ETV Bharat / state

सरगुजा: इंसान और जानवरों में छिड़ी है जंग, क्या कह रहे हैं आंकड़े - जानवरों में छिड़ी है जंग

सरगुजा वन वृत्त में पिछले तीन वर्षों में हाथियों के हमले से 121 लोगों की मौत हुई है, वहीं इंसानो की वजह से तीन वर्ष में 9 हाथियों की जान करंट लगने से हुई है. वह आंकड़े विभाग ने दिए हैं.

हाथियों के हमले से 121 लोगों की मौत
author img

By

Published : Jun 1, 2019, 2:09 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: हाथियों को सरगुजा अपने लिए सबसे मुफीद जगह लगती है. घने जंगल होने की वजह से सिर्फ गजराज ही नहीं बल्कि कई जानवरों ने यहां डेरा जमा रखा है. लेकिन पिछले एक दशक से यहां इंसान और जानवरों के बीच जंग सी स्थिति बनी हुई है. दोनों ही अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. कभी जानवर इंसान को मार देते हैं, तो कभी इंसान भी कानून तोड़ते हुए जानवरों को मार रहा है.

आंकड़े

ये हैं आंकड़े

सरगुजा वन वृत्त में पिछले तीन वर्षों में हाथियों के हमले से 121 लोगों की मौत हुई है, वहीं इंसानो की वजह से तीन वर्ष में 9 हाथियों की जान करंट लगने से हुई है. वह आंकड़े विभाग ने दिए हैं. वर्ष 2015-16 में 29, 2016-17 में 50, 2017-18 में 42 लोगों को हाथियों ने मौत के घाट उतारा है, वहीं इन्हीं वर्षों में क्रमशः 5, 4 और 0 मौत हाथियों की हुई है.

विभाग कर रहा है कोशिश
वन विभाग द्वारा हाथियों के बचाव और हाथियों से बचाव दोनों के लिये पहल की जा रही है, जहां हाथियों को ज्यादातर रेस्क्यू सेंटर में रखने का प्रयास किया जाता है तो वहीं इंसानों को इस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है कि जब हाथी गांव के आस-पास हो तो उन्हें कैसा बर्ताव करना है. माना जाता है कि जब तक कोई हाथी के रास्ते में न आए वो किसी पर हमला नंही करता, उसे छेड़ने पर ही वह आक्रामक होता है.

बहरहाल वन विभाग द्वारा जामवंत जैसी योजनाओं से भालू को नियंत्रित कर लिया जाता है, लेकिन हाथी से निपटने में बड़ी दिक्कतें आती हैं. क्योंकि जानवरों के रहवास जंगल पर तो इंसान अपना एकाधिकार समझ कर जल, जंगल और जमीन पर तेजी से काबिज हो रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि जब जंगल नहीं बचेंगे तो जानवर कहां जाएंगे.

सरगुजा: हाथियों को सरगुजा अपने लिए सबसे मुफीद जगह लगती है. घने जंगल होने की वजह से सिर्फ गजराज ही नहीं बल्कि कई जानवरों ने यहां डेरा जमा रखा है. लेकिन पिछले एक दशक से यहां इंसान और जानवरों के बीच जंग सी स्थिति बनी हुई है. दोनों ही अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. कभी जानवर इंसान को मार देते हैं, तो कभी इंसान भी कानून तोड़ते हुए जानवरों को मार रहा है.

आंकड़े

ये हैं आंकड़े

सरगुजा वन वृत्त में पिछले तीन वर्षों में हाथियों के हमले से 121 लोगों की मौत हुई है, वहीं इंसानो की वजह से तीन वर्ष में 9 हाथियों की जान करंट लगने से हुई है. वह आंकड़े विभाग ने दिए हैं. वर्ष 2015-16 में 29, 2016-17 में 50, 2017-18 में 42 लोगों को हाथियों ने मौत के घाट उतारा है, वहीं इन्हीं वर्षों में क्रमशः 5, 4 और 0 मौत हाथियों की हुई है.

विभाग कर रहा है कोशिश
वन विभाग द्वारा हाथियों के बचाव और हाथियों से बचाव दोनों के लिये पहल की जा रही है, जहां हाथियों को ज्यादातर रेस्क्यू सेंटर में रखने का प्रयास किया जाता है तो वहीं इंसानों को इस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है कि जब हाथी गांव के आस-पास हो तो उन्हें कैसा बर्ताव करना है. माना जाता है कि जब तक कोई हाथी के रास्ते में न आए वो किसी पर हमला नंही करता, उसे छेड़ने पर ही वह आक्रामक होता है.

बहरहाल वन विभाग द्वारा जामवंत जैसी योजनाओं से भालू को नियंत्रित कर लिया जाता है, लेकिन हाथी से निपटने में बड़ी दिक्कतें आती हैं. क्योंकि जानवरों के रहवास जंगल पर तो इंसान अपना एकाधिकार समझ कर जल, जंगल और जमीन पर तेजी से काबिज हो रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि जब जंगल नहीं बचेंगे तो जानवर कहां जाएंगे.

Intro:सरगुजा : पुराने समय से हाथियों के लिए महशूर सरगुजा आज भी हाथियों की पसंदीदा जगह है, हाथी ही नही घनघोर वन क्षेत्र होने की वजह से हर तरह के जानवर यहां निवास करते आ रहे हैं, लेकिन पिछले एक दशक से यहां मनुष्य और जानवरों के बीच द्वंद छिड़ा हुआ है, दोनों ही अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे है, कभी जानवर इंसान को मार देते हैं तो कभी इंसान भी कानून तोड़ते हुये जानवरो को मारने के लिए बाध्य हो जाता है।

सरगुजा वन वृत्त में पिछले तीन वर्षों में हाथियों के हमले से 121 लोगो की मौत हुई है, वहीं इंसानो की वजह से तीन वर्ष में 9 हाथियों की जान करंट लगने से हुई है। वह विभाह के आंकड़े बताये हैं की वर्ष 2015-16 में 29, 2016-17 में 50, 2017-18 में 42 लोगो को हाथियों में मौत के घाट उतारा है, वहीं इन्ही वर्षो में क्रमशः 5, 4 और 0 मौत हाथियों की हुई है।

वन विभाग द्वारा हाथियों के बचाव और हाथियों से बचाव दोनों के लिये पहल की जा रही है, जहां हाथियों को ज्यादातर रेस्क्यू सेंटर में रखने का प्रयास किया जाता है तो वहीं इंसानो को इस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है की जब हाथी गांव के आस पास हो तो उन्हें कैसा बर्ताव करना है, माना जाता है, की जब तक कोई हाथी के रास्ते मे ना आये वो किसी पर हमला नही करता, उसे छेड़ने पर ही वह आक्रामक होता है।





Body:बहरहाल वन विभाग द्वारा जामवंत जैसी योजनाओं से भालू को नियंत्रित कर लिया जाता है, लेकिन हाथी से निपटने में बड़ी दिक्कतें आती हैं, क्योंकी जानवरो के रहवास जंगल पर तो इंसान अपना एकाधिकार समझ कर जल, जंगल और जमीन पर तेजी से काबिज हो रहे हैं, लेकिन जानवरो का क्या, उनके रहने के लिए जगह पीने के लिये पानी खाने लिये भोजन की व्यवस्था कौन करेगा.? और जब इसकी परवाह किये बिना इंसान जंगल मे काबिज हुआ तो उसके दुष्परिणाम सामने आए और हाथी इंसानो के घर मे अपना भोजन खोजता है, और इसी प्रयास में इंसान हाथी की चपेट में आकर जान गंवाते हैं।


बाईट01_ए. बी.मिंज (मुख्य वन संरक्षक वन वृत्त सरगुजा)

बाईट02_अरविंद पीएम ( डिप्टी डायरेक्टर एलिफेंट रिजर्व सरगुजा)

देश दीपक सरगुजा


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.