अंबिकापुरः कोल ब्लॉक के आवंटन को लेकर जिले के अधिवक्ता दिनेश कुमार सोनी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है. यह याचिका वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से अदानी ग्रुप, राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड और भारत सरकार सहित कुल 4 के खिलाफ लगाई गई है.
दरअसल सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट और केते बासेन परियोजना में कोल उत्खनन के लिए राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को सरकार ने आवंटन दे रखा है. राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड पर आरोप है कि ये उत्खनन का काम अदानी ग्रुप के द्वारा किया जा रहा है.
अनुबंध से किया इंकार
हालांकि राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड का कहना है कि अदानी से उसका कोई अनुबंध नहीं है. इधर अदानी के लोग भी अक्सर इस काम में अपनी भागीदारी को छिपाकर रखते हैं. लेकिन अधिवक्ता दिनेश सोनी ने वह कागजात जुटाए हैं. जिसमें अडानी ने अपने लेटर पैड में सरगुजा कलेक्टर से परसा कोल ब्लॉक के संबंध में पत्राचार किया है.
दिनेश सोनी ने बताया कि राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को कॉल ब्लॉक का आवंटन इस शर्त पर मिला हैं कि वो कोयला उत्खनन कर राजस्थान की दो पार्टियों को भेजेगा. जबकि नियमों को ताख पर रखकर अडानी छत्तीसगढ़ के बाजार में कोयला बेच रहा है.
शासकीय लोगों पर लगे आरोप
इसके साथ ही पुनर्वास नीति, सीएसआर मद सहित कई नियमों के उल्लंघन और इसमें शासकीय लोगों की सहभागिता के आरोप भी लगाए गए हैं. इस पूरी पीआईएल में सबसे बड़ी और अहम बात ये है कि जब सरगुजा की जमीन का आवंटन अदानी को लेना था और वन विभाग की अनुशंसा चाहिए थी, तब तत्कालीन वन मंडलाधिकारी ने नियमों के विरुद्ध जाकर उक्त भूमि की अनुशंसा ऐसी लिखी की कोल ब्लॉक आवंटन आसानी से मिल जाए.
इससे बढ़ा हाथियों का आतंक
वन विभाग से जब आरटीआई के माध्यम से उस जमीन की जानकारी मांगी गई तो विभाग ने उक्त जमीन पर भालू, चीतल, और हाथी विचरण क्षेत्र होने की बात लिखित में दी. जबकी कोल ब्लॉक आवंटन के लिए बनाई गई रिपोर्ट में इसका कोई ज़िक्र नहीं किया था. लिहाजा कोल ब्लॉक के लिए वन प्राणी विचरण क्षेत्र की बलि चढ़ा दी गई है. इसके परिणाम स्वरूप सरगुजा के रहवासी हाथियों का आतंक झेल रहे हैं.