सरगुजा: सूबे के लगभग दर्जन भर से अधिक जिलों में इंसान और हाथी आपस में टकराते रहते (Baherdev and pyare elephant to Rescue Center in Surguja ) हैं. हाथियों के हमले से इंसानों को राहत देने के लिए वन विभाग नई पहल कर रहा है. इंसानों के लिए खतरा बन चुके दो हाथियों को अब रेस्क्यू सेंटर में रखने की मांग की गई है. क्योंकि न केवल सरगुजा संभाग के 5 जिले बल्कि प्रदेश के रायगढ़, कोरबा, महासमुंद, धमतरी, गरियाबंद, बालोद और कांकेर मे भी हाथी मानव जीवन को प्रभावित करता है. लिहाजा कई जिलों में बड़ी संख्या में लोगों को मौत के घाट उतारने वाले और सैकड़ों घरों में तोड़फोड़ मचाने वाले दो उत्पाती हाथियों को पकड़ने की योजना पर वन अधिकारी काम कर रहे है.
सूरजपुर डीएफओ बीएस भगत के प्रस्ताव पर वन अधिकारी अब शासन से निर्देश लेकर प्यारे और बहेरादेव हाथी को रेस्क्यू सेंटर मे रखने पर विचार कर रहा है. अपने हैरतअंगेज कारनामों की वजह से हमेशा चर्चा में रहने वाले प्यारे हाथी को बेहद खतरनाक माना जाता है. वह पलक झपकते ही अपने दल को छोड़कर दूर पहुंच जाता है और जनहानि कर देता है. चार वर्ष पहले उसने एक ही दिन में सरगुजा और सूरजपुर में चार लोगों को मौत के घाट उतारा था. कोरबा में भी ये कई लोगों को मार चुका है. दूरस्थ ग्राम भेलकच्छ में 10 फरवरी को सुबह 5.30 बजे एक महिला को कुचलकर मार डाला था.
आक्रोशित ग्रामीणों ने गांव पहुंचे वन अधिकारियों के वाहनों की हवा निकाल तीन घंटे तक उनका घेराव किया था. ग्रामीणों ने डीएफओ से प्यारे हाथी को पकड़कर एलिफेंट रेस्क्यू सेंटर में रखने की मांग की थी. डीएफओ के आश्वासन पर ग्रामीणों ने अधिकारियों को मुक्त किया था. डीएफओ ने हाथियों को पकड़ने का प्रस्ताव भेजा है, जिस पर वन अधिकारी दोनों हाथियों द्वारा की गई जनहानि, संपत्ति हानि, स्वभाव सहित अन्य संबंधित जानकारी जुटा रहे हैं. हालांकि हाथियों को पकड़ना इतना आसान नहीं है. कानून भी इसकी सहमति नहीं देता. ऐसा माना जा रहा है कि हर तरह की जानकारी जुटाने एवं विशेषज्ञों की सलाह से आश्वस्थ होने के बाद विभाग दोनों हाथियों का रेस्क्यू करने संबंधी प्रस्ताव राज्य सरकार और केंद्र सरकार को भेज सकता है.
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पालन-पोषण होगा मुश्किल
हाथियों का रेस्क्यू करना तो आसन है लेकिन उनके रखने और पालन-पोषण की जिम्मेदारी बेहद कठिन है. वन विभाग के पास हाथियों का कोई उपयोग भी नहीं है. रेस्क्यू सेंटर में विभाग कुमकी हाथियों को वर्षों से पाल रहा है लेकिन अभियान में एक दो बार ही उनका उपयोग हो सका है. पूर्व में पकड़े गए सिविल बहादुर और सोनू हाथी को लेकर कई सवाल उठ चुके हैं.
वन्य जीव प्रेमियों गुस्सा
वन्य जीव प्रेमियों ने वन मंत्री से मामले की शिकायत की है. इसे अपराध बताया है. वन मंत्री से की गई शिकायत में कहा गया है कि, सूरजपुर के ग्रामीणों ने प्यारे नामक हाथी और अन्य हाथियों के विरुद्ध रोष पैदा करवाकर इसे पकड़ा गया है. रेस्क्यू सेंटर रामकोला में आजीवन कैद करने की मांग करने वाले वनमंडल अधिकारी सूरजपुर के विरुद्ध वन्यजीव प्रेमियों ने वन मंत्री अकबर को बताया कि ग्रामीणों को समय पर हाथी विचरण की जानकारी देने में असफल होने के कारण मानव-हाथी द्वन्द बढ़ रहा है. ग्रामीणों में हाथियों के संबंध में जागरूकता पैदा करने में अपनी अक्षमता को छुपाने के लिए वनमंडल अधिकारी सूरजपुर गैर-कानूनी मांग उठा रहे हैं कि, प्यारे और एक अन्य हाथी को पकड़कर हाथी रेस्क्यू सेंटर रामकोला भिजवाया जाये. वनमंडल अधिकारी मुख्यालय को प्यारे हाथी को पकड़कर हाथी रेस्क्यू सेंटर रमकोला भिजवाने लिए भी पत्र लिखी जा रही है.
वन मंत्री को बताया गया कि प्यारे हाथी को नवम्बर 2019 में रेडियो कॉलर लगाया गया था. जो कि बाद में गिर गया. उसके पश्चात प्यारे हाथी को नया रेडियो कॉलर लगाने का प्रयत्न नहीं किया गया. सूरजपुर और आसपास के इलाकों में कई हाथियों का मूवमेंट रहता है. ऐसे में रेडियो कॉलर के अभाव में और बिना किसी वैज्ञानिक आधार के हर जन-हानि की जवाबदारी प्यारे हाथी पर डाली जा रही है. वन विभाग प्यारे हाथी के विरुद्ध वैसा ही माहौल बना रहा है, जैसा कि गणेश नामक हाथी के विरुद्ध बनाया गया था. ये कार्य वन्यजीव सरंक्षण अधिनियम के खिलाफ है.
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ग्रामीण हाथियों को परेशान करना बंद करें : नितिन सिंघवी
इस विषय में वन्यजीवों के लिए कार्यरत नितिन सिंघवी ने बताया कि वन मंत्री ने सभी मांगों को गंभीरता पूर्वक सुन कर उचित कार्रवाई की बात कही है. मांग है कि प्यारे हाथी को रेडियो कॉलर लगवाया जाये. रेडियो कॉलर लगने के बाद हर घंटे हाथी विचरण की सूचना ग्रामीणों को दी जाये. पूरे प्रदेश में विचरण करने वाले नर हाथियों को और विचरण कर रहे वन हाथी के परिवारों की मुख्य मादा को रेडियो कॉलर लगाया जाये.
अमूनन नर हाथी लगभग 80 प्रतिशत जीवन अकेला रहता है. इसलिए हाथियों के विचरण की सामयिक जानकारी काफी हद तक समस्या का निराकरण करेगी. मांग की गई है कि ग्रामीणों में जागरूकता पैदा की जाये कि वे वन विभाग की चेतावनी का पालन करें. क्योंकि अधिकतम जन-हानि तब हो रही है जब वन विभाग की मनाही के बावजूद ग्रामीण हाथी विचरण क्षेत्र में जाते हैं. ग्रामीण हाथियों को परेशान करना बंद करें.