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लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी में बगावत, सरगुजा से प्रभात खालको ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भरा पर्चा - अखिलेश सोनी

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित संसदीय सीट सरगुजा से भाजपा ने कांग्रेस के खेल साय सिंह के खिलाफ रेणुका सिंह को मैदान में उतारा है.

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Published : Apr 5, 2019, 2:12 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित संसदीय सीट सरगुजा से भाजपा ने कांग्रेस के खेल साय सिंह के खिलाफ रेणुका सिंह को मैदान में उतारा है. भाजपा ऐसी पार्टी है जो संगठनात्मक ढांचे की बुनियाद पर इस मुकाम पर पहुंची है और जो अपने संगठन के अनुशासन की मिसालें पेश करती हैं. लेकिन अब भाजपा के कुछ नेताओं के बगावती तेवर दिख रहे हैं.

दरअसल सरगुजा भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता और सरगुजा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष प्रभात खालको ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन सरगुजा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिये जमा कर दिया है. सरगुजा निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक प्रभात खलको ने 3 अप्रैल को नामांकन फार्म खरीदा और 4 अप्रैल को अपना नामांकन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जमा भी कर दिया है.

रेणुका सिंह ने भी जमा किया नामांकन
बड़ी बात ये रही की इसी दिन भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह ने भी नामांकन जमा किया और इस दौरान भाजपा के कई दिग्गज सरगुजा में रहे. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने खुद रेणुका का नामांकन जमा कराया और फिर निर्वाचन कार्यालय से महज कुछ ही दूरी पर आयोजित आम सभा में भाजपा के संगठित होने की दुहाई दी. लेकिन उसी समय उनके नाक के नीचे उनका ही एक सिपाही बागवत की इबारत लिख रहा था और इस सभी दिग्गजों को इसकी भनक तक नहीं लगी.

बहरहाल इस संबंध में भाजपा जिला अध्यक्ष अखिलेश सोनी ने बताया कि उन्हें अभी इसकी जानकारी मिली है. लेकिन अभी नाम वापसी का समय बचा है, और अखिलेश को अभी भी उम्मीद है कि वो प्रभात खलको को चुनाव न लड़ने के लिए मना लेंगे.


प्रभात का चुनावी मैदान में कूदना आश्चर्य का विषय नहीं
बता दें कि प्रभात का चुनावी मैदान में कूदना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है. भाजपा में लंबे समय से सेवा दे रहे मसीही समाज के नेता खुद को अब भाजपा में उपेक्षित समझने लगे हैं. कई बार ये बात सामने आती रही है की मसीही समाज के योग्य लोगों को भाजपा में चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया जाता.

प्रबोध मिंज ने हाल में दिया इस्तीफा
अंबिकापुर नगर निगम से मेयर रह चुके मसीही समाज के ही प्रबोध मिंज विधानसभा चुनाव में लुंड्रा से टिकट न मिलने से नाराज चल रहे थे. लेकिन उन्हें लोकसभा का आश्वासन देकर मना लिया गया था. लेकिन लोकसभा में भी टिकट उनके हाथ नहीं लगी, जिसके बाद प्रबोध ने भी अपनी नाराजगी दिखाते हुए अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य पद से हालही में इस्तीफा दे दिया था.

समाज देखकर प्रत्याशी नहीं बनाए जाते
प्रभात खालको का निर्दलीय चुनाव लड़ना भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है. हालांकि भाजपा जिलाध्यक्ष का मानना है कि समाज देखकर प्रत्याशी नहीं बनाए जाते. जबकी सरगुजा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही गोंड़ समाज को साधने का फार्मूला अपनाया है क्योंकि इस संसदीय सीट की तासीर ही ऐसी रही है.

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सरगुजा: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित संसदीय सीट सरगुजा से भाजपा ने कांग्रेस के खेल साय सिंह के खिलाफ रेणुका सिंह को मैदान में उतारा है. भाजपा ऐसी पार्टी है जो संगठनात्मक ढांचे की बुनियाद पर इस मुकाम पर पहुंची है और जो अपने संगठन के अनुशासन की मिसालें पेश करती हैं. लेकिन अब भाजपा के कुछ नेताओं के बगावती तेवर दिख रहे हैं.

दरअसल सरगुजा भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता और सरगुजा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष प्रभात खालको ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन सरगुजा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिये जमा कर दिया है. सरगुजा निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक प्रभात खलको ने 3 अप्रैल को नामांकन फार्म खरीदा और 4 अप्रैल को अपना नामांकन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जमा भी कर दिया है.

रेणुका सिंह ने भी जमा किया नामांकन
बड़ी बात ये रही की इसी दिन भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह ने भी नामांकन जमा किया और इस दौरान भाजपा के कई दिग्गज सरगुजा में रहे. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने खुद रेणुका का नामांकन जमा कराया और फिर निर्वाचन कार्यालय से महज कुछ ही दूरी पर आयोजित आम सभा में भाजपा के संगठित होने की दुहाई दी. लेकिन उसी समय उनके नाक के नीचे उनका ही एक सिपाही बागवत की इबारत लिख रहा था और इस सभी दिग्गजों को इसकी भनक तक नहीं लगी.

बहरहाल इस संबंध में भाजपा जिला अध्यक्ष अखिलेश सोनी ने बताया कि उन्हें अभी इसकी जानकारी मिली है. लेकिन अभी नाम वापसी का समय बचा है, और अखिलेश को अभी भी उम्मीद है कि वो प्रभात खलको को चुनाव न लड़ने के लिए मना लेंगे.


प्रभात का चुनावी मैदान में कूदना आश्चर्य का विषय नहीं
बता दें कि प्रभात का चुनावी मैदान में कूदना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है. भाजपा में लंबे समय से सेवा दे रहे मसीही समाज के नेता खुद को अब भाजपा में उपेक्षित समझने लगे हैं. कई बार ये बात सामने आती रही है की मसीही समाज के योग्य लोगों को भाजपा में चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया जाता.

प्रबोध मिंज ने हाल में दिया इस्तीफा
अंबिकापुर नगर निगम से मेयर रह चुके मसीही समाज के ही प्रबोध मिंज विधानसभा चुनाव में लुंड्रा से टिकट न मिलने से नाराज चल रहे थे. लेकिन उन्हें लोकसभा का आश्वासन देकर मना लिया गया था. लेकिन लोकसभा में भी टिकट उनके हाथ नहीं लगी, जिसके बाद प्रबोध ने भी अपनी नाराजगी दिखाते हुए अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य पद से हालही में इस्तीफा दे दिया था.

समाज देखकर प्रत्याशी नहीं बनाए जाते
प्रभात खालको का निर्दलीय चुनाव लड़ना भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है. हालांकि भाजपा जिलाध्यक्ष का मानना है कि समाज देखकर प्रत्याशी नहीं बनाए जाते. जबकी सरगुजा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही गोंड़ समाज को साधने का फार्मूला अपनाया है क्योंकि इस संसदीय सीट की तासीर ही ऐसी रही है.

Intro:सरगुजा : अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित संसदीय सीट सरगुजा से भाजपा ने कांग्रेस के खेल साय सिंह के खिलाफ रेणुका सिंह को मैदान में उतारा है, और भाजपा वह पार्टी जो संगठनात्मक ढाँचे की बुनियाद पर इस मुकाम पर पहुंची है, जो अपने संगठन के अनुशासन की मिसालें पेश करती है, लेकिन सरगुजा में अब उसी भाजपा में भाजपा के कुछ नेताओं के बगावती तेवर दिख रहे हैं।

दरअसल सरगुजा भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता और सरगुजा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष प्रभात खालको ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन सरगुजा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिये जमा कर दिया है। सरगुजा निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभात खलको ने 3 अप्रैल को नामांकन फार्म खरीदा और 4 अप्रैल को अपना नामांकन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जमा भी कर दिया, बड़ी बात यह रही की इसी दिन भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह ने भी नामांकन जमा किया और इस दौरान भाजपा के कई दिग्गज सरगुजा में रहे, खुद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने रेणुका का नामांकन जमा कराया और फिर निर्वाचन कार्यालय से महज कुछ ही दूरी पर आयोजित आम सभा मे चीख चीख कर भाजपा के संगठित होने की दुहाई भी दी, लेकि उसी समय उनके नाक के नीचे उनका ही एक सिपाही बागवत की इबारत लिख रहा था और इस सभी दिग्गजो को इसकी भनक तक नही लगी।

बहरहाल इस संबंध में हमने भाजपा जिला अध्यक्ष अखिलेश सोनी से बात की तो उन्होंने बताया की उन्हें भी अभी ही जानकारी मिली है, लेकिन अभी नाम वापसी का समय बचा है, और अखिलेश को अभी भी उम्मीद है की वो प्रभात खलको को चुनाव ना लड़ने के लिए मना लेंगे।

बहरहाल मामला दिलचस्प हो चला है, की प्रभात अपनी ही पार्टी के खिलाफ मैदान में उतरेंगे या फिर भाजपा उन्हें समझाने में कामयाब होगी, इसका फैसला तो नाम वापसी की तिथि के बाद ही होगा, फिलहाल प्रभात किसी का फोन रिसीव नही कर रहे हैं, जिलाध्यक्ष से भी उनका संपर्क नही हो पा रहा है।

आपको बतादें की प्रभात का चुनावी मैदान में कूदना कोई आश्चर्य का विषय नही है, भाजपा में लंबे समय से सेवा दे रहे मसीही समाज कर नेता खुद को अब भाजपा में उपेक्षित समझने लगे हैं, भीतरखाने कई बार यह बात सामने आती है की मसीही समाज के योग्य लोगो को भाजपा में चुनाव लड़ने का मौका नही दिया जाता, पूर्व में अम्बिकापुर नगर निगम से मेयर रह चुके मसीही समाज के ही प्रबोध मिंज तो विधानसभा चुनाव में लुंड्रा से टिकट ना मिलने से नाराज चल ही रहे थे लेकिन उन्हें लोकसभा का आस्वाशन देकर मना लिया गया था, और लोकसभा में भी टिकट उनके हाथ नही लगी, जिसके बाद प्रबोध ने भी अपनी नाराजगी दिखाते हुये, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य पद से हालही में स्तीफा दे दिया था, और अब प्रभात खालको का निर्दलीय चुनाव लड़ना, भाजपा के लिए शुभ संकेत नही है। हालाकी भाजपा जिलाध्यक्ष इस थ्योरी को नही मानते उनका मानना है की समाज देखकर प्रत्याशी नही बनाये जाते, जबकी सरगुजा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही गोंड़ समाज को साधने का फार्मूला अपनाया है, क्योंकी इस संसदीय सीट की तासीर ही ऐसी रही है।

बाइट01_अखिलेश सोनी (भाजपा जिलाध्यक्ष सरगुजा) सफेद कुर्ता, दाढी रखे हुए।

देश दीपक सरगुजा


Body:सरगुजा : अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित संसदीय सीट सरगुजा से भाजपा ने कांग्रेस के खेल साय सिंह के खिलाफ रेणुका सिंह को मैदान में उतारा है, और भाजपा वह पार्टी जो संगठनात्मक ढाँचे की बुनियाद पर इस मुकाम पर पहुंची है, जो अपने संगठन के अनुशासन की मिसालें पेश करती है, लेकिन सरगुजा में अब उसी भाजपा में भाजपा के कुछ नेताओं के बगावती तेवर दिख रहे हैं।

दरअसल सरगुजा भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता और सरगुजा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष प्रभात खालको ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन सरगुजा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिये जमा कर दिया है। सरगुजा निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभात खलको ने 3 अप्रैल को नामांकन फार्म खरीदा और 4 अप्रैल को अपना नामांकन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जमा भी कर दिया, बड़ी बात यह रही की इसी दिन भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह ने भी नामांकन जमा किया और इस दौरान भाजपा के कई दिग्गज सरगुजा में रहे, खुद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने रेणुका का नामांकन जमा कराया और फिर निर्वाचन कार्यालय से महज कुछ ही दूरी पर आयोजित आम सभा मे चीख चीख कर भाजपा के संगठित होने की दुहाई भी दी, लेकि उसी समय उनके नाक के नीचे उनका ही एक सिपाही बागवत की इबारत लिख रहा था और इस सभी दिग्गजो को इसकी भनक तक नही लगी।

बहरहाल इस संबंध में हमने भाजपा जिला अध्यक्ष अखिलेश सोनी से बात की तो उन्होंने बताया की उन्हें भी अभी ही जानकारी मिली है, लेकिन अभी नाम वापसी का समय बचा है, और अखिलेश को अभी भी उम्मीद है की वो प्रभात खलको को चुनाव ना लड़ने के लिए मना लेंगे।

बहरहाल मामला दिलचस्प हो चला है, की प्रभात अपनी ही पार्टी के खिलाफ मैदान में उतरेंगे या फिर भाजपा उन्हें समझाने में कामयाब होगी, इसका फैसला तो नाम वापसी की तिथि के बाद ही होगा, फिलहाल प्रभात किसी का फोन रिसीव नही कर रहे हैं, जिलाध्यक्ष से भी उनका संपर्क नही हो पा रहा है।

आपको बतादें की प्रभात का चुनावी मैदान में कूदना कोई आश्चर्य का विषय नही है, भाजपा में लंबे समय से सेवा दे रहे मसीही समाज कर नेता खुद को अब भाजपा में उपेक्षित समझने लगे हैं, भीतरखाने कई बार यह बात सामने आती है की मसीही समाज के योग्य लोगो को भाजपा में चुनाव लड़ने का मौका नही दिया जाता, पूर्व में अम्बिकापुर नगर निगम से मेयर रह चुके मसीही समाज के ही प्रबोध मिंज तो विधानसभा चुनाव में लुंड्रा से टिकट ना मिलने से नाराज चल ही रहे थे लेकिन उन्हें लोकसभा का आस्वाशन देकर मना लिया गया था, और लोकसभा में भी टिकट उनके हाथ नही लगी, जिसके बाद प्रबोध ने भी अपनी नाराजगी दिखाते हुये, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य पद से हालही में स्तीफा दे दिया था, और अब प्रभात खालको का निर्दलीय चुनाव लड़ना, भाजपा के लिए शुभ संकेत नही है। हालाकी भाजपा जिलाध्यक्ष इस थ्योरी को नही मानते उनका मानना है की समाज देखकर प्रत्याशी नही बनाये जाते, जबकी सरगुजा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही गोंड़ समाज को साधने का फार्मूला अपनाया है, क्योंकी इस संसदीय सीट की तासीर ही ऐसी रही है।

बाइट01_अखिलेश सोनी (भाजपा जिलाध्यक्ष सरगुजा) सफेद कुर्ता, दाढी रखे हुए।

देश दीपक सरगुजा


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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