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No Shadow Day 2023: इस दिन परछाई छोड़ देगी आपका साथ, जानिए इसकी वजह

No Shadow Day 2023 जून के महीने में हर साल नो शैडो डे और जीरो शैडो डे आता है. इस दिन धूप में आपकी परछाई नहीं दिखेगी. क्योंकि इस दिन परछाई भी आपका साथ छोड़ देती है. ऐसा कैसे होता है, इसे जानने के लिए पढ़िए यह रिपोर्ट. Zero Shadow Day in surguja

No Shadow Day 2023
इस दिन परछाई छोड़ देगी आपका साथ
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Published : Jun 20, 2023, 8:49 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

इस दिन परछाई छोड़ देगी आपका साथ

सरगुजा: ऐसा कहा जाता है कि, जब इंसान का बुरा वक्त आता है तो उसकी परछाई भी उसका साथ छोड़ देती है. ऐसा असल जिंदगी में भी होता है. लेकिन उसकी टाइमिंग है. दरअसल 21 जून के दिन दोपहर 12 बजे कर्क रेखा वाले स्थान पर परछाई बननी बंद हो जाती है. वैज्ञानिक ये भी बताते हैं कि इस तरह की घटनाएं 21 जून के दो चार दिन पहले से लेकर दो चार दिन बाद तक देखने को मिलती है. यह सिर्फ दोपहर 12 बजे के समय ही देखने को मिलती है.

नो शैडो डे पर क्या कहते हैं वैज्ञानिक: विज्ञान के जानकारों की मानें तो उत्तरी गोलार्ध में साल का एक दिन ऐसा होता है. जब इंसान को उसकी परछाई नहीं दिखती है. यह घटना निश्चित समय और निश्चित स्थान पर ही घटती है, जिसे नो शैडो डे या जीरो शैडो डे और ग्रीष्म संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है. इसका असर और इफेक्ट कर्क रेखा के बिंदु के तौर पर सरगुजा में दिखता है, जिस वजह से यह डे सरगुजा में देखा जाता है.

नो शैडो डे कैसे बनता है: शोधकर्ता अक्षय मोहन भट्ट बताते हैं कि "सूर्य के कर्क रेखा पर लंबवत होने (vertical) के कारण 21 जून या 22 जून को नो शैडो डे होता है. नो शैडो डे सिर्फ उन स्थानों पर ही देखा जा सकता है, जहां से कर्क रेखा गुजरती है. सरगुजा में बलरामपुर, प्रतापपुर और कोरिया जिले से होकर कर्क रेखा गुजरती है. कर्क रेखा सर्किल पर ऐसा इसलिए होता है. क्योंकि इस दिन सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत होता है. मतलब इंसान के सिर के ठीक ऊपर सूर्य आ जाता है."

नो शैडो डे की वजह से बनता है साल का सबसे बड़ा दिन: शोधकर्ता अक्षय मोहन भट्ट यह भी बताते हैं कि "आज ही के दिन साल का सबसे बड़ा दिन भी होता है. लगभग साढ़े 13 घंटे से अधिक का दिन होता है, जबकि रात कम समय की हो जाती है. इसकी वजह है कि जब उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा पर सूर्य वर्टिकल आ जाता है. तो ऐसा होने से दिन ज्यादा बड़ा हो जाता है. जैसे ही वह भूमध्य रेखा की ओर जाता है, वैसे ही दिन का समय घट जाता है.

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जीरो शैडो डे में सूर्य होता है सीधे सिर के ऊपर: यह अद्भुत खगोलीय घटना कर्क रेखा के क्षेत्र में घटती है. उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी पर वह अन्तिम रेखा जहां तक सूर्य की किरणें लंबवत पड़ सकती हैं, उसे ही कर्क रेखा कहा गया है. यह रेखा 23.5 डिग्री उत्तर में स्थित है. मतलब भू मध्य वृत्त (earth equator) के केन्द्र से पृथ्वी की परिधि पर 23.5 डिग्री का कोण बनाने वाली बिंदु है. यहां पर तैयार वृत्तीय full circular arc यानी कि कर्क वृत्त के रूप में जानी जाती है.

नो शैडो डे पर कर्क रेखा के नजदीक होता है सूर्य: इस वृत्त पर पूरे भारत वर्ष में एक बार 21 जून को सूर्य की किरणें सीधी या लंबवत होती है. यही वजह है कि इस दिन को ग्रीष्म संक्रांति दिवस कहा जाता है. इस घटना में बदलाव भी होता है. इसलिए नो शैडो डे कभी कभी 21 जून की बजाय 22 जून को भी होता है. इस दिन सूर्य के वर्टिकल और लंबवत होने की वजह से इस दिन को ग्रीष्म संक्रांति दिवस भी कहा जाता है. 21 जून की तिथि में स्थिरता नहीं होती. कभी कभी नो शैडो डे के दिन में बदलाव भी होता है, जिससे यह घटना 22 जून को भी घटित होती है. इस तिथि को कर्क रेखा पर सूर्य के लंबवत हो जाने से या सबसे नजदीक होने से ऊष्मा भी बढ़ जाती है, जिससे इस तारीख के आस पास गर्मी भी बढ़ जाती है.

नो शैडो डे पर जानिए किन देशों से गुजरती है कर्क रेखा वृत्त: कर्क रेखा वृत्त के बारे में बात करें तो ये दुनिया के 18 देशों में बनती है. इनमें मैक्सिको, अल्जीरिया, माली, मिस्र, नाइजीरिया, ओमान, यूएई, चीन, बहामास, ताईवान, सूडान, बांग्लादेश, साऊदी अरब, लीबिया और भारत शामिल है. जहां से होकर यह गुजरती है. भारत में कर्क रेखा 8 राज्यों से होकर जाती है. इन राज्यों में छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं.

इस दिन परछाई छोड़ देगी आपका साथ

सरगुजा: ऐसा कहा जाता है कि, जब इंसान का बुरा वक्त आता है तो उसकी परछाई भी उसका साथ छोड़ देती है. ऐसा असल जिंदगी में भी होता है. लेकिन उसकी टाइमिंग है. दरअसल 21 जून के दिन दोपहर 12 बजे कर्क रेखा वाले स्थान पर परछाई बननी बंद हो जाती है. वैज्ञानिक ये भी बताते हैं कि इस तरह की घटनाएं 21 जून के दो चार दिन पहले से लेकर दो चार दिन बाद तक देखने को मिलती है. यह सिर्फ दोपहर 12 बजे के समय ही देखने को मिलती है.

नो शैडो डे पर क्या कहते हैं वैज्ञानिक: विज्ञान के जानकारों की मानें तो उत्तरी गोलार्ध में साल का एक दिन ऐसा होता है. जब इंसान को उसकी परछाई नहीं दिखती है. यह घटना निश्चित समय और निश्चित स्थान पर ही घटती है, जिसे नो शैडो डे या जीरो शैडो डे और ग्रीष्म संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है. इसका असर और इफेक्ट कर्क रेखा के बिंदु के तौर पर सरगुजा में दिखता है, जिस वजह से यह डे सरगुजा में देखा जाता है.

नो शैडो डे कैसे बनता है: शोधकर्ता अक्षय मोहन भट्ट बताते हैं कि "सूर्य के कर्क रेखा पर लंबवत होने (vertical) के कारण 21 जून या 22 जून को नो शैडो डे होता है. नो शैडो डे सिर्फ उन स्थानों पर ही देखा जा सकता है, जहां से कर्क रेखा गुजरती है. सरगुजा में बलरामपुर, प्रतापपुर और कोरिया जिले से होकर कर्क रेखा गुजरती है. कर्क रेखा सर्किल पर ऐसा इसलिए होता है. क्योंकि इस दिन सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत होता है. मतलब इंसान के सिर के ठीक ऊपर सूर्य आ जाता है."

नो शैडो डे की वजह से बनता है साल का सबसे बड़ा दिन: शोधकर्ता अक्षय मोहन भट्ट यह भी बताते हैं कि "आज ही के दिन साल का सबसे बड़ा दिन भी होता है. लगभग साढ़े 13 घंटे से अधिक का दिन होता है, जबकि रात कम समय की हो जाती है. इसकी वजह है कि जब उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा पर सूर्य वर्टिकल आ जाता है. तो ऐसा होने से दिन ज्यादा बड़ा हो जाता है. जैसे ही वह भूमध्य रेखा की ओर जाता है, वैसे ही दिन का समय घट जाता है.

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जीरो शैडो डे में सूर्य होता है सीधे सिर के ऊपर: यह अद्भुत खगोलीय घटना कर्क रेखा के क्षेत्र में घटती है. उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी पर वह अन्तिम रेखा जहां तक सूर्य की किरणें लंबवत पड़ सकती हैं, उसे ही कर्क रेखा कहा गया है. यह रेखा 23.5 डिग्री उत्तर में स्थित है. मतलब भू मध्य वृत्त (earth equator) के केन्द्र से पृथ्वी की परिधि पर 23.5 डिग्री का कोण बनाने वाली बिंदु है. यहां पर तैयार वृत्तीय full circular arc यानी कि कर्क वृत्त के रूप में जानी जाती है.

नो शैडो डे पर कर्क रेखा के नजदीक होता है सूर्य: इस वृत्त पर पूरे भारत वर्ष में एक बार 21 जून को सूर्य की किरणें सीधी या लंबवत होती है. यही वजह है कि इस दिन को ग्रीष्म संक्रांति दिवस कहा जाता है. इस घटना में बदलाव भी होता है. इसलिए नो शैडो डे कभी कभी 21 जून की बजाय 22 जून को भी होता है. इस दिन सूर्य के वर्टिकल और लंबवत होने की वजह से इस दिन को ग्रीष्म संक्रांति दिवस भी कहा जाता है. 21 जून की तिथि में स्थिरता नहीं होती. कभी कभी नो शैडो डे के दिन में बदलाव भी होता है, जिससे यह घटना 22 जून को भी घटित होती है. इस तिथि को कर्क रेखा पर सूर्य के लंबवत हो जाने से या सबसे नजदीक होने से ऊष्मा भी बढ़ जाती है, जिससे इस तारीख के आस पास गर्मी भी बढ़ जाती है.

नो शैडो डे पर जानिए किन देशों से गुजरती है कर्क रेखा वृत्त: कर्क रेखा वृत्त के बारे में बात करें तो ये दुनिया के 18 देशों में बनती है. इनमें मैक्सिको, अल्जीरिया, माली, मिस्र, नाइजीरिया, ओमान, यूएई, चीन, बहामास, ताईवान, सूडान, बांग्लादेश, साऊदी अरब, लीबिया और भारत शामिल है. जहां से होकर यह गुजरती है. भारत में कर्क रेखा 8 राज्यों से होकर जाती है. इन राज्यों में छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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