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वोट मांगने नेताजी तो आए लेकिन यहां साफ पानी नहीं आया, ऐसे प्यास बुझाते हैं लोग

जिला मुख्यालय के महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव के लोग आज भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं.

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Published : Apr 5, 2019, 11:12 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

अंबिकापुर: चुनाव सिर पर हैं. अब यहां प्रतिनिधि वोट मांगने जरूर पहुंचेंगे. यहां नहीं पहुंचेगी तो सुविधाएं और नहीं बदलेंगे तो यहां रहने वालों के हाल. जिला मुख्यालय के महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव के लोग आज भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. चुनाव आते ही इनके गांवों में नेता तो वोट मांगने पहुंच जाते हैं लेकिन आज तक पीने का साफ पानी यहां नहीं पहुंचा.

वीडियो

ढोढ़ी का पानी पीने के लिए मजबूर है ग्रामीण
अंबिकापुर से महज 10 किलोमीटर पर स्थित ग्राम पंचायत सुमेरपुर है. यहां करीब 225 लोग रहते हैं. इस गांव के ग्रामवासी पिछले 10 साल से ढोढ़ी का पानी पीकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यहां बने स्कूल के बाउंड्री के अंदर एक हैंडपंप है. जिसका लाभ नहीं मिल पा रहा क्योंकि जब स्कूल की छुट्टी हो जाती तो स्कूल में ताला लग जाता है. ऐसे में ढोढ़ी ही उनके प्यास बुझाने का सहारा होती है.


यहां के लोगों को नहीं सुविधाएं
इस गांव के नगेसियापारा, व्योरापारा के लोग बताते हैं कि लगभग आधा किलोमीटर दूर खेत में स्थित ढोढ़ी से पानी लाते हैं और उसी के सहारे अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं. आपको बता दें किं यह ग्राम "रुर्बन कलस्टर'' के अंतर्गत आने वाले पंचायतों में शामिल है. रुर्बन मिशन शहरों के तर्ज पर गांव का विकास करना होता है. जहां बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना होता है.


भूल गया प्रशासन!
एक वर्ष पूर्व नल-जल योजना के तहत इस गांव में सर्वे तो हुआ मगर पीने के पानी को लेकर कोई पहल यहां जिला प्रशासन ने नहीं की.


अपनी समस्या लेकर गांववाले ग्रामसभा में कई बार गए लेकिन अब तक समाधान नहीं हो सका है. जिसके कारण आज भी ग्रामीण ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. गांववालों को प्रशासन से आस है कि वे शायद उनकी समस्या दूर कर सकें.

अंबिकापुर: चुनाव सिर पर हैं. अब यहां प्रतिनिधि वोट मांगने जरूर पहुंचेंगे. यहां नहीं पहुंचेगी तो सुविधाएं और नहीं बदलेंगे तो यहां रहने वालों के हाल. जिला मुख्यालय के महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव के लोग आज भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. चुनाव आते ही इनके गांवों में नेता तो वोट मांगने पहुंच जाते हैं लेकिन आज तक पीने का साफ पानी यहां नहीं पहुंचा.

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ढोढ़ी का पानी पीने के लिए मजबूर है ग्रामीण
अंबिकापुर से महज 10 किलोमीटर पर स्थित ग्राम पंचायत सुमेरपुर है. यहां करीब 225 लोग रहते हैं. इस गांव के ग्रामवासी पिछले 10 साल से ढोढ़ी का पानी पीकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यहां बने स्कूल के बाउंड्री के अंदर एक हैंडपंप है. जिसका लाभ नहीं मिल पा रहा क्योंकि जब स्कूल की छुट्टी हो जाती तो स्कूल में ताला लग जाता है. ऐसे में ढोढ़ी ही उनके प्यास बुझाने का सहारा होती है.


यहां के लोगों को नहीं सुविधाएं
इस गांव के नगेसियापारा, व्योरापारा के लोग बताते हैं कि लगभग आधा किलोमीटर दूर खेत में स्थित ढोढ़ी से पानी लाते हैं और उसी के सहारे अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं. आपको बता दें किं यह ग्राम "रुर्बन कलस्टर'' के अंतर्गत आने वाले पंचायतों में शामिल है. रुर्बन मिशन शहरों के तर्ज पर गांव का विकास करना होता है. जहां बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना होता है.


भूल गया प्रशासन!
एक वर्ष पूर्व नल-जल योजना के तहत इस गांव में सर्वे तो हुआ मगर पीने के पानी को लेकर कोई पहल यहां जिला प्रशासन ने नहीं की.


अपनी समस्या लेकर गांववाले ग्रामसभा में कई बार गए लेकिन अब तक समाधान नहीं हो सका है. जिसके कारण आज भी ग्रामीण ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. गांववालों को प्रशासन से आस है कि वे शायद उनकी समस्या दूर कर सकें.

Intro:अंबिकापुर :- जहां शासन प्रशासन विकास के तमाम दावे करती है वहीं  जिला मुख्यालय के महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव के लोग आज भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर है। वैसे  चुनाव आते ही इनके गांवों में नेता तो वोट मांगने पहुंच जाते हैं मगर आज तक पीने का पानी यहाँ नहीं पहुंचा।

अंबिकापुर से महज 10 किलोमीटर पर स्थित ग्राम पंचायत सुमेरपुर  है। जिसकी आबादी दो सौ से सवा दो सौ लोगों की है इस गांव के ग्रामवासियों ने 10 वर्षों से डोढी के पानी के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे है।ग्रामीणों का यह भी कहना हैकि यहां बने स्कूल के बाउंड्री के अंदर एक हैंडपंप है जिसका लाभ नही मिल पा रहा क्योंकि जब स्कूल की छुट्टी हो जाती तो बाउंड्री में लगे गेट पर ताला लग जाता है। जिसके कारण हमे ढोढ़ी की पानी का उपयोग करना पड़ता है।

इस गांव के नगेसियापारा, व्योरापारा,के लोग बताते है किं लगभग आधा किलोमीटर दूर खेत मे स्थित ढोढ़ी से पानी लाते है और  उसी के सहारे अपना गुजर बसर कर रहे है। आपको बता दें किं यह ग्राम "रुर्बन कलस्टर'' के अंतर्गत आने वाले पंचायतों में शामिल है।  रुर्बन मिशन शहरों के तर्ज पे गांव का विकास करना होता है.जहां बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत  सुविधाओं को उपलब्ध कराना होता है।

"एक वर्ष पूर्व नल-जल योजना के तहत इस गांव में सर्वे तो हुआ मगर पिने के पानी का कोई पहल शासन प्रशासन नही की।
अपनी इस समस्या को लेकर ग्रामवासी ग्राम पंचायतों में होने वाले ग्रामसभा में भी कई बार अपने समस्याओ को रखे लेकिन समाधान अब तक नही हो सका.। जिसके कारण आज भी खेत में स्थित ढोढ़ी का पानी पिने को मजबूर है ग्रामीण। पानी भरने ग्रामीणों का जमावड़ा  सुबह से ही लग जाता है। आज भी इस गांव के रहवासी पानी की आस लगाये टकटकी भरी नजरो से शासन-प्रसाशन की राह ताक रहे है।

ग्रामीण, की बाइट 1 राजेश प्रजापति ,2 श्रीमती पुष्पाBody:अंबिकापुर :- जहां शासन प्रशासन विकास के तमाम दावे करती है वहीं  जिला मुख्यालय के महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव के लोग आज भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर है। वैसे  चुनाव आते ही इनके गांवों में नेता तो वोट मांगने पहुंच जाते हैं मगर आज तक पीने का पानी यहाँ नहीं पहुंचा।

अंबिकापुर से महज 10 किलोमीटर पर स्थित ग्राम पंचायत सुमेरपुर  है। जिसकी आबादी दो सौ से सवा दो सौ लोगों की है इस गांव के ग्रामवासियों ने 10 वर्षों से डोढी के पानी के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे है।ग्रामीणों का यह भी कहना हैकि यहां बने स्कूल के बाउंड्री के अंदर एक हैंडपंप है जिसका लाभ नही मिल पा रहा क्योंकि जब स्कूल की छुट्टी हो जाती तो बाउंड्री में लगे गेट पर ताला लग जाता है। जिसके कारण हमे ढोढ़ी की पानी का उपयोग करना पड़ता है।

इस गांव के नगेसियापारा, व्योरापारा,के लोग बताते है किं लगभग आधा किलोमीटर दूर खेत मे स्थित ढोढ़ी से पानी लाते है और  उसी के सहारे अपना गुजर बसर कर रहे है। आपको बता दें किं यह ग्राम "रुर्बन कलस्टर'' के अंतर्गत आने वाले पंचायतों में शामिल है।  रुर्बन मिशन शहरों के तर्ज पे गांव का विकास करना होता है.जहां बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत  सुविधाओं को उपलब्ध कराना होता है।

"एक वर्ष पूर्व नल-जल योजना के तहत इस गांव में सर्वे तो हुआ मगर पिने के पानी का कोई पहल शासन प्रशासन नही की।
अपनी इस समस्या को लेकर ग्रामवासी ग्राम पंचायतों में होने वाले ग्रामसभा में भी कई बार अपने समस्याओ को रखे लेकिन समाधान अब तक नही हो सका.। जिसके कारण आज भी खेत में स्थित ढोढ़ी का पानी पिने को मजबूर है ग्रामीण। पानी भरने ग्रामीणों का जमावड़ा  सुबह से ही लग जाता है। आज भी इस गांव के रहवासी पानी की आस लगाये टकटकी भरी नजरो से शासन-प्रसाशन की राह ताक रहे है।

ग्रामीण, की बाइट 1 राजेश प्रजापति ,2 श्रीमती पुष्पाConclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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