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मदर्स डे : नर्सिंग ऑफिसर अर्चना सिंह के त्याग, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम - अंबिकापुर न्यूज

अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुछ ऐसे हेल्थ वर्कर्स हैं जिन्होंने मानव सेवा को ऊपर रखते हुए अपना कर्तव्य निभाया है.नर्सिंग ऑफिसर अर्चना सिंह जिन्होंने खुद कोरोना संक्रमित होकर भी कोरोना मरीजों की सेवा की. आईसीयू में ड्यूटी करते हुए अर्चना सिंह कोरोना पॉजिटिव हो गई थी. उस वक्त अर्चना 7 महीने की प्रेग्नेंट थी और पहला बच्चा डेढ़ साल का था. इन सभी जिम्मेदारियों को उन्होंने हिम्मत के साथ निभाया.

story of Nursing Officer Archana Singh
नर्सिंग ऑफिसर अर्चना सिंह
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Published : May 9, 2021, 8:41 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: मां की ममता और समाज के प्रति अपने फर्ज के बीच यदि आपको किसी एक को चुनना पड़े तो आप किसे चुनेंगे ? जाहिर है की बच्चों की सुरक्षा के मामले में हर पैरेंट्स सजग होते हैं. बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं करता है, लेकिन अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुछ ऐसे हेल्थ वर्कर्स हैं जिन्होंने मानव सेवा को ऊपर रखते हुए अपना कर्तव्य निभाया है.

नर्सिंग ऑफिसर अर्चना सिंह के त्याग, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम

नर्सिंग ऑफिसर अर्चना सिंह, जिन्होंने कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण पेश किया और खुद संक्रमित होकर भी अपना काम बखूबी निभाया. दरअसल, कोरोना की पहली लहर में आईसीयू में ड्यूटी करते हुए अर्चना सिंह कोरोना पॉजिटिव हो गई. उस वक्त अर्चना 7 महीने की प्रेग्नेंट थी. पहला बच्चा डेढ़ साल का था. जिसे पिता और ननद घर में संभाल रही थी. ड्यूटी के कारण अर्चना अपने बच्चे से मिल नहीं पाती थी. इसी बीच कोविड वार्ड में वे अपने इलाज के साथ-साथ अन्य कोरोना मरीजों का ध्यान भी रखती थी. कोरोना से ठीक होने के बाद भी अर्चना लंबे समय तक अपने बच्चे से दूर रहीं. यह इतना भी आसान नहीं, जितना कहने और सुनने में लगता है.

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त्याग, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम

इधर अर्चना ने 7 नवंबर को बेटी को जन्म दिया. कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. अब अर्चना ने दोबारा ड्यूटी ज्वाइन कर ली है. एक बार फिर मानव सेवा को धर्म मानते हुए अर्चना अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ चली हैं. आम तौर पर छोटे बच्चे और गर्भावस्था की वजह से लोग छुट्टी या अन्य माध्यम से आराम से काम करना पसंद करते हैं. कोरोना काल में कम जोखिम वाला काम गर्भवती माताओं को देने की सिफारिशें होती हैं, लेकिन अर्चना पीछे नहीं हटीं. उन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को घर में छोड़ ड्यूटी निभाई. अर्चना जैसी हेल्थ वर्कर की वजह से ही इस भयंकर महामारी के दौर में भी हम लड़ रहे हैं. ऐसे हेल्थ वर्कर्स जो अपनी जान जोखिम में डालकर सबकी जान बचा रहे हैं. ये कोविड काल के हीरो हैं. इनकी त्याग, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम.

सरगुजा: मां की ममता और समाज के प्रति अपने फर्ज के बीच यदि आपको किसी एक को चुनना पड़े तो आप किसे चुनेंगे ? जाहिर है की बच्चों की सुरक्षा के मामले में हर पैरेंट्स सजग होते हैं. बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं करता है, लेकिन अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुछ ऐसे हेल्थ वर्कर्स हैं जिन्होंने मानव सेवा को ऊपर रखते हुए अपना कर्तव्य निभाया है.

नर्सिंग ऑफिसर अर्चना सिंह के त्याग, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम

नर्सिंग ऑफिसर अर्चना सिंह, जिन्होंने कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण पेश किया और खुद संक्रमित होकर भी अपना काम बखूबी निभाया. दरअसल, कोरोना की पहली लहर में आईसीयू में ड्यूटी करते हुए अर्चना सिंह कोरोना पॉजिटिव हो गई. उस वक्त अर्चना 7 महीने की प्रेग्नेंट थी. पहला बच्चा डेढ़ साल का था. जिसे पिता और ननद घर में संभाल रही थी. ड्यूटी के कारण अर्चना अपने बच्चे से मिल नहीं पाती थी. इसी बीच कोविड वार्ड में वे अपने इलाज के साथ-साथ अन्य कोरोना मरीजों का ध्यान भी रखती थी. कोरोना से ठीक होने के बाद भी अर्चना लंबे समय तक अपने बच्चे से दूर रहीं. यह इतना भी आसान नहीं, जितना कहने और सुनने में लगता है.

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त्याग, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम

इधर अर्चना ने 7 नवंबर को बेटी को जन्म दिया. कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. अब अर्चना ने दोबारा ड्यूटी ज्वाइन कर ली है. एक बार फिर मानव सेवा को धर्म मानते हुए अर्चना अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ चली हैं. आम तौर पर छोटे बच्चे और गर्भावस्था की वजह से लोग छुट्टी या अन्य माध्यम से आराम से काम करना पसंद करते हैं. कोरोना काल में कम जोखिम वाला काम गर्भवती माताओं को देने की सिफारिशें होती हैं, लेकिन अर्चना पीछे नहीं हटीं. उन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को घर में छोड़ ड्यूटी निभाई. अर्चना जैसी हेल्थ वर्कर की वजह से ही इस भयंकर महामारी के दौर में भी हम लड़ रहे हैं. ऐसे हेल्थ वर्कर्स जो अपनी जान जोखिम में डालकर सबकी जान बचा रहे हैं. ये कोविड काल के हीरो हैं. इनकी त्याग, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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