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सरगुजा: CGMSC की निशुल्क दवाइयों से फीकी पड़ी जन औषधि केंद्र की योजना - CGMSC free medicines

छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के माध्यम से राज्य सरकार लोगों को निशुल्क जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध करा रही है. गांव से लेकर शहरों तक लोग इसका फायदा उठा रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार की जन औषधि केंद्र योजना फीकी पड़ गई है. लोग राज्य सरकार की निशुल्क दवाईयों की आकर्षित हो रहे हैं.

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फीकी पड़ी जन औषधि केंद्र की योजना
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Published : Dec 31, 2020, 11:00 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: केंद्र सरकार ने देशभर में सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जन औषधि केंद्र खोले थे. इन केंद्रों में जेनरिक दवाई और जीवन रक्षक दवाइयों की अनिवार्यता थी. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को सस्ती और जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध हो सके, लेकिन जिले में जन औषधि केंद्र औचित्यहीन नजर आ रहे हैं. संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संचालित जन औषधि केंद्र को छोड़ दें तो बाकी ब्लॉक मुख्यालयों में इसकी उपयोगिता कुछ खास नहीं बची है. इसके पीछे वजह है CGMSC (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन) के माध्यम से उपलब्ध निःशुल्क दवाइयां.

CGMSC की निशुल्क दवाइयों से फीकी पड़ी जन औषधि केंद्र की योजना

पढ़ें: केंद्र सरकार के खिलाफ धान खरीदी मुद्दे पर किसान जल्द करेंगे दिल्ली कूच: रविन्द्र चौबे

दवाइयों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग

प्राथमिक सामुदायिक और उप स्वास्थ्य केंद्र में सीजीएमएससी की दवाइयां उपलब्ध हैं. यूनीवर्सल हेल्थ केयर के तहत छत्तीसगढ़ में सबसे पहले दवाइयों के स्टॉक पर ही स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने फोकस किया था. सीजीएमएससी के स्टॉक को ऑनलाइन कर उसमें ऐसी पारदर्शिता लाई गई कि आज हर इंसान घर बैठे प्रदेश भर में दवाइयों का स्टॉक मोबाइल एप्लीकेशन से चेक कर सकता है. ऑनलाइन एप्लिकेशन से मॉनिटरिंग का परिणाम यह हुआ कि आज गांव-गांव के अस्पताल में दवाइयों का पर्याप्त स्टॉक रहता है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी(CMHO) पीएस सिसोदिया ने बताया कि सीजीएमएससी 99 प्रतिशत दवाइयों की उपलब्धता कराता है. 1 प्रतिशत ऐसी दवाइयां हैं जिनकी ज्यादा जरूरत भी नहीं पड़ती है. ऐसे में जन औषधी केंद्र यहां पर कारगर साबित नहीं हो रही हैं.

जिले में 8 जन औषधी केंद्र

जिले के 7 ब्लॉक मुख्यालयों में जन औषधी केंद्र संचालित हैं. जिला मुख्यालय समेत जिले में कुल 8 जन औषधि केंद्र है, लेकिन बिक्री ना होने की वजह से उनका कोई खास अस्तित्व नहीं बचा है. लोग CGMSC का फायदा उठा रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण दवाओं की निशुल्क उपलब्धता और पारदर्शिता भी है. सिर्फ बड़े शहर और अधिक भीड़ वाली जगह अंबिकापुर मुख्यालय में संचालित जन औषधी केंद्र की स्थिति दुरुस्त है.

पढ़ें: नया साल 2021 में सेलिब्रेशन के मूड में कोरबा शहर

क्या होती हैं जेनरिक दवाई?

जेनरिक उन दवाइयों को कहा जाता है जिसपर कंपनी कोई एड या ब्रांडिंग नहीं करती है. ये दवाइयां सीधे बिक्री के लिए भेज दी जाती हैं. इस लिहाज से विज्ञापन ब्रांडिंग के सारे खर्च इस दवाई के मूल्य में नहीं जुड़ते और आम लोगों को यह दवाई सस्ती मिलती है. यह धारणा बिल्कुल गलत है कि जेनरिक मेडिसिन का फायदा नहीं मिलता या ये दवाई वेस्ट मटेरियल से बनी दवाई है. हर जेनेरिक दवाई का उतना ही फायदा है जितना की इथिकल मेडिसिन का, इसमें सिर्फ महंगे विज्ञापन और आकर्षक रैपर नहीं होते हैं. इसलिए ये सस्ती मिलती है.

सरगुजा: केंद्र सरकार ने देशभर में सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जन औषधि केंद्र खोले थे. इन केंद्रों में जेनरिक दवाई और जीवन रक्षक दवाइयों की अनिवार्यता थी. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को सस्ती और जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध हो सके, लेकिन जिले में जन औषधि केंद्र औचित्यहीन नजर आ रहे हैं. संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संचालित जन औषधि केंद्र को छोड़ दें तो बाकी ब्लॉक मुख्यालयों में इसकी उपयोगिता कुछ खास नहीं बची है. इसके पीछे वजह है CGMSC (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन) के माध्यम से उपलब्ध निःशुल्क दवाइयां.

CGMSC की निशुल्क दवाइयों से फीकी पड़ी जन औषधि केंद्र की योजना

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दवाइयों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग

प्राथमिक सामुदायिक और उप स्वास्थ्य केंद्र में सीजीएमएससी की दवाइयां उपलब्ध हैं. यूनीवर्सल हेल्थ केयर के तहत छत्तीसगढ़ में सबसे पहले दवाइयों के स्टॉक पर ही स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने फोकस किया था. सीजीएमएससी के स्टॉक को ऑनलाइन कर उसमें ऐसी पारदर्शिता लाई गई कि आज हर इंसान घर बैठे प्रदेश भर में दवाइयों का स्टॉक मोबाइल एप्लीकेशन से चेक कर सकता है. ऑनलाइन एप्लिकेशन से मॉनिटरिंग का परिणाम यह हुआ कि आज गांव-गांव के अस्पताल में दवाइयों का पर्याप्त स्टॉक रहता है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी(CMHO) पीएस सिसोदिया ने बताया कि सीजीएमएससी 99 प्रतिशत दवाइयों की उपलब्धता कराता है. 1 प्रतिशत ऐसी दवाइयां हैं जिनकी ज्यादा जरूरत भी नहीं पड़ती है. ऐसे में जन औषधी केंद्र यहां पर कारगर साबित नहीं हो रही हैं.

जिले में 8 जन औषधी केंद्र

जिले के 7 ब्लॉक मुख्यालयों में जन औषधी केंद्र संचालित हैं. जिला मुख्यालय समेत जिले में कुल 8 जन औषधि केंद्र है, लेकिन बिक्री ना होने की वजह से उनका कोई खास अस्तित्व नहीं बचा है. लोग CGMSC का फायदा उठा रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण दवाओं की निशुल्क उपलब्धता और पारदर्शिता भी है. सिर्फ बड़े शहर और अधिक भीड़ वाली जगह अंबिकापुर मुख्यालय में संचालित जन औषधी केंद्र की स्थिति दुरुस्त है.

पढ़ें: नया साल 2021 में सेलिब्रेशन के मूड में कोरबा शहर

क्या होती हैं जेनरिक दवाई?

जेनरिक उन दवाइयों को कहा जाता है जिसपर कंपनी कोई एड या ब्रांडिंग नहीं करती है. ये दवाइयां सीधे बिक्री के लिए भेज दी जाती हैं. इस लिहाज से विज्ञापन ब्रांडिंग के सारे खर्च इस दवाई के मूल्य में नहीं जुड़ते और आम लोगों को यह दवाई सस्ती मिलती है. यह धारणा बिल्कुल गलत है कि जेनरिक मेडिसिन का फायदा नहीं मिलता या ये दवाई वेस्ट मटेरियल से बनी दवाई है. हर जेनेरिक दवाई का उतना ही फायदा है जितना की इथिकल मेडिसिन का, इसमें सिर्फ महंगे विज्ञापन और आकर्षक रैपर नहीं होते हैं. इसलिए ये सस्ती मिलती है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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