सरगुजा: जिले में स्पेस साइंस के बारे बच्चों को जागरूक करने के लिए विशेष पहल की गई है. यहां बच्चों को अंतरिक्ष ज्ञान अभियान के माध्यम से अंतरिक्ष विज्ञान की जानकारी दी जा रही है. ये वैज्ञानिक छत्तीसगढ़ में 36 स्थानों में अंतरिक्ष ज्ञान अभियान चला रहे हैं. इसी कड़ी में ये टीम सरगुजा पहुंचे हैं. इसरो द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था के युवा विज्ञानियों ने आज शहर के दो बड़े स्कूलों में बच्चों को चंद्रयान, सैटेलाइट और पीएसएलवी रॉकेट सहित अन्य उपकरणों के मॉडल के माध्यम से अंतरिक्ष के बारे में जानकारी दी.
अब बच्चे अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति आकर्षित हो रहे: इस संस्था के लोग संभाग के सभी जिलों में स्कूलों का दौरा कर बच्चों को एस्ट्रोनॉट और वैज्ञानिक बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. दरअसल, चंद्रयान-3 की सफलता के बाद देश भर के युवाओं और बच्चों में स्पेस साइंस के प्रति रुची बढ़ी है. बच्चे अब अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति आकर्षित हो रहे हैं. यही कारण है कि इसरो से मान्यता प्राप्त संस्था ने छत्तीसगढ़ में अंतरिक्ष ज्ञान अभियान कार्यक्रम की शुरुआत की है.
संस्था की ओर से बच्चों को दी गई जानकारी: अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति लोगों को जागरूक करने के इस अभियान की शुरुआत संस्था ने 2 अक्टूबर को की थी. संस्था के अंतरिक्ष विज्ञान पर आधारित मॉडल के रथ को रवाना करने के लिए खुद चंद्रयान मिशन में काम कर चुके वैज्ञानिक डॉ पीडी मिश्रा ने हरी झंडी दिखाई थी. रायपुर से शुरू हुआ यह अभियान 10 जिलों से होते हुए शनिवार को सरगुजा पहुंचा. संस्था ने शहर के स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल और शासकीय मल्टी परपज स्कूल में बच्चों के सामने रॉकेट, स्पेस सेटेलाइट और अन्य उपकरणों के मॉडल पेश किए. साथ ही भारत की ओर से अंतरिक्ष के अब तक के सफर, लॉन्च किए गए सेटेलाइट, रॉकेट की जानकारी भी संस्था ने बच्चों को दी.
संस्था ने बच्चों को दी सैटेलाइट संबंधी जानकारी: इस संस्था के अध्यक्ष रत्नेश मिश्रा और मानवी धवन ने यह जानकारी दी कि संस्था स्पेस साइंस के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए पिछले तीन सालों से ये अभियान चला रही है. 50 से अधिक देशों में लोगों को स्पेस साइंस के प्रति जागरूक करने का काम ये संस्था कर चुकी है. कोरोना काल में संस्था की ओर से ऑनलाइन कार्यशाला भी चलाया जाता था. इस तरह की गतिविधियों को छत्तीसगढ़ में पहली बार लागू किया गया है. संस्था की सदस्य मानवी धवन ने बताया कि, "मैं आईआईटी बॉम्बे की छात्रा रह चुकी हूं. भारत का पहला स्टूडेंट सैटेलाइट लॉन्च किया था. साल 2016 में इसरो के पीएसएलवी रॉकेट के माध्यम से स्टूडेंट सैटेलाइट को लॉन्च किया गया था, जिसे प्रथम नाम दिया गया था."
अब ये टीम सूरजपुर और बलरामपुर जाएगी: बता दें कि संस्था की ओर से बनाए गए पांच रॉकेट के मॉडल और एक स्पेस सैटेलाइट के मॉडल के साथ ही एस्ट्रोनॉट के मॉडल को देख बच्चे काफी उत्साहित दिखे. कार्यशाला में बच्चों को रॉकेट, सेटेलाइट के मॉडल, उनके काम करने के तरीकों की बेसिक जानकारी आसान शब्दों में बताई गई. कार्यक्रम के दौरान कई बच्चों ने भी स्ट्रोनोट बनने, स्पेस साइंटिस्ट बनने को लेकर अपनी रुची जाहिर की. अब ये टीम सूरजपुर, बलरामपुर जिले में बच्चों को जागरूक करने के लिए जाएगी.