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यहां से दिनभर गुजरते हैं साहब लोग, मासूमों के हाल पर किसी का ध्यान नहीं जाता

अंबिकापुर के केदारपुर स्कूल की हालत खराब है. विद्यालय के भवन की हालत खराब है और बच्चे मीटिंग रूम में बैठकर पढ़ाई करते हैं. जब मीटिंग होती है बच्चे बाहर बैठने को मजबूर होते हैं.

जर्जर स्कूल
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Published : Mar 29, 2019, 3:14 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

अंबिकापुर: प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के हाल खराब हैं. कहीं भवन है तो शिक्षक नहीं, कहीं टीचर्स हैं और छात्र आते हैं तो भवन नहीं. अंबिकापुर के केदारपुर स्कूल की हालत खराब है. विद्यालय के भवन की हालत खराब है और बच्चे मीटिंग रूम में बैठकर पढ़ाई करते हैं. जब मीटिंग होती है बच्चे बाहर बैठने को मजबूर होते हैं.

वीडियो


आपको ये जानकर हैरानी होगी कि स्कूल संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के नगर निगम कार्यालय के सामने स्थित है. 50 मीटर पर जिला ग्रन्थालय है, जहां हर बड़ा अधिकारी अमूमन आता रहता है. वहीं कलेक्ट्रेट से भी इस स्कूल की दूरी बहुत कम है. कलेक्टर ऑफिस से आने जाने वाली लगभग गाड़ी स्कूल के सामने से गुजरती है लेकिन किसी ने यहां के बच्चों की सुध नहीं ली. लिहाजा दिया तले अंधेरा वाली कहावत यहां सच साबित हो रही है.


जर्जर है स्कूल भवन
पूरा स्कूल जर्जर हाल में है. बच्चों को मीटिंग रूम में बिठाया जाता है और जब मीटिंग होती है तो बच्चों को बाहर बिठाकर पढ़ाया जाता है. यहां बाथरूम की सबसे बड़ी समस्या है, जिसकी छत कभी भी गिर सकती है. इसकी वजह से बच्चे डरे रहते हैं.


कई बार दिया गया है आवेदन
शिक्षक बताते हैं कि पिछले गर्मी में आंधी तूफान आया था, जिसमें स्कूल की छत उड़ गई है. शौचालय जर्जर है. उसके सुधार के लिए कई बार आवेदन दे चुके हैं अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं अधिकारी


इस संबंध में जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी से बात की, तो उन्होंने स्कूल की जिम्मेदारी नगर निगम की बताई. वहीं नगर निगम इसका ठीकरा शिक्षा विभाग पर फोड़ रहा है. बहरहाल दो शासकीय विभागों की खींचतान के बीच यहां पढ़ने वाले ननिहालो का भविष्य अंधकार में है.

अंबिकापुर: प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के हाल खराब हैं. कहीं भवन है तो शिक्षक नहीं, कहीं टीचर्स हैं और छात्र आते हैं तो भवन नहीं. अंबिकापुर के केदारपुर स्कूल की हालत खराब है. विद्यालय के भवन की हालत खराब है और बच्चे मीटिंग रूम में बैठकर पढ़ाई करते हैं. जब मीटिंग होती है बच्चे बाहर बैठने को मजबूर होते हैं.

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आपको ये जानकर हैरानी होगी कि स्कूल संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के नगर निगम कार्यालय के सामने स्थित है. 50 मीटर पर जिला ग्रन्थालय है, जहां हर बड़ा अधिकारी अमूमन आता रहता है. वहीं कलेक्ट्रेट से भी इस स्कूल की दूरी बहुत कम है. कलेक्टर ऑफिस से आने जाने वाली लगभग गाड़ी स्कूल के सामने से गुजरती है लेकिन किसी ने यहां के बच्चों की सुध नहीं ली. लिहाजा दिया तले अंधेरा वाली कहावत यहां सच साबित हो रही है.


जर्जर है स्कूल भवन
पूरा स्कूल जर्जर हाल में है. बच्चों को मीटिंग रूम में बिठाया जाता है और जब मीटिंग होती है तो बच्चों को बाहर बिठाकर पढ़ाया जाता है. यहां बाथरूम की सबसे बड़ी समस्या है, जिसकी छत कभी भी गिर सकती है. इसकी वजह से बच्चे डरे रहते हैं.


कई बार दिया गया है आवेदन
शिक्षक बताते हैं कि पिछले गर्मी में आंधी तूफान आया था, जिसमें स्कूल की छत उड़ गई है. शौचालय जर्जर है. उसके सुधार के लिए कई बार आवेदन दे चुके हैं अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं अधिकारी


इस संबंध में जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी से बात की, तो उन्होंने स्कूल की जिम्मेदारी नगर निगम की बताई. वहीं नगर निगम इसका ठीकरा शिक्षा विभाग पर फोड़ रहा है. बहरहाल दो शासकीय विभागों की खींचतान के बीच यहां पढ़ने वाले ननिहालो का भविष्य अंधकार में है.

Intro:अम्बिकापुर - सरकार शिक्षा गुणवत्ता के नाम पर लाख दावे कर रही है और शिक्षा की गुणवत्ता के नाम पर शिक्षकों पर नकेल भी कस रही है पर शिक्षा के लिए जरूरी अन्य आवश्यक साधनों पर ध्यान नहीं है ताजा मामला अंबिकापुर के केदारपुर स्कूल का है जिसकी हालत बद से बदतर है आपको जानकर हैरानी होगी कि स्कूल संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के हृदय स्थल पर नगर निगम कार्यालय के सामने स्थित है 50 मीटर पर जिला ग्रन्थालय है जहां हर बड़ा अधिकारी अमूमन आता रहता है वही कलेक्ट्रेट से भी इस स्कूल की दूरी बहुत कम है कलेक्टर से आने जाने वाली लगभग गाड़ी स्कूल के सामने से गुजरती है पर किसी ने यहां के बच्चों की सुध नहीं ली लिहाजा दिया तले अंधेरा वाली कहावत यहां सच हो रही है।

दरअसल पुरा स्कूल जर्जर हो गया है बच्चों को मीटिंग रूम में बिठाया जाता है और जब मीटिंग होती है तो बच्चों को बाहर बिठाकर पढ़ाया जाता है यहां बाथरूम की सबसे बड़ी समस्या है बाथरूम का छत कभी भी गिर सकता है और बच्चों को हमेशा डर बना रहता है इस बाथरूम में यूज करने लायक कुछ भी नहीं है।
शिक्षक बताते हैं कि पिछले गर्मी में आंधी तूफान आया था जिसमें स्कूल का छत उड़ गया है शौचालय जर्जर है उसके सुधार के लिए कई बार आवेदन दे चुके हैं अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इस संबंध में जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी से बात की तो उन्होंने स्कूल की जिम्मेदारी नगर निगम की बताई तो वहीं नगर निगम इसका ठीकरा शिक्षा विभाग पर फोड़ रहा है बहरहाल दो शासकीय विभागों की खींचतान के बीच यहां पढ़ने वाले ननिहालो का भविष्य अंधकार में है।

बाईट01-अन्नू नेटी (छात्र)
बाईट 02-प्रदीप (छात्र)
बाईट03-अजीत पाठक (हेडमास्टर)



Body:अम्बिकापुर - सरकार शिक्षा गुणवत्ता के नाम पर लाख दावे कर रही है और शिक्षा की गुणवत्ता के नाम पर शिक्षकों पर नकेल भी कस रही है पर शिक्षा के लिए जरूरी अन्य आवश्यक साधनों पर ध्यान नहीं है ताजा मामला अंबिकापुर के केदारपुर स्कूल का है जिसकी हालत बद से बदतर है आपको जानकर हैरानी होगी कि स्कूल संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के हृदय स्थल पर नगर निगम कार्यालय के सामने स्थित है 50 मीटर पर जिला ग्रन्थालय है जहां हर बड़ा अधिकारी अमूमन आता रहता है वही कलेक्ट्रेट से भी इस स्कूल की दूरी बहुत कम है कलेक्टर से आने जाने वाली लगभग गाड़ी स्कूल के सामने से गुजरती है पर किसी ने यहां के बच्चों की सुध नहीं ली लिहाजा दिया तले अंधेरा वाली कहावत यहां सच हो रही है।

दरअसल पुरा स्कूल जर्जर हो गया है बच्चों को मीटिंग रूम में बिठाया जाता है और जब मीटिंग होती है तो बच्चों को बाहर बिठाकर पढ़ाया जाता है यहां बाथरूम की सबसे बड़ी समस्या है बाथरूम का छत कभी भी गिर सकता है और बच्चों को हमेशा डर बना रहता है इस बाथरूम में यूज करने लायक कुछ भी नहीं है।
शिक्षक बताते हैं कि पिछले गर्मी में आंधी तूफान आया था जिसमें स्कूल का छत उड़ गया है शौचालय जर्जर है उसके सुधार के लिए कई बार आवेदन दे चुके हैं अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इस संबंध में जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी से बात की तो उन्होंने स्कूल की जिम्मेदारी नगर निगम की बताई तो वहीं नगर निगम इसका ठीकरा शिक्षा विभाग पर फोड़ रहा है बहरहाल दो शासकीय विभागों की खींचतान के बीच यहां पढ़ने वाले ननिहालो का भविष्य अंधकार में है।




Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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