ETV Bharat / state

SPECIAL : मैनपाट की खूबसूरत तिब्बती कालीन, जिले को नाम के साथ दे रही रोजगार - कालीन बुनकरों को रोजगार

मैनपाट न सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए बल्कि अब तिब्बती कालीन के लिए भी देश-विदेश में जाना जाने लगा है. यहां के कालीन उद्योग से लॉकडाउन में रोजगार गंवा चुके कई कारीगरों को रोजगार मिला है.

Mainpat beautiful Tibetan carpet
मैनपाट की खूबसूरत तिब्बती कालीन
author img

By

Published : Oct 7, 2020, 12:59 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: मैनपाट का तिब्बती कालीन जो न सिर्फ देखने में खूबसूरत है, बल्कि अन्य कालीनों के मुकाबले काफी टिकाऊ भी है. सालों पहले यहां आकर बसे तिब्बतियों ने कालीन गढ़ने का काम स्थानीय लोगों को सिखाया था और आज भी वही डिजाइन यहां बनने वाली कालीनों में दिखता है. खासकर ड्रैगन कालीन काफी फेमस है. ड्रैगन की आकृति बनी हुई कालीन से ही इसके तिब्बती डिजाइन होने का पता चलता है. हालांकि वक्त के साथ सब कुछ बदल गया और अब स्थानीय लोग ही कालीन निर्माण का काम करते हैं और गांव में रोजगार का सृजन करने में समर्थ हो रहे हैं.

तिब्बती कालीन से लोगों को मिल रहा रोजगार

देश-विदेश में तिब्बती कालीन की डिमांड

सरगुजा जिले के कालीन बुनकरों को नियमित रोजगार देने के लिए दो दशक से बंद पड़े मैनपाट के सुप्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को ग्रामोद्योग विभाग की तरफ से पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया गया. इस उद्योग के जरिए प्रवासी श्रमिकों के लिए कार्ययोजना बनाकर उन्हें नियमित रोजगार सुनिश्चित कराया जा रहा है. यहां बने कालीन की डिमांड मिर्जापुर उत्तरप्रदेश से भी आने लगी है. यहां के बने कालीन मिर्जापुर समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है.

manpat beautiful tibetan carpet industry provides employment to people in surguja
शबरी एम्पोरियम

पढ़ें: SPECIAL: साफ सफाई से अंबिकापुर की कमाई, गीले कचरे से खाद बनाकर आय बढ़ाई

मैनपाट की पहचान बना तिब्बती कालीन उद्योग

मैनपाट के प्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन आकर्षक और प्राकृतिक धागों से तैयार होने के कारण इसकी लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. दरअसल छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में 1959 से बसे तिब्बती लोगों ने आदिवासियों को कालीन बुनाई का काम सिखाया था, इन कालीनों में सूत और ऊन का इस्तेमाल किया जाता है.

manpat beautiful tibetan carpet industry provides employment to people in surguja
तिब्बती कालीन से लोगों को मिल रहा रोजगार

प्रवासी कारीगरों को रोजगार देने की पहल

बतौली, सीतापुर के सैकड़ों कालीन बुनाई करने वाले कारीगर उत्तरप्रदेश के भदोही और मिर्जापुर जाकर कालीन बुनाई का काम करते थे. जो कोरोना संक्रमण और देशव्यापी लॉकडाउन के बाद वहां जा ही नहीं पाए और बेरोजगारी हो चुके थे, इन कारीगरों को मैनपाट के कालीन बुनाई केन्द्र से जोड़कर रोजगार देने की पहल बोर्ड ने शुरू की है, ताकि कालीन बुनाई करने वाले स्थानीय कारीगरों को मैनपाट में ही रोजगार मिल सके. इन कारीगरों को मैनपाट के केन्द्र से जोड़ने से तिब्बती कालीन की बुनाई के काम में तेजी आयी है.

पढ़ें: कोरोना काल में मशरूम की खेती कर परिवार ने खोजा रोजगार का सहारा

100 से ज्यादा कारीगरों को मिला रोजगार

छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा मैनपाट के रोपाखार में कालीन निर्माण केंद्र में वर्तमान में लगभग 15 कालीन शिल्पकार कालीन उत्पादन का काम कर रहे हैं. इसको और अधिक विस्तार देने की दिशा में काम भी किया जा रहा है. इस केंद्र के माध्यम से लगभग 100 से अधिक कालीन बुनाई करने वाले कारीगरों को रोजगार से जोड़ा गया है, जो जिले के अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कालीन निर्माण के काम को सराहा है. मैनपाट से एक कालीन मुख्यमंत्री को भी तोहफे के रूप में भेजी गई है.



मैनपाट की कालीन हस्त शिल्प बोर्ड द्वारा संचालित प्रदेश के हर शबरी एम्पोरियम में उपलब्ध है. ETV भारत के दर्शक शबरी एम्पोरियम जाकर कालीन खरीद सकते हैं और इसके मूल्य सहित अन्य जानकारियां भी शबरी एम्पोरियम के कर्मचारियों से ले सकते हैं.

सरगुजा: मैनपाट का तिब्बती कालीन जो न सिर्फ देखने में खूबसूरत है, बल्कि अन्य कालीनों के मुकाबले काफी टिकाऊ भी है. सालों पहले यहां आकर बसे तिब्बतियों ने कालीन गढ़ने का काम स्थानीय लोगों को सिखाया था और आज भी वही डिजाइन यहां बनने वाली कालीनों में दिखता है. खासकर ड्रैगन कालीन काफी फेमस है. ड्रैगन की आकृति बनी हुई कालीन से ही इसके तिब्बती डिजाइन होने का पता चलता है. हालांकि वक्त के साथ सब कुछ बदल गया और अब स्थानीय लोग ही कालीन निर्माण का काम करते हैं और गांव में रोजगार का सृजन करने में समर्थ हो रहे हैं.

तिब्बती कालीन से लोगों को मिल रहा रोजगार

देश-विदेश में तिब्बती कालीन की डिमांड

सरगुजा जिले के कालीन बुनकरों को नियमित रोजगार देने के लिए दो दशक से बंद पड़े मैनपाट के सुप्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को ग्रामोद्योग विभाग की तरफ से पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया गया. इस उद्योग के जरिए प्रवासी श्रमिकों के लिए कार्ययोजना बनाकर उन्हें नियमित रोजगार सुनिश्चित कराया जा रहा है. यहां बने कालीन की डिमांड मिर्जापुर उत्तरप्रदेश से भी आने लगी है. यहां के बने कालीन मिर्जापुर समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है.

manpat beautiful tibetan carpet industry provides employment to people in surguja
शबरी एम्पोरियम

पढ़ें: SPECIAL: साफ सफाई से अंबिकापुर की कमाई, गीले कचरे से खाद बनाकर आय बढ़ाई

मैनपाट की पहचान बना तिब्बती कालीन उद्योग

मैनपाट के प्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन आकर्षक और प्राकृतिक धागों से तैयार होने के कारण इसकी लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. दरअसल छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में 1959 से बसे तिब्बती लोगों ने आदिवासियों को कालीन बुनाई का काम सिखाया था, इन कालीनों में सूत और ऊन का इस्तेमाल किया जाता है.

manpat beautiful tibetan carpet industry provides employment to people in surguja
तिब्बती कालीन से लोगों को मिल रहा रोजगार

प्रवासी कारीगरों को रोजगार देने की पहल

बतौली, सीतापुर के सैकड़ों कालीन बुनाई करने वाले कारीगर उत्तरप्रदेश के भदोही और मिर्जापुर जाकर कालीन बुनाई का काम करते थे. जो कोरोना संक्रमण और देशव्यापी लॉकडाउन के बाद वहां जा ही नहीं पाए और बेरोजगारी हो चुके थे, इन कारीगरों को मैनपाट के कालीन बुनाई केन्द्र से जोड़कर रोजगार देने की पहल बोर्ड ने शुरू की है, ताकि कालीन बुनाई करने वाले स्थानीय कारीगरों को मैनपाट में ही रोजगार मिल सके. इन कारीगरों को मैनपाट के केन्द्र से जोड़ने से तिब्बती कालीन की बुनाई के काम में तेजी आयी है.

पढ़ें: कोरोना काल में मशरूम की खेती कर परिवार ने खोजा रोजगार का सहारा

100 से ज्यादा कारीगरों को मिला रोजगार

छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा मैनपाट के रोपाखार में कालीन निर्माण केंद्र में वर्तमान में लगभग 15 कालीन शिल्पकार कालीन उत्पादन का काम कर रहे हैं. इसको और अधिक विस्तार देने की दिशा में काम भी किया जा रहा है. इस केंद्र के माध्यम से लगभग 100 से अधिक कालीन बुनाई करने वाले कारीगरों को रोजगार से जोड़ा गया है, जो जिले के अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कालीन निर्माण के काम को सराहा है. मैनपाट से एक कालीन मुख्यमंत्री को भी तोहफे के रूप में भेजी गई है.



मैनपाट की कालीन हस्त शिल्प बोर्ड द्वारा संचालित प्रदेश के हर शबरी एम्पोरियम में उपलब्ध है. ETV भारत के दर्शक शबरी एम्पोरियम जाकर कालीन खरीद सकते हैं और इसके मूल्य सहित अन्य जानकारियां भी शबरी एम्पोरियम के कर्मचारियों से ले सकते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.