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अंबिकापुर में तिरपाल के नीचे चल रही यूनिवर्सिटी

सरगुजा संभाग में उच्च शिक्षा का सबसे प्रमुख केंद्र तिरपाल के नीचे संचालित हो रहा है. हम बात कर रहे हैं संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय (Sant Gahira University) की. इस विश्वविद्यालय का प्रशासनिक रियासत कालीन एक जर्जर भवन में संचालित है. आलम यह है की कुलपति और कुलसचिव समेत तमाम कर्मचारी छत के ऊपर तिरपाल तान कर बसर कर रहे हैं. ऐसे में जर्जर इमारत के कारण खतरा भी हमेशा बना रहता है. ambikapur latest news

तिरपाल के सहारे चल रहा ऑफिस
तिरपाल के सहारे चल रहा ऑफिस
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Published : Oct 13, 2022, 12:23 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा : संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय (Sant Gahira University ) सितंबर 2008 में अस्तित्व में आया. शुरुआत में इसे सरगुजा विश्वविद्यालय कहा जाता था. बाद में विश्वविद्यालय का नामकरण किया गया. सरगुजा के समाज सुधारक संत गहिरा गुरु के नाम पर सरगुजा विश्वविद्यालय का नाम रखा गया. अम्बिकापुर से झारखंड जाने वाले मुख्य मार्ग से लगे भकुरा गांव में विश्वविद्यालय के नये भवन के लिये 220 एकड़ जमीन चिन्हांकित की गई. जुलाई 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने विश्वविद्यालय भवन का शिलान्यास किया था.

अंबिकापुर में तिरपाल के नीचे चल रही यूनिवर्सिटी

तिरपाल के नीचे चल रहा दफ्तर : इतने वर्षों से विश्वविद्यालय भवन का काम जारी है. लेकिन कछुआ गति से इसका निर्माण हो रहा है. इधर अम्बिकापुर शहर के दर्रीपारा में रियासतकाल के एक पुराने भवन में विश्वविद्यालय का प्रशासनिक भवन संचालित है. इस भवन की स्थिति जर्जर है. अधिकारी भवन की छत पर तिरपाल बिछा कर गुजारा कर रहे हैं. लेकिन विश्वविद्यालय के खुद के भवन के काम मे तेजी लाने कोई ठोस प्रयास नही दिखता है.


स्टेट जमाने का मेंहदी बंगला : जिस भवन में विश्वविद्यालय का प्रशासनिक भवन संचालित हो रहा है. वह स्टेट जमाने में मेहंदी बंगला के नाम से जाना जाता था. बंगले के चारों ओर मेहंदी के पौधे की फेंसिंग थी. उस जमाने में भी हरियाली के लिए बगीचा और फुलवारी का काम बहुत ज्यादा हुआ था. बाद में जब भवन को शासन को स्थानांतरित किया गया तो शुरुआती दौर में लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता फिर जिला उपभोक्ता फोरम के न्यायाधीश निवास करते थे. वर्षो तक यह अधिकारियों के आवास के रूप में उपयोग हुआ.


प्रबंधन नही करता विशेष प्रयास : छात्र नेता हिमांशु जायसवाल कहते हैं कि " विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन की हालत जर्जर है. नये भवन का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है. PWD इस निर्माण को करा रही है. छात्रों ने भी इसके लिये कई बार मांग की है. लेकिन कुलपति या कुलसचिव ध्यान नही देते हैं. जब मंत्री या मुख्यमंत्री यहां आते हैं तो ये लोग गायब रहते हैं. अगर प्रयास किये जाते तो विश्वविद्यालय का खुद का भवन बन गया होता"


विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले एमएससी के छात्र अभिषेक बताते हैं " हजारों छात्र भी इन भवन में रोज आते हैं, डर बना रहता है भवन जर्जर है, नये भवन का निर्माण हो जाता तो छात्रों को सुविधा होती"

ये भी पढ़े -अंबिकापुर का संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय

प्रबंधन भी मानता है कमी : इस सबंध में विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनोद एक्का का कहना है " ग्राम भकुरा में नया भवन बन रहा है एकेडमिक बिल्डिंग सहित कई बिल्डिंग का काम लगभग पूर्णता की ओर है. अगले वर्ष जनवरी तक हम प्रशासनिक भवन नये कार्यालय में शिफ्ट कर सकेंगे. ऐसे में उम्मीद है. वहां रहकर और तेजी आई कार्य कराया जा सकेगा. फिलहाल जिस भवन में विश्वविद्यालय संचालित है. यहां डर तो है. हमने PWD विभाग को इसकी मरम्मत के लिये बुलाया था. लेकिन इसके हालत ऐसी नही है की मरम्मत कराई जा सके. उन्होंने रिपेयर करने से मना कर दिया" Office running with help of tarpaulin

सरगुजा : संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय (Sant Gahira University ) सितंबर 2008 में अस्तित्व में आया. शुरुआत में इसे सरगुजा विश्वविद्यालय कहा जाता था. बाद में विश्वविद्यालय का नामकरण किया गया. सरगुजा के समाज सुधारक संत गहिरा गुरु के नाम पर सरगुजा विश्वविद्यालय का नाम रखा गया. अम्बिकापुर से झारखंड जाने वाले मुख्य मार्ग से लगे भकुरा गांव में विश्वविद्यालय के नये भवन के लिये 220 एकड़ जमीन चिन्हांकित की गई. जुलाई 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने विश्वविद्यालय भवन का शिलान्यास किया था.

अंबिकापुर में तिरपाल के नीचे चल रही यूनिवर्सिटी

तिरपाल के नीचे चल रहा दफ्तर : इतने वर्षों से विश्वविद्यालय भवन का काम जारी है. लेकिन कछुआ गति से इसका निर्माण हो रहा है. इधर अम्बिकापुर शहर के दर्रीपारा में रियासतकाल के एक पुराने भवन में विश्वविद्यालय का प्रशासनिक भवन संचालित है. इस भवन की स्थिति जर्जर है. अधिकारी भवन की छत पर तिरपाल बिछा कर गुजारा कर रहे हैं. लेकिन विश्वविद्यालय के खुद के भवन के काम मे तेजी लाने कोई ठोस प्रयास नही दिखता है.


स्टेट जमाने का मेंहदी बंगला : जिस भवन में विश्वविद्यालय का प्रशासनिक भवन संचालित हो रहा है. वह स्टेट जमाने में मेहंदी बंगला के नाम से जाना जाता था. बंगले के चारों ओर मेहंदी के पौधे की फेंसिंग थी. उस जमाने में भी हरियाली के लिए बगीचा और फुलवारी का काम बहुत ज्यादा हुआ था. बाद में जब भवन को शासन को स्थानांतरित किया गया तो शुरुआती दौर में लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता फिर जिला उपभोक्ता फोरम के न्यायाधीश निवास करते थे. वर्षो तक यह अधिकारियों के आवास के रूप में उपयोग हुआ.


प्रबंधन नही करता विशेष प्रयास : छात्र नेता हिमांशु जायसवाल कहते हैं कि " विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन की हालत जर्जर है. नये भवन का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है. PWD इस निर्माण को करा रही है. छात्रों ने भी इसके लिये कई बार मांग की है. लेकिन कुलपति या कुलसचिव ध्यान नही देते हैं. जब मंत्री या मुख्यमंत्री यहां आते हैं तो ये लोग गायब रहते हैं. अगर प्रयास किये जाते तो विश्वविद्यालय का खुद का भवन बन गया होता"


विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले एमएससी के छात्र अभिषेक बताते हैं " हजारों छात्र भी इन भवन में रोज आते हैं, डर बना रहता है भवन जर्जर है, नये भवन का निर्माण हो जाता तो छात्रों को सुविधा होती"

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प्रबंधन भी मानता है कमी : इस सबंध में विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनोद एक्का का कहना है " ग्राम भकुरा में नया भवन बन रहा है एकेडमिक बिल्डिंग सहित कई बिल्डिंग का काम लगभग पूर्णता की ओर है. अगले वर्ष जनवरी तक हम प्रशासनिक भवन नये कार्यालय में शिफ्ट कर सकेंगे. ऐसे में उम्मीद है. वहां रहकर और तेजी आई कार्य कराया जा सकेगा. फिलहाल जिस भवन में विश्वविद्यालय संचालित है. यहां डर तो है. हमने PWD विभाग को इसकी मरम्मत के लिये बुलाया था. लेकिन इसके हालत ऐसी नही है की मरम्मत कराई जा सके. उन्होंने रिपेयर करने से मना कर दिया" Office running with help of tarpaulin

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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