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अंबिकापुरः कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर अदानी ग्रुप सहित चार के खिलाफ SC में जनहित याचिका

वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से अदानी ग्रुप, राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड और भारत सरकार सहित कुल 4 के खिलाफ जनहित याचिका लगाई गई है.

दिनेश कुमार सोनी
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Published : Mar 4, 2019, 8:51 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

अंबिकापुरः कोल ब्लॉक के आवंटन को लेकर जिले के अधिवक्ता दिनेश कुमार सोनी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है. यह याचिका वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से अदानी ग्रुप, राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड और भारत सरकार सहित कुल 4 के खिलाफ लगाई गई है.

वीडियो

दरअसल सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट और केते बासेन परियोजना में कोल उत्खनन के लिए राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को सरकार ने आवंटन दे रखा है. राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड पर आरोप है कि ये उत्खनन का काम अदानी ग्रुप के द्वारा किया जा रहा है.

अनुबंध से किया इंकार
हालांकि राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड का कहना है कि अदानी से उसका कोई अनुबंध नहीं है. इधर अदानी के लोग भी अक्सर इस काम में अपनी भागीदारी को छिपाकर रखते हैं. लेकिन अधिवक्ता दिनेश सोनी ने वह कागजात जुटाए हैं. जिसमें अडानी ने अपने लेटर पैड में सरगुजा कलेक्टर से परसा कोल ब्लॉक के संबंध में पत्राचार किया है.
दिनेश सोनी ने बताया कि राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को कॉल ब्लॉक का आवंटन इस शर्त पर मिला हैं कि वो कोयला उत्खनन कर राजस्थान की दो पार्टियों को भेजेगा. जबकि नियमों को ताख पर रखकर अडानी छत्तीसगढ़ के बाजार में कोयला बेच रहा है.

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शासकीय लोगों पर लगे आरोप
इसके साथ ही पुनर्वास नीति, सीएसआर मद सहित कई नियमों के उल्लंघन और इसमें शासकीय लोगों की सहभागिता के आरोप भी लगाए गए हैं. इस पूरी पीआईएल में सबसे बड़ी और अहम बात ये है कि जब सरगुजा की जमीन का आवंटन अदानी को लेना था और वन विभाग की अनुशंसा चाहिए थी, तब तत्कालीन वन मंडलाधिकारी ने नियमों के विरुद्ध जाकर उक्त भूमि की अनुशंसा ऐसी लिखी की कोल ब्लॉक आवंटन आसानी से मिल जाए.

इससे बढ़ा हाथियों का आतंक
वन विभाग से जब आरटीआई के माध्यम से उस जमीन की जानकारी मांगी गई तो विभाग ने उक्त जमीन पर भालू, चीतल, और हाथी विचरण क्षेत्र होने की बात लिखित में दी. जबकी कोल ब्लॉक आवंटन के लिए बनाई गई रिपोर्ट में इसका कोई ज़िक्र नहीं किया था. लिहाजा कोल ब्लॉक के लिए वन प्राणी विचरण क्षेत्र की बलि चढ़ा दी गई है. इसके परिणाम स्वरूप सरगुजा के रहवासी हाथियों का आतंक झेल रहे हैं.

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अंबिकापुरः कोल ब्लॉक के आवंटन को लेकर जिले के अधिवक्ता दिनेश कुमार सोनी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है. यह याचिका वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से अदानी ग्रुप, राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड और भारत सरकार सहित कुल 4 के खिलाफ लगाई गई है.

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दरअसल सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट और केते बासेन परियोजना में कोल उत्खनन के लिए राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को सरकार ने आवंटन दे रखा है. राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड पर आरोप है कि ये उत्खनन का काम अदानी ग्रुप के द्वारा किया जा रहा है.

अनुबंध से किया इंकार
हालांकि राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड का कहना है कि अदानी से उसका कोई अनुबंध नहीं है. इधर अदानी के लोग भी अक्सर इस काम में अपनी भागीदारी को छिपाकर रखते हैं. लेकिन अधिवक्ता दिनेश सोनी ने वह कागजात जुटाए हैं. जिसमें अडानी ने अपने लेटर पैड में सरगुजा कलेक्टर से परसा कोल ब्लॉक के संबंध में पत्राचार किया है.
दिनेश सोनी ने बताया कि राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को कॉल ब्लॉक का आवंटन इस शर्त पर मिला हैं कि वो कोयला उत्खनन कर राजस्थान की दो पार्टियों को भेजेगा. जबकि नियमों को ताख पर रखकर अडानी छत्तीसगढ़ के बाजार में कोयला बेच रहा है.

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शासकीय लोगों पर लगे आरोप
इसके साथ ही पुनर्वास नीति, सीएसआर मद सहित कई नियमों के उल्लंघन और इसमें शासकीय लोगों की सहभागिता के आरोप भी लगाए गए हैं. इस पूरी पीआईएल में सबसे बड़ी और अहम बात ये है कि जब सरगुजा की जमीन का आवंटन अदानी को लेना था और वन विभाग की अनुशंसा चाहिए थी, तब तत्कालीन वन मंडलाधिकारी ने नियमों के विरुद्ध जाकर उक्त भूमि की अनुशंसा ऐसी लिखी की कोल ब्लॉक आवंटन आसानी से मिल जाए.

इससे बढ़ा हाथियों का आतंक
वन विभाग से जब आरटीआई के माध्यम से उस जमीन की जानकारी मांगी गई तो विभाग ने उक्त जमीन पर भालू, चीतल, और हाथी विचरण क्षेत्र होने की बात लिखित में दी. जबकी कोल ब्लॉक आवंटन के लिए बनाई गई रिपोर्ट में इसका कोई ज़िक्र नहीं किया था. लिहाजा कोल ब्लॉक के लिए वन प्राणी विचरण क्षेत्र की बलि चढ़ा दी गई है. इसके परिणाम स्वरूप सरगुजा के रहवासी हाथियों का आतंक झेल रहे हैं.

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Intro:सरगुजा : कोल ब्लॉक का आबंटन लेकर सरगुजा की जल जंगल और जमीन का गैरकानूनी ढंग से शोषण करने के आरोप और लाख शिकायतों के बाद भी जब कोई सुनवाई नही हुई थी, स्थानीय अधिवक्ता दिनेश कुमार सोनी ने अधिवक्ता प्रसांत भूषण के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है। यह जनहित याचिका अदानी, राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड, भारत सरकार सहित कुल 4 के खिलाफ यह याचिका लगाई है।

दरअसल सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट एवं केते बासेन परियोजना में कोल उत्खनन के लिये राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड को सरकार ने आबंटन दे रखा है, लेकिन आरोप यह है की उत्खनन का काम अदानी के द्वारा किया जा रहा है, जबकी राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में उसने खुद स्वीकार किया हैं की अदानी से उसका कोई अनुबंध नही है, अब अगर इन दोनों कंपनी का कोई अनुबंध नहीं है तो अदानी बिना अनुबंध के काम कैसे कर रहा है, वहीं अदानी के लोग अक्सर इस काम मे अपनी भागीदारी को छिपाकर रखते हैं लेकिन अधिवक्ता दिनेश सोनी ने वह कागजात भी जुटाए है जिसमे अडानी ने अपने लेटर पेड में सरगुजा कलेक्टर से परसा कोल ब्लॉक के संबंध में पत्राचार किया है।

बहरहाल इसके अलावा दिनेश सोनी बताते हैं की राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड को कॉल ब्लाक का आबंटन इस शर्त पर मिला हैं की वो यहां से उत्खनन कर राजस्थान की दो पार्टियों को कोयला भेजेगा, जबकी नियमो को ताख पर रखकर छत्तीसगढ़ कें खुले बाजार में अडानी कोयला बेच रहा है।

इसके साथ ही पुनर्वास नीति, सीएसआर मद सहित कई नियमो के उल्लंघन और इसमें शासकीय लोगो की सहभागिता के आरोप लगाए गए हैं।

इस पूरी पीआईएल में सबसे बड़ी और अहम बात यह है की जब सरगुजा की जमीन का आबंटन अदानी को लेना था और वन विभाग की अनुशंसा चाहियें थी तब तत्कालीन वन मंडलाधिकारी ने नियमो के विरुद्ध जाते हुए उक्त भूमि की अनुशंसा ऐसी लिखी की कोल ब्लॉक आबंटन आसानी से मिल जाये, और जब वन विभाग से आरटीआई से उसी जमीन की जानकारी मांगी गई तो वन विभाग ने उक्त जमीन पर भालू, चीतल, और हाथी विचरण क्षेत्र होने की बात लिखित में दी है, जबकी कोल ब्लॉक आबंटन के लिय बनाई गई रिपोर्ट में इसका ज़िक्र नही किया था।

लिहाजा कोल ब्लॉक के लिये वन्य प्राणी विचरण क्षेत्र की बलि चढ़ा दी है, और इसके परिणाम स्वरूप सरगुजा के रहवासी हाथियों का आतंक झेल रहे है, जाहिर सी बात है जब जानवरो के रहने की जगज में इंसान रहेंगे तो जानवर इंसानो कहां जाएगा।

बाइट01_ दिनेश कुमार सोनी (अधिवक्ता)

देश दीपक गुप्ता सरगुजा

नोट- इस खबर के विजुअल इसमे है बाइट अटैच नही हो पाई है इसलिये बाइट इसी स्लग से सीधे भेजी गई है, कृपया मर्ज कर लें।


Body:सरगुजा : कोल ब्लॉक का आबंटन लेकर सरगुजा की जल जंगल और जमीन का गैरकानूनी ढंग से शोषण करने के आरोप और लाख शिकायतों के बाद भी जब कोई सुनवाई नही हुई थी, स्थानीय अधिवक्ता दिनेश कुमार सोनी ने अधिवक्ता प्रसांत भूषण के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है। यह जनहित याचिका अदानी, राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड, भारत सरकार सहित कुल 4 के खिलाफ यह याचिका लगाई है।

दरअसल सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट एवं केते बासेन परियोजना में कोल उत्खनन के लिये राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड को सरकार ने आबंटन दे रखा है, लेकिन आरोप यह है की उत्खनन का काम अदानी के द्वारा किया जा रहा है, जबकी राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में उसने खुद स्वीकार किया हैं की अदानी से उसका कोई अनुबंध नही है, अब अगर इन दोनों कंपनी का कोई अनुबंध नहीं है तो अदानी बिना अनुबंध के काम कैसे कर रहा है, वहीं अदानी के लोग अक्सर इस काम मे अपनी भागीदारी को छिपाकर रखते हैं लेकिन अधिवक्ता दिनेश सोनी ने वह कागजात भी जुटाए है जिसमे अडानी ने अपने लेटर पेड में सरगुजा कलेक्टर से परसा कोल ब्लॉक के संबंध में पत्राचार किया है।

बहरहाल इसके अलावा दिनेश सोनी बताते हैं की राजस्थान राज्य विद्दुत निगम लिमिटेड को कॉल ब्लाक का आबंटन इस शर्त पर मिला हैं की वो यहां से उत्खनन कर राजस्थान की दो पार्टियों को कोयला भेजेगा, जबकी नियमो को ताख पर रखकर छत्तीसगढ़ कें खुले बाजार में अडानी कोयला बेच रहा है।

इसके साथ ही पुनर्वास नीति, सीएसआर मद सहित कई नियमो के उल्लंघन और इसमें शासकीय लोगो की सहभागिता के आरोप लगाए गए हैं।

इस पूरी पीआईएल में सबसे बड़ी और अहम बात यह है की जब सरगुजा की जमीन का आबंटन अदानी को लेना था और वन विभाग की अनुशंसा चाहियें थी तब तत्कालीन वन मंडलाधिकारी ने नियमो के विरुद्ध जाते हुए उक्त भूमि की अनुशंसा ऐसी लिखी की कोल ब्लॉक आबंटन आसानी से मिल जाये, और जब वन विभाग से आरटीआई से उसी जमीन की जानकारी मांगी गई तो वन विभाग ने उक्त जमीन पर भालू, चीतल, और हाथी विचरण क्षेत्र होने की बात लिखित में दी है, जबकी कोल ब्लॉक आबंटन के लिय बनाई गई रिपोर्ट में इसका ज़िक्र नही किया था।

लिहाजा कोल ब्लॉक के लिये वन्य प्राणी विचरण क्षेत्र की बलि चढ़ा दी है, और इसके परिणाम स्वरूप सरगुजा के रहवासी हाथियों का आतंक झेल रहे है, जाहिर सी बात है जब जानवरो के रहने की जगज में इंसान रहेंगे तो जानवर इंसानो कहां जाएगा।

बाइट01_ दिनेश कुमार सोनी (अधिवक्ता)

देश दीपक गुप्ता सरगुजा

नोट- इस खबर के विजुअल इसमे है बाइट अटैच नही हो पाई है इसलिये बाइट इसी स्लग से सीधे भेजी गई है, कृपया मर्ज कर लें।


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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