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सालभर जमा करते हैं सड़क से प्लास्टिक कचरा, क्रिसमस पर उसे बनाने वाली कंपनी को कर देते हैं रिटर्न गिफ्ट! - holy cross school no plastic news

अंबिकापुर के होली क्रॉस स्कूल के स्टूडेंट्स पूरे एक साल तक प्लास्टिक के रैपर और दूसरे सामानों को डस्टबिन में जमा करते हैं और क्रिसमस पर खाद्य सामग्री बनाने वाली कंपनियों को उन्हीं के खाली रैपर बतौर गिफ्ट पैक करके वापस भेजते हैं.

sarguja holy cross school plastic campaign
सालभर जमा करते हैं सड़क से प्लास्टिक
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Published : Jan 2, 2020, 12:04 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देशभर में अभियान चलाए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्लास्टिक के उपयोग पर नियंत्रण करने का आह्वान किया है. अंबिकापुर के होली क्रॉस स्कूल के स्टूडेंट्स बीते 2 वर्षों से कुछ ऐसा कर रहे हैं जो वाकई इस मुहिम में बड़ा असर ला सकता है.

इस स्कूल के स्टूडेंट्स अपने क्लास टीचर से प्रेरणा लेकर बीते 2 वर्षों से प्लास्टिक के सभी सामान जो उन्हें सड़क पर पड़ी हुई दिखती है उसे उठाकर रख लेते हैं और फिर अपनी क्लास में रखे बड़े डस्टबिन में उस प्लास्टिक को जमा करते हैं.

अंबिकापुर के एक स्कूल में चलाए जाता है ये खास अभियान

सालभर जमा करते हैं प्लास्टिक वेस्ट
स्टूडेंट्स पूरे एक साल तक प्लास्टिक के रैपर और दूसरे कचरे को डस्टबिन में जमा करते हैं और क्रिसमस के मौके पर खाद्य सामग्री बनाने वाली कंपनियों को उन्हीं के खाली रैपर बतौर गिफ्ट पैक करके वापस भेजते हैं.

सामग्री बनाने वाली कंपनियों को वापस भेजते हैं रैपर
इतना ही नहीं इस क्रिसमस गिफ्ट के साथ स्टूडेंट्स कुछ पत्र भी खाद्य सामग्री निर्माता कंपनियों को भेजते हैं. जिसमें स्टूडेंट्स अपनी अलग-अलग भावनाएं लिखते हैं और खाद्य निर्माता कंपनियों से पूछते हैं कि, 'आपका खाद्य पदार्थ तो बहुत अच्छा था, लेकिन इन प्लास्टिक के रैपर का हम क्या करें यह हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं.'

सड़क पर मिलने वाले पेन, पेंसिल और इरेजर करते हैं जमा
वहीं इन छात्र-छात्राओं ने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में एक और नया काम किया है. सड़क पर मिलने वाले पेन, पेंसिल और इरेजर जैसी को डस्टबिन से निकालकर छांटते हैं. फिर यह तय किया जाता है कि इनमें से कौन सा सामान दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है और कौन सा समान अब उपयोग के लायक नहीं है.

जो सामान रिपेयर करने के बाद फिर से उपयोग करने लायक हो जाती है. उसे ये छात्र आपस में बांटकर इनका उपयोग करते हैं. जिससे बचत करने को भी बढ़ावा मिलता है, लेकिन जो वस्तुएं उपयोग के लायक नहीं होती है, उन्हें भी गिफ्ट पैक में डालकर संबंधित निर्माता कंपनी को भेज दिया जाता है.

देखें- SPECIAL: प्रदेश का पहला ओपन थिएटर वाला सरकारी स्कूल!

छोटी मुहिम, मकसद बड़ा
बहरहाल छात्र-छात्राओं की यह मुहिम जरूर छोटी है, लेकिन इसके पीछे का मकसद बड़ा है. जिस तरह की शुरुआत इन्होंने की है अगर देश का हर नागरिक ऐसा करने लगे तो इससे प्लास्टिक के उपयोग के प्रतिशत में चमत्कारी कमी आ सकती है. छात्रों का यह प्रयास प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में बड़ा संदेश है.

सरगुजा: सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देशभर में अभियान चलाए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्लास्टिक के उपयोग पर नियंत्रण करने का आह्वान किया है. अंबिकापुर के होली क्रॉस स्कूल के स्टूडेंट्स बीते 2 वर्षों से कुछ ऐसा कर रहे हैं जो वाकई इस मुहिम में बड़ा असर ला सकता है.

इस स्कूल के स्टूडेंट्स अपने क्लास टीचर से प्रेरणा लेकर बीते 2 वर्षों से प्लास्टिक के सभी सामान जो उन्हें सड़क पर पड़ी हुई दिखती है उसे उठाकर रख लेते हैं और फिर अपनी क्लास में रखे बड़े डस्टबिन में उस प्लास्टिक को जमा करते हैं.

अंबिकापुर के एक स्कूल में चलाए जाता है ये खास अभियान

सालभर जमा करते हैं प्लास्टिक वेस्ट
स्टूडेंट्स पूरे एक साल तक प्लास्टिक के रैपर और दूसरे कचरे को डस्टबिन में जमा करते हैं और क्रिसमस के मौके पर खाद्य सामग्री बनाने वाली कंपनियों को उन्हीं के खाली रैपर बतौर गिफ्ट पैक करके वापस भेजते हैं.

सामग्री बनाने वाली कंपनियों को वापस भेजते हैं रैपर
इतना ही नहीं इस क्रिसमस गिफ्ट के साथ स्टूडेंट्स कुछ पत्र भी खाद्य सामग्री निर्माता कंपनियों को भेजते हैं. जिसमें स्टूडेंट्स अपनी अलग-अलग भावनाएं लिखते हैं और खाद्य निर्माता कंपनियों से पूछते हैं कि, 'आपका खाद्य पदार्थ तो बहुत अच्छा था, लेकिन इन प्लास्टिक के रैपर का हम क्या करें यह हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं.'

सड़क पर मिलने वाले पेन, पेंसिल और इरेजर करते हैं जमा
वहीं इन छात्र-छात्राओं ने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में एक और नया काम किया है. सड़क पर मिलने वाले पेन, पेंसिल और इरेजर जैसी को डस्टबिन से निकालकर छांटते हैं. फिर यह तय किया जाता है कि इनमें से कौन सा सामान दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है और कौन सा समान अब उपयोग के लायक नहीं है.

जो सामान रिपेयर करने के बाद फिर से उपयोग करने लायक हो जाती है. उसे ये छात्र आपस में बांटकर इनका उपयोग करते हैं. जिससे बचत करने को भी बढ़ावा मिलता है, लेकिन जो वस्तुएं उपयोग के लायक नहीं होती है, उन्हें भी गिफ्ट पैक में डालकर संबंधित निर्माता कंपनी को भेज दिया जाता है.

देखें- SPECIAL: प्रदेश का पहला ओपन थिएटर वाला सरकारी स्कूल!

छोटी मुहिम, मकसद बड़ा
बहरहाल छात्र-छात्राओं की यह मुहिम जरूर छोटी है, लेकिन इसके पीछे का मकसद बड़ा है. जिस तरह की शुरुआत इन्होंने की है अगर देश का हर नागरिक ऐसा करने लगे तो इससे प्लास्टिक के उपयोग के प्रतिशत में चमत्कारी कमी आ सकती है. छात्रों का यह प्रयास प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में बड़ा संदेश है.

Intro:सरगुजा : सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देश भर में अभियान चल रहे हैं पीएम मोदी ने भी प्लास्टिक के उपयोग पर नियंत्रण करने का आह्वान किया है लेकिन अंबिकापुर की होली क्रॉस स्कूल के स्टूडेंट्स बीते 2 वर्षों से कुछ ऐसा कर रहे हैं जो वाकई इस मुहिम में बड़ा असर ला सकता है.

इस स्कूल के स्टूडेंट्स अपने क्लास टीचर से प्रेरणा लेकर बीते 2 वर्षों से प्लास्टिक की हर वह वस्तु जो उन्हें सड़क पर पड़ी हुई दिखती है उसे यह स्टूडेंट्स उठाकर रख लेते हैं और फिर अपनी क्लास में रखें बड़े डस्टबिन में उस प्लास्टिक के टुकड़े को एकत्र करते हैं स्टूडेंट्स पूरे 1 वर्ष तक प्लास्टिक के रैपर और अन्य वस्तुओं को डस्टबिन में एकत्र करते हैं और क्रिसमस के पर्व पर खाद्य सामग्री बनाने वाली कंपनियों को उन्हीं के खाली रैपर बतौर गिफ्ट पैक करके वापस भेजते हैं इतना ही नहीं इस क्रिसमस गिफ्ट के साथ स्टूडेंट्स कुछ पत्र भी खाद सामग्री निर्माता कंपनियों को भेजते हैं जिसमें स्टूडेंट्स अपनी अलग-अलग भावनाएं लिखते हैं और खाद्य निर्माता कंपनियों से पूछते हैं कि आपका खाद्य पदार्थ तो बहुत अच्छा था लेकिन इन प्लास्टिक के रैपर का हम क्या करें यह हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।


Body:वही इन छात्र-छात्राओं ने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में एक और नया काम किया है, सड़क पर मिलने वाले पेन पेंसिल इरेज़र जैसी वस्तुओं को यह स्टूडेंट्स डस्टबिन से निकालकर छांटते हैं, और फिर यह तय किया जाता है की इनमें से कौन सा सामान दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है और कौन सा समान अब उपयोग लायक नही है।

जो वस्तुएं रिपेयर करने से दोबारा उपयोग करने लायक हो जाती है, उसे ये छात्र आपस मे बांट का उपयोग करते हैं, जिससे मितव्ययता को भी बढ़ावा मिलता है, लेकिन जो वस्तुएं उपयोग लायक नही होती हैं उन्हें भी गिफ्ट पैक में डालकर संबंधित निर्माता कंपनी को भेज दिया जाता है।


Conclusion:बहरहाल छात्र-छात्राओं की यह मुहिम जरूर छोटी है लेकिन इसके पीछे का मकसद बड़ा है, और जिस तरह की शरूआत इन्होंने की है अगर देश का हर नागरिक ऐसा करने लगे तो इससे प्लास्टिक के उपयोग के प्रतिशत में चमत्कारी कमी आ सकती है, छात्रों का यह प्रयास प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में बड़ा संदेश है और अगर उपयोग कम होगा तभी देश मे प्लास्टिक पर प्रतिबंध पर विचार किया जा सकेगा।

बाईट01_राहुल (छात्र 10वी, चश्मा लगाए हुए)

बाईट02_स्वस्तिक गुप्ता (छात्र 11वीं)

बाईट03_अक्षिता (छात्रा 10वी, चश्मा लगाए हुए)

बाईट03_गरिमा सिंह (छात्रा 11 वीं)

बाईट04_सिस्टर जेरॉल्ड (प्रिंसिपल होलीक्रास स्कूल)

देश दीपक सरगुज़ा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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