सरगुजा: कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को रोक दिया है. हर इंसान घर में कैद होने को मजबूर है. न किसी से मिलना-जुलना हो रहा है और न ही कोई उत्सव या समारोह मनाया जा रहा है. इस महामारी ने कारोबार को जहां बहुत नुकसान पहुंचाया है तो, वहीं किसानों और व्यवसायियों की भी कमर तोड़ कर रख दी है. इस लॉक डाउन का असर फूलों की खेती पर भी बहुत पड़ा है.
जिन फूलों को देखकर आपका दिन बना करता था, हर उत्सव में रौनक आती थी और हर आयोजन में चार चांद लग जाते थे. कोविड-19 महामारी की वजह से उन्हें कोई पूछने वाला भी नहीं है. लॉकडाउन के कारण न तो इसकी मांग हो रही है और न ही इसकी बिक्री. सबसे बड़ी चिंता की बात फूलों की खेती करने वाले किसानों की स्थिति है.
फूलों पर भी पड़ा वायरस का प्रभाव
नोवेल कोरोना वायरस की वजह से हुये लॉकडाउन में किसानों का यह एक ऐसा वर्ग है, जो बर्बादी की कगार पर है. यह ऐसी खेती है, जिसकी डिमांड लॉकडाउन ने खत्म ही कर दी है. अब ऐसे में सरकार इनकी कटाई करने और व्यवसाय करने की अनुमति दे भी दे, तो भी इनका कोई लाभ नहीं है. इस महामारी के दौरान विवाह या अन्य समारोह प्रतिबंधित हैं, जिससे फूलों की डिमांड रुक गई है. लिहाजा कई एकड़ में लगी फूलों की फसल खेतों में ही बर्बाद हो रही है.
बाजार से आउट हुआ फूल व्यापार
छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों की चिंता करते हुए कृषि कार्य करने और उससे संबंधित वस्तुओं को लॉकडाउन से मुक्त कर दिया है. लेकिन इन किसानों का क्या होगा. ये अगर किसी तरह अपने फूलों को तोड़ भी लें तो इन्हें खरीदेगा कौन. अन्न या सब्जी उगाने वाले कृषक तो लॉकडाउन में भी सब्जी और अनाज की मांग की वजह से अपनी फसल बेच पा रहे हैं. लेकिन फूल की खेती करने वाले किसानों के सामने बर्बादी के अलावा अब और कोई रास्ता नहीं दिख रहा.
खेतों में ही बर्बाद हो रहे फूल
बता दें कि सरगुजा क्षेत्र में बड़ी मात्रा में फूलों की खेती की जाती है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से फूल खेतों में ही बर्बाद हो रहे हैं. स्थिति को देखते हुए हमने फूल की खेती करने वाले किसान श्रवण कुमार से बातचीत की. इस संकट से चिंतित श्रवण ने बताया की फूल का व्यापार तो बंद ही है. लेकिन अधिक चिंता इस बात की है कि उन्होंने 6 एकड़ में गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा सहित अन्य फूल लगाए थे, जो अब बर्बाद होने की कगार में है. जिसके लिए शासन ने कोई प्रावधान नहीं लाया है.
शासन से मदद की लगा रहे गुहार
शासन के निर्देश पर न तो समारोह हो रहे हैं और न ही विवाह. अब ऐसे में जब कोई फूल खरीदेगा ही नहीं, तो खेत में लगे ये फूल यूं ही मुरझा जाएंगे. इसमें लगने वाली किसान की लागत भी नहीं निकल पाएगी. श्र-वण सरकार से उम्मीद लगाए बैठा है कि शायद सरकार उनकी और उनके जैसे फूल की खेती करने वाले किसानों की कोई मदद करे. अब देखना यह होगा कि फूलों की खेती करने वालों किसानों के लिए शासन-प्रशासन क्या कदम उठाता है.