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सरगुजा में महाराजा का महल कैसे बना सर्किट हाउस, जानिए !

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Published : Nov 9, 2022, 9:42 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

Singhdeo royal palace सरगुजा में एक जमाने में सिंहदेव राजघराने का महल आज सर्किट हाउस है. आखिर कैसे सरगुजा का कुमार पैलेस सर्किट हाउस बना royal palace in Surguja became circuit house. इस महल का निर्माण कैसे हुआ था. इस बारे में ईटीवी भारत ने सिंहदेव राजघराने के सदस्यों और इतिहासकारों से बात की है.Kumar Palace of Surguja is Circuit House

Singhdeo royal palace in Surguja
सिंहदेव राजघराने का महल

सरगुजा: सरगुजा रियासतकालीन विरासत का गढ़ है. इन विरासतों में सरगुजा की विरासत सर्किट हाउस भी है. यह सर्किट हाउस कभी महल हुआ करता था. सरगुजा स्टेट के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव के छोटे बेटे महाराज कुमार चंडीकेश्वर शरण सिंह देव का पैलेस बनाया गया था. लेकिन स्टेट मर्जर के बाद यह सरकार का हो गया और अब इसमें उच्च विश्रामगृह सहित कई अन्य शासकीय कार्यालय संचालित हैं. Kumar Palace of Surguja is Circuit House

सिंहदेव राजघराने के महल के बारे में जानिए
पूरे छत्तीसगढ़ में नहीं ऐसा सर्किट हाउस: महल के उत्तराधिकारी विंध्येश्वर शरण सिंहदेव से हमने महल का इतिहास जाना जिस पर उन्होंने बताया कि " पिता जी को लोग बताते थे कि 1940 के करीब इसका निर्माण शुरू हुआ था और 1947 के करीब ये कम्प्लीट हो गया था. उस टाइम तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी आये थे. हमारे जो दादा जी थे महाराज कुमार चंडीकेश्वर शरण सिंहदेव उनको कुमार साहब बोला जाता था तो इसलिए इसे कुमार पैलेस कहा जाने लगा. इसको बनाने में इंग्लैंड से इसके कांच और स्विच लाये गये थे. यहां के जो प्रशिक्षित कारीगर थे उन्होंने इसका निर्माण किया. यह इतना खूबसूरत है कि मुझे नहीं लगता कि पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसा सर्किट हाउस होगा.Singhdeo royal palace सरगुजा के पहले सांसद थे कुमार साहब: विंध्येश्वर शरण सिंह बताते हैं कि " 1947 के बाद सर्किट हाउस को गवर्मेंट को दे दिया गया. जो आज भी कुमार पैलेस के नाम से जाना जाता है. दादा जी जो महाराज रामानुज शरण सिंहदेव के छोटे बेटे थे महाराज कुमार चंडीकेश्वर शरण सिंहदेव 1952 से लेकर 1962 तक वो यहां के प्रथम सांसद भी रहे. 1952 में वह निर्दलीय चुनाव लड़े थे. तब वो देश मे नेता प्रतिपक्ष थे. बाद में वो कांग्रेस से चुनाव लड़े और सांसद बने. उन्हीं ने वो निर्माण कराया जो भव्य पैलेस के रूप में है. वहां की नक्काशी देखिये खूबसूरत कांच लगे हुए थे जिसमें सरगुजा स्टेट का मोनो और उनका नाम भी लिखा हुआ था. अब तो सब कांच टूट गये"royal palace in Surguja became circuit house

ये भी पढ़ें: Chhattisgarh Gaurav geet: सरगुजा के लाल से जानिए कैसे बना छत्तीसगढ़ का गौरव गीत ?



रसूल मिस्त्री ने किया था निर्माण: सरगुजा के इतिहासकार गोविंद शर्मा बताते हैं "रसूल मिस्त्री ने इस पैलेस का निर्माण का निर्माण किया था. उन्हीं के नाम से एक मोहल्ला रसूलपुर प्रसिद्ध हो गया है. भवन कुमार पैलेस के रूप में विख्यात था. यहां देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद भी ठहर चुके हैं. तब अंबिकापुर में सर्किट हाउस नहीं था. मणिपुर स्कूल और जिला अस्पताल के बीच में रेस्ट हाउस था जहां 1967 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने सरगुजा प्रवास में ठहरी थी"


विदेशों से लाया गया था सामान: गोविंद शर्मा आगे कहते हैं "उस दौरान वर्तमान सर्किट हाउस यानी कुमार पैलेस में डिग्री कालेज संचालित होता था. 1971-72 में कालेज के वहां से शिफ्ट होने के बाद रेस्ट हाउस को सर्किट हाउस का दर्जा देकर उसे कुमार पैलेस में शिफ्ट किया गया. इस भवन में बेल्जियम का शीशा, पेरिस, इटली की कलाकारी आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है"

सरगुजा: सरगुजा रियासतकालीन विरासत का गढ़ है. इन विरासतों में सरगुजा की विरासत सर्किट हाउस भी है. यह सर्किट हाउस कभी महल हुआ करता था. सरगुजा स्टेट के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव के छोटे बेटे महाराज कुमार चंडीकेश्वर शरण सिंह देव का पैलेस बनाया गया था. लेकिन स्टेट मर्जर के बाद यह सरकार का हो गया और अब इसमें उच्च विश्रामगृह सहित कई अन्य शासकीय कार्यालय संचालित हैं. Kumar Palace of Surguja is Circuit House

सिंहदेव राजघराने के महल के बारे में जानिए
पूरे छत्तीसगढ़ में नहीं ऐसा सर्किट हाउस: महल के उत्तराधिकारी विंध्येश्वर शरण सिंहदेव से हमने महल का इतिहास जाना जिस पर उन्होंने बताया कि " पिता जी को लोग बताते थे कि 1940 के करीब इसका निर्माण शुरू हुआ था और 1947 के करीब ये कम्प्लीट हो गया था. उस टाइम तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी आये थे. हमारे जो दादा जी थे महाराज कुमार चंडीकेश्वर शरण सिंहदेव उनको कुमार साहब बोला जाता था तो इसलिए इसे कुमार पैलेस कहा जाने लगा. इसको बनाने में इंग्लैंड से इसके कांच और स्विच लाये गये थे. यहां के जो प्रशिक्षित कारीगर थे उन्होंने इसका निर्माण किया. यह इतना खूबसूरत है कि मुझे नहीं लगता कि पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसा सर्किट हाउस होगा.Singhdeo royal palace सरगुजा के पहले सांसद थे कुमार साहब: विंध्येश्वर शरण सिंह बताते हैं कि " 1947 के बाद सर्किट हाउस को गवर्मेंट को दे दिया गया. जो आज भी कुमार पैलेस के नाम से जाना जाता है. दादा जी जो महाराज रामानुज शरण सिंहदेव के छोटे बेटे थे महाराज कुमार चंडीकेश्वर शरण सिंहदेव 1952 से लेकर 1962 तक वो यहां के प्रथम सांसद भी रहे. 1952 में वह निर्दलीय चुनाव लड़े थे. तब वो देश मे नेता प्रतिपक्ष थे. बाद में वो कांग्रेस से चुनाव लड़े और सांसद बने. उन्हीं ने वो निर्माण कराया जो भव्य पैलेस के रूप में है. वहां की नक्काशी देखिये खूबसूरत कांच लगे हुए थे जिसमें सरगुजा स्टेट का मोनो और उनका नाम भी लिखा हुआ था. अब तो सब कांच टूट गये"royal palace in Surguja became circuit house

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रसूल मिस्त्री ने किया था निर्माण: सरगुजा के इतिहासकार गोविंद शर्मा बताते हैं "रसूल मिस्त्री ने इस पैलेस का निर्माण का निर्माण किया था. उन्हीं के नाम से एक मोहल्ला रसूलपुर प्रसिद्ध हो गया है. भवन कुमार पैलेस के रूप में विख्यात था. यहां देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद भी ठहर चुके हैं. तब अंबिकापुर में सर्किट हाउस नहीं था. मणिपुर स्कूल और जिला अस्पताल के बीच में रेस्ट हाउस था जहां 1967 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने सरगुजा प्रवास में ठहरी थी"


विदेशों से लाया गया था सामान: गोविंद शर्मा आगे कहते हैं "उस दौरान वर्तमान सर्किट हाउस यानी कुमार पैलेस में डिग्री कालेज संचालित होता था. 1971-72 में कालेज के वहां से शिफ्ट होने के बाद रेस्ट हाउस को सर्किट हाउस का दर्जा देकर उसे कुमार पैलेस में शिफ्ट किया गया. इस भवन में बेल्जियम का शीशा, पेरिस, इटली की कलाकारी आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है"

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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