिर यह विधानसभा रायगढ़, बिलासपुर और ओडिशा से सीधे जुड़ जाएगी. इससे व्यापार के अवसर बढ़ जाएंगे. हवाई मार्ग की सुविधा प्रमुख है. दरिमा में बन रहे एयरपोर्ट के नजदीक से ही जिले की तीनों विधानसभा की सीमा लगती है.
एल्यूमिनियम प्लांट का विरोध: इस विधानसभा क्षेत्र में रोजगार का प्रमुख साधन कृषि है. धान, टमाटर और गन्ने की पैदावार अधिक है. खेती के अलावा इस विधानसभा क्षेत्र में रोजगार के कुछ और अवसर नहीं है. इंडस्ट्री के नाम पर एक एल्यूमिनियम प्लांट बतौली विकासखण्ड मे प्रस्तावित है. अगर यह प्लांट शुरू होता है तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. लेकिन ग्रामीण प्लांट खुलने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. विरोध के स्वर इतने बुलंद है कि इसका प्रभाव 2023 के विधानसभा चुनाव के परिणाम पर भी असर डाल सकता है.
निर्वाचन क्षेत्र और विकास : यह सीट देश में और प्रदेश में हुए पहले विधानसभा चुनाव 1952 से ही अस्तित्व में आई और तब से ही यह सीट आरक्षित है. जंगल, झरनों, कुदरत के करिश्मे और तिब्बतीयों के लिए मशहूर मैनपाट भी इसी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. जशपुर और रायगढ़ की सीमा से लगी इस विधानसभा के ज्यादातर कस्बे कटनी गुमला नेशनल हाइवे के किनारे बसे हैं.