सरगुजा: हाथियों को सरगुजा अपने लिए सबसे मुफीद जगह लगती है. घने जंगल होने की वजह से सिर्फ गजराज ही नहीं बल्कि कई जानवरों ने यहां डेरा जमा रखा है. लेकिन पिछले एक दशक से यहां इंसान और जानवरों के बीच जंग सी स्थिति बनी हुई है. दोनों ही अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. कभी जानवर इंसान को मार देते हैं, तो कभी इंसान भी कानून तोड़ते हुए जानवरों को मार रहा है.
ये हैं आंकड़े
सरगुजा वन वृत्त में पिछले तीन वर्षों में हाथियों के हमले से 121 लोगों की मौत हुई है, वहीं इंसानो की वजह से तीन वर्ष में 9 हाथियों की जान करंट लगने से हुई है. वह आंकड़े विभाग ने दिए हैं. वर्ष 2015-16 में 29, 2016-17 में 50, 2017-18 में 42 लोगों को हाथियों ने मौत के घाट उतारा है, वहीं इन्हीं वर्षों में क्रमशः 5, 4 और 0 मौत हाथियों की हुई है.
विभाग कर रहा है कोशिश
वन विभाग द्वारा हाथियों के बचाव और हाथियों से बचाव दोनों के लिये पहल की जा रही है, जहां हाथियों को ज्यादातर रेस्क्यू सेंटर में रखने का प्रयास किया जाता है तो वहीं इंसानों को इस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है कि जब हाथी गांव के आस-पास हो तो उन्हें कैसा बर्ताव करना है. माना जाता है कि जब तक कोई हाथी के रास्ते में न आए वो किसी पर हमला नंही करता, उसे छेड़ने पर ही वह आक्रामक होता है.
बहरहाल वन विभाग द्वारा जामवंत जैसी योजनाओं से भालू को नियंत्रित कर लिया जाता है, लेकिन हाथी से निपटने में बड़ी दिक्कतें आती हैं. क्योंकि जानवरों के रहवास जंगल पर तो इंसान अपना एकाधिकार समझ कर जल, जंगल और जमीन पर तेजी से काबिज हो रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि जब जंगल नहीं बचेंगे तो जानवर कहां जाएंगे.