अंबिकापुर: चुनाव सिर पर हैं. अब यहां प्रतिनिधि वोट मांगने जरूर पहुंचेंगे. यहां नहीं पहुंचेगी तो सुविधाएं और नहीं बदलेंगे तो यहां रहने वालों के हाल. जिला मुख्यालय के महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव के लोग आज भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. चुनाव आते ही इनके गांवों में नेता तो वोट मांगने पहुंच जाते हैं लेकिन आज तक पीने का साफ पानी यहां नहीं पहुंचा.
ढोढ़ी का पानी पीने के लिए मजबूर है ग्रामीण
अंबिकापुर से महज 10 किलोमीटर पर स्थित ग्राम पंचायत सुमेरपुर है. यहां करीब 225 लोग रहते हैं. इस गांव के ग्रामवासी पिछले 10 साल से ढोढ़ी का पानी पीकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यहां बने स्कूल के बाउंड्री के अंदर एक हैंडपंप है. जिसका लाभ नहीं मिल पा रहा क्योंकि जब स्कूल की छुट्टी हो जाती तो स्कूल में ताला लग जाता है. ऐसे में ढोढ़ी ही उनके प्यास बुझाने का सहारा होती है.
यहां के लोगों को नहीं सुविधाएं
इस गांव के नगेसियापारा, व्योरापारा के लोग बताते हैं कि लगभग आधा किलोमीटर दूर खेत में स्थित ढोढ़ी से पानी लाते हैं और उसी के सहारे अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं. आपको बता दें किं यह ग्राम "रुर्बन कलस्टर'' के अंतर्गत आने वाले पंचायतों में शामिल है. रुर्बन मिशन शहरों के तर्ज पर गांव का विकास करना होता है. जहां बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना होता है.
भूल गया प्रशासन!
एक वर्ष पूर्व नल-जल योजना के तहत इस गांव में सर्वे तो हुआ मगर पीने के पानी को लेकर कोई पहल यहां जिला प्रशासन ने नहीं की.
अपनी समस्या लेकर गांववाले ग्रामसभा में कई बार गए लेकिन अब तक समाधान नहीं हो सका है. जिसके कारण आज भी ग्रामीण ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. गांववालों को प्रशासन से आस है कि वे शायद उनकी समस्या दूर कर सकें.