सरगुजा : धर्म परिवर्तन को लेकर छत्तीसगढ़ में काफी विरोध हो रहा है. छत्तीसगढ़ में ऐसे कई आदिवासी हैं, जो अपना धर्म परिवर्तन कर रहे हैं.ऐसे में अब मांग उठने लगी है कि, जो लोग ईसाई धर्म अपना रहे हैं और आरक्षण का लाभ भी ले रहे हैं. उन्हें चिन्हित कर आरक्षण की सुविधा वापस ली जाए. क्योंकि डिलिस्टिंग के जरिए ऐसे लोगों को आरक्षण के लाभ से अलग किया जा सकेगा.
क्यों उठी डिलिस्टिंग की मांग : डिलिस्टिंग को लेकर कानून के जानकार दिनेश सोनी बताते हैं कि "जो लोग भी अल्पसंख्यक हैं. क्रिश्चियन धर्म को मानते हैं. उन्हें अदिवासी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए, इसलिए डिलिस्टिंग की मांग उठ रही है. ताकि ऐसे लोगों को चिन्हित कर के सूची बद्ध किया जा सके. छत्तीसगढ़ में इस पर बवाल इसलिए मचा हुआ है. क्योंकि, यहां कांग्रेस की सरकार है. क्रिश्चियन वोट बैंक, परंपरागत कांग्रेस का माना जाता है. डिलिस्टिंग के जरिये उन्हें आरक्षण से बाहर किया जा सकता है. आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी डिलिस्टिंग का मुद्दा बेहद अहम रहेगा और इस पर राजनीति होगी"
धर्म ईसाई लेकिन दस्तावेजों में हिंदू : डिलिस्टिंग में आदिवासी समाज की कैटेगरी का विवाद है. धर्म और जाति के आधार पर जातिगत आरक्षण की मांग हो रही है. धर्म परिवर्तन कर ईसाई या मुस्लिम बने SC और SC/ST आरक्षण कैटेगरी से बाहर करने की मांग हो रही है. जनजातीय गौरव मंच के लोग डिलिस्टिंग की मांग के साथ, ईसाई धर्म अपना चुके लोगों पर झूठी जानकारी देने की बात करते हैं. छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य है. इसलिए यहां धर्मांतरण भी अधिक देखा गया. आदिवासी सामज के लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं. लेकिन शासकीय दस्तावेजों में वो अपना धर्म हिन्दू लिखते हैं. यह पूरा मामला सीधे आरक्षण से जुड़ता है. क्योंकि अनुसूचित जाति को मिलने वाले आरक्षण की कैटेगरी, इसी के आधार पर तय की जाती है.
क्या है जनजातीय सुरक्षा मंच का कहना : इस मसले पर जनजातीय सुरक्षा मंच के प्रदेश सह प्रचारक इंदर भगत कहते हैं कि " जनजातीय सुरक्षा मंच की मांग डिलिस्टिंग की है. साल भर समाज के लोगों ने पूरे देश में आंदोलन किया है. जो भी व्यक्ति अनुसूचित जनजाति का है और अपने रीति रिवाज, पूजा पद्धति, परंपरा, संस्कृति को छोड़कर कन्वर्जन करके ईसाई या मुसलमान बने हैं. उनको अनुसूचित जनजाति का स्टेटस ना मिले. क्योंकि ईसाई और मुसलमान धर्म में जाति की व्यवस्था नहीं है. इन दोनों के धर्म में एकेश्वरवाद चलता है"
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"गांवों में तेजी से बढ़ा कनवर्जन" : इंदर भगत के मुताबिक " व्यक्ति आदिवासी है और वो ईसाई धर्म अपना चुका है. लेकिन उसका कास्ट सर्टिफिकेट हिंदू है और आरक्षण का लाभ भी ले रहा. पूरे सरगुजा में गांवों के अंदर चर्च बन चुके हैं. धर्मांतरण के लिये आवेदन कलेक्टर के पास आये हैं. धर्मांतरण की अपनी एक प्रक्रिया होती है. जब कलेक्टर अनुमति देते हैं, तब धर्मांतरण होता है. लेकिन यहां पर तो इस प्रकार की किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता. समाज को, राष्ट्र को, संविधान को धोखा देखकर झूठ बोलकर, आरक्षण का पूरा लाभ लिया जा रहा है."