अंबिकापुर: रोजगार के अवसर देने के उद्देश्य से बनाई गई दुकानें अधिकारियों के उदासीनता की वजह से बंद पड़ी हुई है. इसके बावजूद नगर पंचायत नोटिस देकर बकाया राशि के भुगतान करने के लिए दबाव बना रहा है. मामला सरगुजा जिले के सीतापुर जनपद पंचायत का है. नये बस स्टैंड का उद्घाटन छत्तीसगढ़ के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के हाथों किया गया था. जिसकी लागत करीब 33 करोड़ 19 लाख रुपये है.
दुकानों की निलामी तो कर दी गई, लेकिन आवंटन प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई. 6 साल बित जाने के बाद भी लोगों को दुकान आवंटित नहीं की गई. जिसकी वजह से रोजगार की आस लिए बैठे बेरोजगार इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. वहीं बकाया राशि के भुगतान के लिए जनपद पंचायत नोटिस जारी कर लोगों पर दबाव बना रहा है. कोरोना काल में लोगों की आर्थिक हालत खस्ता है. परिवार भुगतान करने की हालत में नहीं है. उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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लोग अपनी जमा पूंजी का निवेश करके बस स्टैंड की दुकान निलामी प्रक्रिया में शामिल हुए थे. 10 लाख 51 हजार रुपये में दुकान का सौदा हुआ. पीड़ित परिवार ने आधी रकम 5 लाख 86 हजार रुपये जमा कर दिए. लेकिन 6 साल बित जाने के बाद भी लोगों को दुकान आवंटित नहीं की गई. अब नगर पंचायत नोटिस जारी कर बची हुई राशि का भुगतान करने के लिए दबाव बना रही है.
विपक्षी दल ने साधा निशाना
इस मामले में बीजेपी नेता प्रभात खलखो ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 'अंधेर नगरी चौपट राजा, नगर पंचायत के तानाशाही रवैये से लोग परेशान हैं'. वहीं कलेक्टर ने मामले की जांच कराने और पीड़ितों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है.
प्रशासन से न्याय की गुहार
जनपद पंचायत का तानाशाही रवैया देखने को मिल रहा हैं. जिन्हें 6 महीने में दुकान आवंटित होनी थी आज 6 साल बितने को है, लेकिन दुकान नहीं मिली. दुकान की आधी कीमत जमा कर दी गई है. विपक्षी दल ने आरोप लगाया है कि रुपयों को हड़पने की साजिश की जा रही है. पीड़ितों ने शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है.